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24 जन॰ 2021

Sakaratmak Soch Ka Mahatav

सकारात्मक सोच का महत्व और इसका जीवन पर प्रभाव

Sakaratmak Soch Ka Mahatav

दोस्तों Good Morning, आशा करता हूं आप सभी मजे में होंगे। आज मैं आपके साथ सकारात्मक सोच का महत्व share करने वाला हूं। सकारात्मक सोच (Positive Thinking) हमेशा जीवन में सफलता पाने में हमारी मदद करती है। Friends यदि आप Sakaratmak Soch के साथ कोई कार्य करते हैं तो उसमें आपको अवश्य ही सफलता मिलेगी। जीवन में सफल कौन नहीं होना चाहता। कभी कभी दूसरे व्यक्ति के सफलता की कहानी (Success Story)  को सुनकर हम आश्चर्य चकित हो जाते हैं। जब आप सफल व्यक्ति (Successful Person) के बारे में जांच पड़ताल करेंगे तो आपको उनके Life में एक चीज अवश्य देखने को मिलेगी कि वह हमेशा सकारात्मक सोच के साथ कार्य करता है। दोस्तों क्या आप Sakaratmak Soch का अर्थ जानते हैं। यदि जानते है तो बहुत अच्छी बात है और नहीं तो चलिये नीचे इसकी जानकारी लेते हैं।

Sakaratmak Soch Ka Mahatav

सकारात्मक सोच क्या है?

सकारात्मक सोच एक भावनात्मक और मानसिक दृष्टिकोण है जो हमें अच्छे Lakshya पर केंद्रित रहने के लिये प्रेरित करता है। यह हमारे हमें स्वास्थ्य रहने में मदद करता है और सफलता की कुंजी भी यही है। Positive Thinking की शक्ति बहुत अधिक माहत्वपूर्ण है। यह किसी व्यक्ति के बने बनाये कार्य को बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है क्योंकि यह आपके Vichar को प्रभावित करता है। आप अपने कार्य में सफल होते हो या नहीं। इस पर इसका पूरी तरह से नियंत्रण होता है।


वर्तमान समय में जब दुनिया कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रसार से परेशान है वहीं दूसरी ओर बहुत सारे देश ऐसे भी है जहां के कुछ व्यक्तियों के Sakaratamak Soch के कारण करोना पर ब्रेक भी लग चुका है। यहां पर हम अपने देश भारत की बात कर रहे हैं। भारत में बहुत सारे ऐसे व्यक्ति मिल जायेंगे जो आपको यह जरुर बता देंगे कि अभी हमें क्या करना चाहिये और क्या नहीं। क्या करेंगे तो हम Corona से बच जायेंगे। इस प्रकार की सोच तो एक सकारात्मक व्यक्ति (Positive Person) में ही हो सकता है। दोस्तों यदि आप इस पर अमल कर रहे हैं तो आप जरुर सकारात्मक सोच रखते हैं।


यदि आपका मन चिंताओं से मुक्त है और स्पष्ट है तो आप सकारात्मक सोच के लिये ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। जब आपके दिमाग में केवल सकारात्मक सुविचार (Positive thought) आते हैं तो हमारे आस-पास की सभी चिंतायें और दोष दूर हो जाते हैं। इसी तरह से हमसे से जो लोग Corona के बारे में सोच रहे हैं और गंभीर है, उनके पास Corona पैर भी नहीं पसार पा रहा है। सकारात्मक सोच इस कठीन समय में बहुत जरुरी है। इस समय यदि हम लोग Sakaratamk Soch के साथ सावधानी बरतते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये कार्य करे तो हमे उसमें निश्चित ही सफलता मिलेगी।


अपने सकारात्मक ऊर्जा को आप जितना अधिक अपने जीवन में निवेश करेंगे उतना जल्दी आपको सफलता मिलेगी। याद रखिये कि सकारात्मक विचार न केवल हमें Sakaratmak Urja प्रदान करते हैं, बल्कि सभी चिंताओं और बाधाओं को दूर करके नकारात्मक ऊर्जा को कम करते हैं। सकारात्मक सोच और सकारात्मक कार्य (Positive Work) जब एक साथ मिलता है तो Success अवश्य मिलती है। ऐसे बहुत सारे तरीके होते हैं जिससे हम अपने सोच को सकारात्मक कर सकते हैं। चलिये जानते हैं कैसे-


सकारात्मक सुविचार का प्रभाव

जैसा हम सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं। यदि हम किसी तरह से अपने दिमाग में सकारात्मक सुविचारों (Sakaratmak Suvihcar) को भर लेते हैं तो वह हमें सफलता दिलाने में मदद करते हैं। यह विपरीत तरीके से भी काम करता है। यदि हमारा मस्तिष्क सुस्त है और नकारात्मक विचारों (Nakaratmak Vichar) से भरा हुआ है तो बहुत अधिक संभावना है कि वे नकारात्मक चीजे घटीत होने लगे जिसके बारे में आप विचार कर रहे थें। दोस्तों यदि आप छात्र है तो आप अपने एग्जाम की तैयारी के दौरान केवल यरी करेंmak Soch। इससे आपके Exam में आपको सफलता मिलेगी।


योग, व्यायाम और ध्यान

हम अपने अंदर की सकारात्मक सोच को बनाये रखने के लिये योग, व्यायाम और ध्यान का सहारा लेना चाहिये। जब हम किसी प्रकार से योग, व्यायाम और ध्यान करते हैं तो हमारा शरीर शिथिल हो जाता है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा और विचार उत्पन्न होने लगता है। छात्र जीवन के लिये यह बहुत ही जरूरी है क्योंकि यदि उनका विचार सकारात्मक होगा तो वे अपने एग्जाम की तैयारी अच्छी तरह से कर सकते हैं।


संगीत

यदि आप व्यायाम करने या ध्यान करने में असमर्थ है क्योंकि आपके पास इसके लिये समय नहीं है तो आप संगीत के सहारे अपनी अंदर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण कर सकते हैं। संगीत सुनना सकारात्मक सोच के लिये लाभदायक होता है। किसी भी तरह का संगीत जो हमें अच्छा लगता हो उससे हमारे शारीर को बहुत अधिक आराम मिलता है जिसके फलस्वरूप हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक सोच उत्पन्न होता है। संगीत हमारे मूड को तुरंत चुस्त कर देता है और सभी प्रकार के सकारात्मक विचारों को हमारे अंदर उत्पन्न करने में मदद करता है। 


सकारात्मक पढ़ें, नकारात्मक को दूर करें

यदि आप छात्र है और अपने आप को सकारात्मक सोच से भरना चाहते हैं तो अपने पाठ्यक्रम और नोट्स के अलावा अच्छी किताबे जो आपको पढ़ने में अच्छा लगता हो उसे पढ़ें। इससे आपके अंदर सकारात्मक विचार उत्पन्न होगा। यह काम कभी कभी बहुत अधिक थकाऊ भी हो सकता है। इसलिये छात्र से अनुरोद है कि यदि ऐसा लगे तो आप लिखने की भी आदद डाल सकते हैं। आप ऐसी किसी भी चीज के बारे में लिख सकते हैं जिसमें आपकी रुचि हो। इस प्रकार की शैली कभी कभी मन को बहुत अधिक सुकून देती है जिसके स्वरुप सकारात्मक ऊर्जा और सोच उत्पन्न होता है। आज के वर्तमान समय में बहुत सारे ऐसे सोशल मीडिया भी है जाहां पर आप आपने रुचि के अनुसार लिख और पढ़ सकते हैं और अपने सोच को सकारात्मक कर सकते हैं। लेकिन कभी कभी सोशल मीडिया खतरनाक भी साबित हो जाता है क्योंकि बहुत सारे लोग नकारात्मक चीजे भी पोस्ट करते रहते हैं। जिसको पढ़कर आप नकारात्मक हो सकते हैं इसलिये ऐसे किसी भी पोस्ट से दूर रहें।


अकेलापन महसूस हो तो उसे दूर करने का प्रयास करें

अकेलापन कभी कभी हमारे मन को बहुत अधिक विचलित करता है जिसके कारण नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होता है। इसलिये ऐसा कभी हो तो आप अपने रिश्तेदारों को इसके बारे में बाताये और अकेलापन दूर करने का प्रयास करें।


सकारात्मक बनने के लिये नकारात्मकता से दूर रहें

किसी भी चीज की दो पहलू होती है एक नकारात्मक और दूसरा सकारात्मक। दोनों का एक दूसरे पर प्रभाव पड़ता है। इसलिये यदि आप सकारात्मक बनना चाहते हैं तो आपको नकारात्मक चीजों से दूर रहना पड़ेगा। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो नकारात्मक बाते करते रहते हैं और ऐसे लोग अपने साथ आने वाले सभी लोगों को नकारात्मक बनाने की पूरी कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहे नहीं तो आपके अंदर भी इंही के तहर नकारात्मक चीजे उत्पन्न होने लगेगा। ऐसे लोगों की पहचान करें और उससे दूर रहें।


शौक को मारना बंद करों

ऐसा माना जाता है कि हर किसी व्यक्ति कें अंदर कुछ न कुछ करने का शौक होता है। बहुत से लोग कुछ अपने खास परीस्थितियों के कारण उसे मारने लगते हैं जिसके कारण उनके अदंर नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है। इसके बाद वे जो भी कार्य करते हैं उनका वह कार्य सफल नहीं हो पाता क्योंकि उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ने लगता है। जीवन में सफलता पाने के लिये हमारे जो भी शौक है उसे मारे नहीं बल्की पूरा करना का प्रयास करें। इससे आपका सोच भी सकारात्मक बनेगा और फलस्वरूप आपका कार्य भी सफल होगा। हमें अपने प्राथमिक कार्य करने के साथ साथ अपने शौक भी पूरा करते रहना चाहिये, कभी भी उसे मारने का प्रयास न करें। अपने कल के सपने के लिये अपने शौक और प्रतिभा की बली मत दो।


अच्छी नींद

कहते हैं न कि अनुशासन सकारात्मक जीवन की कुंजी होती है। यदि आप धार्मिक और यथार्थवादी कार्यक्रम का पालन करते हैं तो पूरी और गहरी नींद ले, सही समय परो सोने का प्रयास करें, अच्छा खाना खाऐं, अच्छी तरह से व्यायाम करें। ऐसा करने में आप सफल होते हैं तो आपके अंदर खुदबखुद सकारात्मक सोच उत्पन्न होने लगेगा।


एक समय में एक काम

यदि आप अपने लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो एक समय में एक ही काम करें। ऐसा करेंगे तो आप अपने काम में अच्छी तरह से मन ला पायेंगे और जिसके फलस्वरूप आपके अंदर सकारात्मक भावना जागृत होगी। हमारा मस्तिष्क भी एक समय में एक कार्य को करने के लिये बना है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम काफी परेशानी में फसने लग जाते हैं जैसे ठीक समय पर कार्य का पूरना न होना, एक कार्य पूरा होना और दूसरा का रह जाना। ऐसी अवस्था में नकारात्मक ऊर्जा हमारे अंदर उत्पन्न हो सकती है।


एक कार्य को पूरा करने के बाद थोड़ा आराम करें

दोस्तों जब आप कोई कार्य करते हैं तो उसे पूरा करने के बाद दूसरा कार्य पूरा ना करें। दूसरे कार्य करने के पहले थोड़ा आराम करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके मस्तिष्क और शरीर दोनों को थोड़ा रेस्ट मिल जाता है। जिसके फलस्वरूप आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा और सोच उत्पन्न होता है। किसी भी दो कार्यों के बीच में छोटी-छोटी टहलने, छोटी-छोटी झपकी या छोटे-छोटे ब्रेक लेने से मन शांत और तनाव मुक्त हो जाता है। सकारात्मक सोच इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप ब्रेक में क्या करते हैं।


इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से बचें:

आज का जीवन बहुत अधिक डीजिटल हो गाय है। आज इंटरनेट और सोशल मीडिया  के बिना लोगों को जीना पसंद नही है। बहुत से लोग हर वक्त किसी न किसी इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से चिपके रहते हैं। जिस कारण उनके शीरर और मन को बहुत अधिक थकावट होता है और नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है। जितना हो सके इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से दूर रहे और जरुरत हो भी थो उसे काम के अनुसार ही करें। जब आपको लगने लगे की थकावट हो रही है और नकारात्मक शक्ति शरीर में प्रवेश कर रही है तो तुरंत ही इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन को अपने से दूर रखें और सकारात्मक सोचना शूरू कर दें।


कार्य को करने में जल्दबाजी न करें

दोस्तों आज अपना कार्य को जल्दी कौन नहीं करना चाहता। आपने अक्सर सुना होगा कि जल्दी का काम शैतान का। दोस्तों जब आप किसी भी कार्य को जल्दी बाजी में करते हैं तो उस कार्य को कितना अधिक परफैक्ट कियी जा सकता है इसके बारे में नहीं सोच पाते। जिसके कारण होता यह है कि कभी कभी वह कार्य बिगड़ जाता है और हमारे अंदर नकारात्मक बाते आने लगती है। ठीक इसके विपरीत किसी कार्य को सोच समझकर करते हैं और उसको जितना समय लगना चाहिये उस पर उतना समय लगाते हैं तो आपको उसमें 100 प्रतिशत सफलता मिलती है। फलस्वरूप आपके अंदर सकारात्मक सोच उत्पन्न होने लगती है।


आशावादी बने

यदि आप आशावादी है और जीवन में कुछ बड़ा करने की सोच रखते हैं तो आपको सकारात्मक सोच रखने की बहुत जरुरी है। किसी भी कार्य को करने का सकारात्मक कदम वही है जो आपको कुछ करने के लिये बड़ी बाधाओ से दूर रखने में आपकी मदद करें। सकारात्मक ऊर्जा आशावादी लोगों में कार्य को पूरा करने का जनून पैदा करता है। याद रखें कि जीवन में कभी-कभी कठिनाई आती है और परिस्थियां बदत्तर हो जाती है, ऐसे समय में हमे सम्भालने का कार्य सकारात्मक ऊर्जा करती है। इसलिये नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें।


जीवन में सफल कैसे पा सकते हैं

हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। कुछ लोग अपना जीवन सोचकर व्यतीत करते हैं तो कुछ लोग अपने सपना को पूरा करने में लगे रहते हैं। लेकिन कभी कभी यह पता नहीं लग पाता कि सफलता मिलेगी कैसे। आज हर व्यक्ति सफल इंसान बना चाहता है। कुछ लोग सफल होने के लिये शोर्टकट का सहारा लेते हैं तो कुछ लोग योजनाबध्द तरीके ले उसके पाने के लिये लगे रहते हैं। लेकिन सफलता मिलती किसी है, यह किसी से छीपा नहीं है। जो लोग योजनाबध्द तरीके से मेहनत करते हैं और सकारात्मक सोच के साथ लगे रहते हैं, उनको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।

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सफलता पाने के लिये सीखना भी बहुत जरुरी है। सीखना सफलता की कुंजी है। सीखना बंद तो जीतना बंद, यह अक्सर अमिताभ बच्चन के मुख से सुना होगा। यह बिल्कुल सहीं है। यदि आपमें सीखने की इच्छा शक्ति है तो आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा स्वंय उत्पन्न होने लगती है। इसके फलस्वरूप आप कार्य को सीखकर उसे करने में निपुण हो जाते हैं और आपको सफलता मिल जाती है। फर्क इस बात से नहीं पड़ता की आप क्या कर रहे हैं, फर्क तो इस बात से पड़ता है कि आप क्या सीख रहे हैं।


सकारात्मक सोचो, सकारात्मक बनो और सकारात्मक करों, इससे सफलता अवश्य मिलेगी।- VK Singh

16 जुल॰ 2016

Sakaratmak Vichar - Kalpna aur Ichchha

सकारात्मक विचार - कल्पना और इच्छा

जब आप अपनी नई कल्पनाओं और इच्छाओं को महसूस करें
जब आप अपनी नई कल्पनाओं और इच्छाओं को महसूस करें तो किसी भी तरह की रुकावटों के बारे में चिंता करना छोड़ दें, क्योंकि आप पहले भी अपने मार्ग में आने वाली बड़ी-बड़ी रुकावटों का सामना करके अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हो।
आपको जीतने की प्रबल इच्छा, सफलता का निर्णय, अपने जीवन पर नियंत्रण तथा कुशलता से जरूर सुसज्जित रहना होगा। सबसे पहले अपने मकसदों को पहचानें तथा मन में यह विश्वास भरें कि कोई भी रूकावट आपको अपनी मंजिल पर पहुंचने से नहीं रोक सकती। अपने मकसद की सफलता के लिए दृढ़ प्रतिज्ञाबद्ध बनें।
जीवन सुख-दुख का खेल है- सुख तथा दुख किस प्रकार हमारे भाग्य की दिशा तय करते हैं? हमारे पास दुख का सामना करने के आसान तरीके हमेशा मौजूद होते हैं। कभी हम शराब पीते हैं तो कभी सिगरेट और कभी ज्यादा खाने लगते हैं।
कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो किसी भी तरह की मानसिक परेशानी को व्यायाम करके, सैर पर जाकर, अच्छा संगीत सुनकर या किसी दूसरे काम में अपने आपको लगाकर दूर करते हैं।
अपनी परेशानियों को दूर करने वाले तथा आनन्द पहुंचाने वाले तरीकों को पहचानें और उनकी एक सूची बनाएं।
क्या और भी ऐसे सकारात्मक उपाय हैं जो हमें आनन्द दिलाने में मददगार हो सकते हैं?
गलत संयोजन- असफलता ज्यादा से ज्यादा हमारी इच्छाओं पर छाए रहने की कोशिश करती रहती हैं। हम अपनी इच्छाओं तथा मकसदों के लिए जोखिम उठाने की अपेक्षा अपने पास जो कुछ है, उससे चिपके रहना चाहते हैं। आपके लिए क्या ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा? आपने पिछले पांच सालों में कमाया है, उस पर कुण्डली मारकर बैठे रहना या अगले पांच सालों में और कमाने के लिए नए-नए मौकों की तलाश करना।
चिंता और आनंद क्या है?- किसी भी तरह की परेशानी अर्थात दुख को अपने मित्र के रूप में स्वीकार करना चाहिए। अगर आप यह सोचते हैं कि कोई कुछ भी करें मुझे ऊससे क्या? तो ऐसी सोच लेकर आप अपने जीवन में सिर्फ दुख ही प्राप्त कर सकते हैं और कुछ नहीं। अगर आप संबंधों में बने रहते हैं, तो इससे आपको थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन अगर आप इससे बाहर निकलते हैं तब आप अपने आपको ज्यादा तन्हा और अकेला महसूस करेंगे।।
अपने जीवन के पुराने दुख के पल को याद करें। इस बारे में कुछ करने के लिए अपने आपको परेशानी की गंभीरता को महसूस कराऐं। जब आप इस बारे में कुछ नहीं कर पाते तो आप भावुकता की दहलीज पर होते हैं। भावुकता के चरम बिन्दु को छूने के बाद आप परेशानियों का सामना करने में अपने आपको पूरी तरह समर्थ पाते हैं।
दुःख-दर्द के मायनों को बदल डालें। कई बार आप खुराक पर ध्यान देने की कोशिश करते हो, उससे भी बात नहीं बनती। भोजन को छोड़ नहीं सकते क्योंकि दिमाग ज्यादा समय तक यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकता।
भूख से लड़ने की बजाय अपने दर्द की जांच करें। बहुत ज्यादा भोजन करने के बाद होने वाले हानिकारक परिणामों को याद करें। एक बार जब आपको यह महसूस हो जाएगा कि व्यायाम करना सुखदायक है तथा ज्यादा भोजन करना दुखदायक है, तब आपकी समझ में आएगा कि क्या सही है और क्या गलत?
कृपया ध्यान दें- ज्यादातर व्यक्ति अपने काम को, कल कर लूंगा या अभी तो टाईम में बाद में कर लूंगा, ऐसी आदत बनाकर टालने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन ऐसी आदत बाद में हमारी समस्याओं को सिर्फ बढ़ाने का ही काम करती है। अगर आप किसी काम को करने में देरी करते हैं तो अपने लिए और ज्यादा परेशानी ही पैदा करते हैं और कुछ नहीं।
अपने दिमाग में ऐसे चार कार्यों की सूची बना लें, जिन पर आपको आज काम करना है लेकिन आप उन्हें कल पर टालते जा रहे हैं? फिर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें-
1.     मैंने यह काम क्यों नहीं खत्म किया? ऐसा करने से पिछली बार मैने किस तरह की परेशानियों का सामना किया था।
2.     इस तरह की नेगेटिव (नकारात्मक) सोच रखकर क्या पहले कभी मुझे आनंद प्राप्त हुआ है?
3.     अगर मैं अपनी नेगेटिव सोच को बदलता नहीं हूं तो मुझे आगे चलकर किस-किस परेशानी का सामना करना पड़ेगा?
4.     अगर मै इसी समय से अपने कार्यों को करना शुरू करता हूं तो इससे मुझे कितना लाभ होगा?
हम सभी के मन में एक उम्मीद की लहर जरूर रहती है कि एक दिन, जब हमारे पास धन-दौलत, गाड़ी-बंगला होगा, जब हमारे हर किसी से अच्छे संबंध होगें, जब हम पूरी तरह स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट होंगे, जब हम दुनिया में नाम पाएंगे तो उस समय हम कितना ज्यादा खुश होंगे।
ये सभी लाभप्रद स्थितियां थोड़े समय की मेहमान होती हैं जो आपको हमेशा संतुष्ट प्रदान नहीं करा सकती हैं। यह आपकी मानसिक स्थिति है जो आपके मन को खुश रखती हैं, तो क्यों न हम इसी समय से खुश रहने की आदत डालें।
खुश रहने का तरीका- आप अपने आपको खुश कैसे रख सकते हैं? क्या इस समय आप इस स्थिति में हैं कि हर तरह की खुशी, आनन्द और प्रसन्नता महसूस कर सकें?
अपने दिमाग में उस घटना, उस पल को याद करने की कोशिश करें जब आपको लगा था कि मुझे इतनी खुशी आज तक नहीं मिली। उस पल का रेखाचित्र अपने मन-मस्तिष्क में बैठा लें और अपने उन हाव-भावों को चेहरे पर लाएं। अपनी सांस के आने और जाने की प्रक्रिया को वैसे ही रखें जैसी उस समय थी। अपनी नसों की गति को जांचें और अपनी शारीरिक क्रियाओं को भी पहले के समय अनुसार संचालित करें। अब देखें कि क्या आप उसी तरह को जोश और प्रसन्नता महसूस करें रहे हैं जैसी आपने खुशी के पलों में महसूस की थी? क्या ऐसा हो सकता है कि उन्ही खुशी भरे पलों को आप जब चाहों महसूस कर सकों?
अपना ध्यान केन्द्रित करके देखें, आप फौरन प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। किसी भी अनुभव को कई तरीकों द्वारा महसूस किया जा सकता है। हमारे पूरे शरीर में उकसाहट, उत्तेजना और चपलता हर समय रहती है, बस उसे बाहर कैसे निकालना है यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है।

15 जून 2016

Positive thinking - Part 2

How to concentrate

(Processing of concentration)


Let’s make a list of such formulae in which you can change your mood without using cigarette and wine and you can increase the positive state of your brain. 

Note down those ways which can change your negativity into positive attitude.

Processing of concentration
Include those new ideas and way in it which have not been used by you till now. You will feel better definitely by it. Don’t stop until your write down 15 to 30 new ideas. Though, hundreds of healthy ideas can be written on this subject. Try to note down these ideas.

There are many ways to feel happiness, gaiety and good and you can choose only one among them. 

Listen your favorite song; play any sweet sound on any instrument which lighten your ear, watch any comedy film of serial, take meal with friend, decorate your home with flowers, note down your experiences in the register and take a nap during day. 

Impossible only the magic of thinking:

Before several years, running one mile in four minutes was an impossible work but the racer Roger Banister broke this illusion. He completed this distance within 3.59 minutes. He depicted the mental portrayal of the victory because of which the nervous system of the body assumed in this way that he was sure for his victory. The success of banister opens the paths of victory for other racers. Thereafter, in a year, there were many racers who did this impossible work.    

You need to break the circles of the obstructions and to make every impossible work possible. By doing so, your life and life of the people who live near you will change. 

Plain process of the brain:

When we face any incident ever, our brain stores the pain or happiness of that incident inside it. This classification is based on this belief whether you feel the incident painful or pleasurable. It is quite right that our normal condition gets work from us but it has its own limitations. Some people keep them in the category of unqualified people because they face failures many times in the life. In this way, keeping yourself in any category can become the habit which opens the path to make the possible into impossible.

Do you compare your limited evaluation with the other people? Is there any exception?

8 जून 2016

Positive thinking

Positive thinking

How does out brain work:

Sometimes, it happens that we forget anything as watch, book, pen, etc what we kept anywhere in the home before some time and we are not able in remembering the place where the thing was kept. Why do not we remember the place where the thing was kept whereas none but we kept the thing.

There is a part in our brain which stores the information and plans remembered by us and which are necessary for our existence. If we have not described out plans clearly, it means that we have not made our brain firm for the fulfillment of our dreams and desires.

When we are giving training to our brain, we are governing to our reticular activating system at that time. At this time, the part of our brain where all information has been stored becomes like a magnet which keeps on attracting information and chances towards it.  

Keep your goals before you:

Imagine if you have completed all those work within a year about which you thought. How are you feeling now by thinking so and how are you feeling the life? This question will help you in the fulfillment of your plans. You need why and you will get how yourself.

You should keep four things in your brain among all those plans which are done first in a year by you. Thereafter, on the base of your restriction, write a paragraph on the topic what steps should be taken by you for completing all the plans.

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