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29 सित॰ 2024

एक नई मंजिल की तलाश: पूजा की प्रेरक कहानी

 Pooja Ki Prerak Kahani - Ek Manjil Ki Talash (पूजा की प्रेरक कहानी)

Kashi Railway Station के बाहर भीड़ बढ़ रही थी। May की तपती गर्मी में हर किसी को अपने मंजिल पर पहुंचने की जल्दी थी, लेकिन वहाँ खड़ी पूजा अपनी रिक्शा पर सवारी के इंतजार में थी। पूजा, एक अकेली लड़की थी, जो वहां पर रिक्शा चलाया करती थी। लोग उसे देखते और सोचते, "लड़की है, कमजोर होगी, ये क्या रिक्शा चला पाएगी?" और आगे की ओर बढ़ जाते।

May की गर्मी और इंतजार की घड़ियो में पूजा पसीने में भीग चुकी थी। उसके चेहरे पर थकान दिखने लगी थी, पर उसकी मुस्कान बनी हुई थी। तभी एक युवक उसके पास आया और पूछा, "बीएचयू हॉस्टल चलोगी क्या?"

पूजा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हां, तीस रुपये लगेंगे।" युवक ने बोला ठीक है और रिक्शा में बैठ गया। पूजा खुश थी, उसे आखिरकार एक सवारी मिल गई थी।

Ek Manjil Ki Talash

रास्ते में सवाल और जवाब

रिक्शा चलते समय युवक के मन में कुछ सवाल उठे। उसने पूछा, "तुम कब से रिक्शा चला रही हो?"

पूजा ने बिना झिझक कहा, "दो साल हो गए साहब।"

युवक ने आगे पूछा, "घरवाले तुम्हें रिक्शा चलाने से नहीं रोकते?"

पूजा ने धीरे से कहा, "साहब, मेरे कोई घरवाले नहीं हैं। मां तो बचपन में ही चली बसी थीं, और बाबा भी मुझे 12 साल की उम्र में छोड़कर चले गए। बाबा भी रिक्शा चलाते थे। उनकी यादों के साथ मैंने ये सफर शुरू किया है साहब।"

बाबा की आखिरी निशानी

युवक ने देखा कि पूजा का रिक्शा मोटर से चल रहा था। उसने पूछा, "तुम्हारे रिक्शे में तो मोटर लगी है, ये कब से?"

पूजा ने गर्व से कहा, "बाबा के जाने के बाद मैंने पैसे बचाकर इस रिक्शे में मोटर लगवा ली। यह उनकी आखिरी निशानी है। जब मैं इसे देखती हूं, तो लगता है कि मैंने उनके थके हुए पैरों को कुछ राहत दी है।"

अनजान खत: एक अनोखा प्रस्ताव

युवक जब मंजिल पर पहुंचा, तो पूजा को 500 का नोट दिया और चला गया। घर आकर पूजा ने जब 500 के नोट देखा, तो उस 500 के मुडे हुए नोट में से एक कागज निकला। पूजा पढ़-लिख नहीं सकती थी, इसलिए वह कागज को समझ नहीं सकी।

उसकी जिज्ञासा ने उसे पढ़ना सिखने पर मजबूर किया। कई महीनों की मेहनत के बाद, पूजा ने कुछ पढ़ना सीख लिया और वह कागज निकाला। उसमें लिखा था:

"तुम्हारी सादगी और अपने पिता के प्रति तुम्हारा प्रेम ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। मैं मोहित हूँ और मैं चाहता हूँ कि तुम मुझसे मिलो। पंद्रह दिनों के भीतर वहीं आओ, जहाँ तुमने मुझे छोड़ा था। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।"

"तुम बहुत प्यारी हो। तुम्हारी सादगी और अपने पिता के प्रति तुम्हारा समर्पण मुझे बहुत प्रभावित करता है। अगर तुम मुझसे मिलना चाहो, तो पंद्रह दिनों के अंदर वहीं आओ, जहां तुमने मुझे छोड़ा था। मैं हर दिन तुम्हारा इंतजार करूंगा। मैं तुम से शादी करना चाहता हूं"

देर से आया संदेश और पछतावा

खत पढ़ते ही पूजा के आंसू निकल आए। वह युवक, जिसने उसके रिक्शे में कुछ समय बिताया था, उसे जीवनभर साथ देने का प्रस्ताव दे गया था। काश! वह समय पर यह खत पढ़ पाती। काश! वह मोहित से मिल पाती। लेकिन अब वह सिर्फ पछतावा कर सकती थी। वह फिर से अपनी रिक्शा लेकर चल पड़ी, अपनी सवारियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने।

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दोस्तों इस कहानी से  क्या शिक्षा मिली,  चलिए कुछ सुविचार के माध्यम से समझते है-

इस कहानी ने क्या सुविचार दियें:


कड़ी मेहनत से कोई भी रास्ता पार किया जा सकता है, बस अपने लक्ष्य पर नज़र बनाए रखे।


सच्चा प्यार वही होता है, जो बिना शर्त जीवनभर का साथ देने का वादा करें।


पिता का आशीर्वाद और यादें हमेशा हमारे दिल को मजबूत और शकुन देता है।


हर संघर्ष आपको आपके उद्देश्य के करीब लाता है, बस हार न मानें।


वक्त की कद्र करना सीखो, क्योंकि जो समय निकल जाता है, वह कभी लौटकर नहीं आता।


सपनों का पीछा करो, भले ही राह में कांटे हों, क्योंकि जो मेहनत से नहीं डरते, वही अपने भाग्य को खुद लिखते हैं।

7 मई 2021

कोरोना एक महामारी है और महामारी को हराना है तो एक दूसरे के साथ देना जरूरी है

कोरोना एक महामारी है, सारे दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे का साथ दें। तभी कोरोना को हरा पायेंगे वरना रावण रूपी कोरोना को हरा पाना मुश्किल काम है। अगर आप सरकार के भरोसे बैठे है तो यह गलत है। सरकार तो अपना काम करे या न करें। हमे अपना ख्याल रखाना तो हमारा कार्य है न कि सराकार का। 

Corona Ek Mahamari Hai

जब आप बीमार पड़ जाते है तो उसके बाद आप सराकार के सहारे से ईलाज करवाते हैं। उससे पहले तो आपको खुद का ख्याल रखना जारुरी है। आप जानते हैं कि हामरे देश की आबादी 135 करोड़ के आस पास है। कोरोना कितने को अचानक चपेट में लेने लगा। ऐसे में कोई भी सरकार हो फेल तो हो ही जायेगा ना।  इसलिए सरकार को कोसने से अच्छा हो कि आप लोग आपस में मिलकर रहे और एक दूसरे की सहायता करें। चलिए आपके एक कहानी से समझाते हैं- 

एक व्यक्ति को कोरोना हो गया। उसे उसका बेटा Doctor पास ले गया। Doctor ने मरीज की जांच की और उसके बेटे को स्पष्ट कह दिया कि जल्दी से Plasma donor का इंतेजाम कर लों नहीं तो कुछ भी हो सकता है। 


बेटे को अब तो कुछ भी नही समझ आ रहा था। पास में ही उसकी मां फफक-फफक कर रो रही थी। सामने बेड पर थे पिताजी बेहद ही सीरियस थे। बेटे ने सब जगह तो देख लिया था, सबसे गुहार कर ली थी लेकिन B positive plasma का कोई इंतजाम नहीं हुआ। देखा जाएं तो B positive plasma उनके घर पर ही था। कुछ महीने पहले उसके चाचा जी ने कोरोना को हराया था। बेट सोच रहा था कि चाचा से कहे तो कैसे कहे। चाचा जी से कुछ विवाद था। बेटा सोच रहा था कि चाचा जी को कहुंगा तो वे मना कर देंगे। इसके बाद वह माता जी को पिताजी के पास छोड़कर plasma के इंतेजाम के लिए शहर चला गया। दोपहर गुजर गी लेकिन कोई B Positive plasma का डोनर नहीं मिला। थक हार कर घर लौट गया।


घर पर आकर माता जी से चिपककर फूट-फूट कर रोने लगा। फिर बोला कि माताजी कोई डोनर नहीं मिला। पास में ही उसके चाचा जी बैठे थे। उन पर नजर पड़ी तो कुछ बोल नहीं पाया। चाचाजी खुद ही उसके पास आये और बोले कि तु कुछ नहीं बतायेगा तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा। चाचा जी बेटे की आंसू को पोछते हुए बोले कि तेरा बाप मेरा भाई है। संकट और इस महामरी के समय में हमे एक दूसरे का साथ देना चाहिए। हमारा वाद विवाद जो हो उसकी जगह कहीं और पर है। भाई रहेगा तभी तो हम आपस में लड़ेगे और हस्सी मजाक करेंगे। जब भाई ही नहीं बचेगा तो मैं किस से लड़ाई करुंगा। अभी हमारा दुश्मन कोरोना है न कि भाई। पहले हमें कोरोना को हराना है। विवाद हम बाद में भी देख लेंगे। मैने Plasma दे दिया है। अब चुप हो जा। 


दोस्तों आशा करता हूं कि आपको इस कहानी के माध्यम से समझा पाया हुंगा कि अभी हमें मिलकर एक दूसरे का साथ देना है और कोरोना को हराना है। रावन के तो दस सिर थें, कम से कम वह दिखाई देता था तो श्रीराम भगवान ने मुकाबला किया था। मगर अभी जिस शैतान से सारी दुनियां लड़ रही है उसे लाखों सिर है जो दिखाई नहीं देते। वह हर वक्त अपना रूप बदता रहता है। ऐसे में यदि हम एक दूसरे की सहायता न करे तो क्या हम कोरोना को हरा पायेंगे। 


मैं जब भी खुद से नहीं हारा तो इस कोरोना वायरस की क्या औकात है |


एक-दूसरे का साथ दें, मास्क लगाकर रखें, उचित दूरी बनाकर रखें। तभी कोरोना को हरा पायेंगे। 


जय हिंद! जय भारत!

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23 जन॰ 2019

Short Story Quotes: - एक स्त्री के लिए उसका सबसे किमती आभूषण क्या है?

एक स्त्री के लिए उसका सबसे किमती आभूषण क्या है?


कुछ दिन पहले मैं नौसेना के एक उत्सव में शामिल होने गया था। जब मैं वहाँ गया तो पता चला कि ये सिर्फ महिलाओं के सम्मान के आयोजित किया गया था। सभी नौ सैना में काम करने वाले कर्मचारियों की पत्नि वहाँ आई हुई थी।

एक स्त्री के लिए उसका सबसे किमती आभूषण क्या है?


मैंने वहां पर देखा कि आगे की पहली पंक्ति में जो तीन महिलाएं बैठी हुई है उनका बहुत खास ध्यान रखा जा रहा है। अगल बगल से पूछने पर पता चला कि उनमें से दो तो सबसे वरिष्ठ अधिकारियों की पत्नियां थी।

लेकिन जो चीज़ मुझे सबसे अज़ीब लगी वो ये कि वो दोनों महिलाओं का अन्य लोगों के प्रति रवैया बहुत बुरा था। वो खुद को जाने क्या समझ रही थी। सब पर हुकुम चला रही थी और बद्तमीजी से बात करना ही वे अपना शान समझ रही थी। 
मैं तो यही सोच रहा था कि आखिर इन महिलाओं के पास खुद का व्यक्तित्व ही क्या था। बस अधिकारी की पत्नी होना ही काफी है क्या?

वहीं दूसरी तरफ ये तीसरी महिला थी जो बहुत ही नम्र और शांत स्वभावी थी। सभी को आदर दे रही थी। आदेश वो भी दे रही थी कर्मचारियों को किन्तु भाषा सुशील थी। पूछने पर पता चला कि वो अध्यापक है यहाँ और इसलिए सबके सम्मान की अधिकारी भी।

तीसरी महिला की पहचान उसके पति से नहीं बल्कि उसकी अपनी थी। उसकी पहचान कराने के लिए वहाँ किसी को उसके पति का नाम नहीं लेना पड़ा।

एक महिला के लिए उसका सबसे किमती आभूषण है उसकी खुद की एक अलग पहचान।
आखिर कब तक हम किसी की बेटी, किसी की पत्नी और किसी की माँ का घण्टा गले मे डालकर घूमेंगे?
किसी भी महिला का आभूषण उसकी विद्या होने पर भी विनम्रता है, और विवेक है - क्या सही क्या गलत, कौन मित्र कौन शत्रु, क्या सत्य और क्या असत्य, क्या धर्म और क्या अधर्म। यह विवेक विद्या के बिना संभव नहीं। विद्या ही मनुष्यमात्र का सबसे किमती आभूषण है। यह बार इसी घटना से स्पस्ठ हो जाता है। विद्या से इन्सान को निर्णय लेना, आत्मनिर्भर बनना और आत्मविश्वास होना, यह सब स्वतः सिद्ध हो जाता है।

शिक्षा (Education):


  1. शिक्षा को कभी पैसे से नहीं तौला जा सकता, यह तो वह आभूषण है जो सबसे मूल्यवान है। 
  2. निपुणता एक प्रकार का मार्ग है, कोई गणतब्य स्थान नहीं, इस मार्ग पर चलना ही शिक्षा कहलाता है। 
  3. शिक्षण केवल यह बताता है कि क्या संभव है और क्या असंभव, लेकिन सीखना असंभव को संभव बना देता है। 

8 सित॰ 2018

क्या सही और क्या गलत | Emotional Story | शिक्षाप्रद कहानी

क्या सही और क्या गलत, यह समझना आसान नहीं

कुछ समय पहले की बात है एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, जोकि कुछ इस प्रकार है -

एक बार एक युवा दमपति जहाज में सफर कर रहे थे तभी जहाज के साथ एक घटना घटी। जहाज पानी में डूबने लगा। पूरे जहाज में अफरा तफरी मच गई। लोग एक एक करके जहाज से उतरने लगे। तभी युवा दमप्ति का भी उतरने का नम्बर आया। लेकिन समस्यां ये थी कि जैसे ही औरत उतरने वाली थी जहाज और तेजी से डूबने लगा। उसी समय इस घटना ने कुछ यू मोड़ लिया जो बहुत ही चौकाने वाला था। औरत ने अपने आदमी को जहाज से धक्का दे दिया। फिर जहाज डूबने लगी और औरत ने अपने आदमी से चिल्लकर कुछ कहा। 

इतना कहानी सुनाते ही प्रोफेसर ने रुककर अपने विद्यार्थियों से पूछा कि बताओ उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा। 

विद्यार्थी जीवन में बच्चों में प्रश्न का जवाब देने कि बहुत ही ललक होती है। कुछ विद्यार्थी तुरंत चिल्लाये और कहा कि स्त्री ने अपने पति से I hate you ! कहा होगा। 

सभी विद्यार्थी से प्रश्न का जवाब सुनते हुए प्रोफेसर ने बीच में देखा कि एक विद्यार्थी बहुत ही शांत बैठा है। प्रोफेसर ने उससे भी पूछा कि बताओ तुम्हारा जवाब क्या है। 

इस पर लड़के ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि औरत ने अपने पति को यह कहा होगा कि हमारे बच्चे का देखभाल करते रहना। 
यह सुनकर प्रोफेसर बहुत हैरान हुए और उन्होंने ने विद्यार्थी से कहा कि तुमने यह कहानी पहले सुन रखी है क्या ?

इस पर विद्यार्थी ने कहा कि जी नहीं सर, यह बात मेरी बीमार मरती हुई मां ने मेरे पिताजी से कही थी। प्रोफेसर ने फिर दुखपूर्वक लड़के से कहा कि तुम्हारा जवाब बिल्कुल सही है। 

इसके बाद प्रोफेसर ने इस कहानी को आगे सुनाया और कहा कि जहाज डूब गया और स्त्री पानी में डूबकर मर गई। उसका आदमी किसी तरह से किनारे पर पहुंचा और अपना पूरा जीवन अपने बच्चों को ठीक प्रकार से लालन पालन में लगा दिया। कई वर्षों बाद जब व्यक्ति की मृतु हुई तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी एक पुत्री को अपने पिता की एक डायरी मिली। 

जब डायरी को उसकी लड़की ने पढ़ा तो उसे पता चला कि जिस समय उसके माता पिता जहाज में सफर कर रहे थे उस समय उसकी मां एक जानलेवा बिमारी से ग्रस्त थी और उसके जीवन के कुछ ही पल शेष रह गये थे। जहाज में बहुत ही अफरा तफरी का माहौल हो गया था और उस समय उसकी मां ने उसके पिता को कहा था कि मेरे जीवन के कुछ ही पल रह गये हैं और हमें अपने बच्चों का ललन पालन भी करना है और आप मुझे बचाने कि कौशिश करोगे तो हम दोनों ही मारे जायेंगे। इसलिए हमारे बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए आपको जीवित रहना होगा। आप किसी तरह से यहां से जाइयें और बच्चों का ख्याल रखना। 

ऐसे कठिन समय में लड़की के मां और पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया। उसके पित ने डायरी में लिखा कि तुम्हारी मां बहुत ही निडर थी जिसने उसे अपनी मृतु के समय पर भी बचने का साहस दिया और मुझे बताया कि तुम्हारे बिना हमारे जीवन का कोई मतलब नहीं है। उस समय मेरा भी मन था कि तुम्हरी मां के साथ समंदर में समा जाऊ लेकिन मुझे तुम्हारे भविष्य के लिए जीना पडा क्योंकि तुम्हारी मां से मैने वादा किया था कि मैं तुम्हरा ख्याल रखूंगा। 

जब  प्रोफेसर ने अपनी कहानी समाप्त की तो पूरी क्लास में शांति का महौल हो गयाा था। 

Suvichar4u को पढ़ने और देखने वाले मेरे प्रिय साथियों हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि इस संसार में कई सही और गलत बाते हैं लेकिन इसके अतिरिक्त कई जटिलतायें भी है जिसको समझना बिल्कुल भी असान नहीं है। इसलिए किसी भी बातों कि गहराई को जाने बिना परिस्थिति का सही सही आकलन करना बिल्कुल भी असान नहीं है। 

हमें यह समझने चाहिए कि किसी भी प्रकार का कलह होने पर पहले जो माफी मांगे, यह जरुरी नहीं कि वह गलत ही हो। हो सकता है कि  रिश्ते को बनाये रखने के लिए उसने ऐसा किया हो। 

दोस्तों के साथ खाते-पीते या पार्टी करते समय जो दोस्त बिल चुका रहो हो, यह जरुरी नहीं कि उसका जेब नोटों से ठसाठस भरा हो। यह भी तो हो सकता है कि दोस्ती के सामने वह पैसों कि अहमियत को कम समझता हो। 

जो लोग आपकी सहायता करते हैं यह जरुरी नहीं कि वह आपके एहसानों के बोझ तले दबा हो। यह भी तो हो सकता है कि उसके दिल में आपके लिए दयालुता और करुणा कुट कुट कर भरा हो। 

आज के समय में जीवन इसलिए कठीन बन गया है क्योंकि हमने लोगों को ठीक से समझना छोड़ दिया हैं। थोड़ी सी समझ और थोड़ी सी मानवता हमे सही रास्ता दिखा सकती है। जीवन में कई एसे मोड़ आयेंगे जिसको ठीक प्रकार समझने के लिए ठीक प्रकार से विचार करने की जरुरत पडे़गी। 

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धन्यवाद!

18 अग॰ 2018

Manushy Ka Svabhaav, Aaeena Se Kam Nahin

मनुष्य का स्वभाव, आईना से कम नहीं

किसी मनुष्य का उठना और बैठना या फिर उसका रहन-सहन या उसके बात करने का तरीका ,उसके बारे में सब कुछ बयान कर देता है। इसलिए कहा जाता है कि इन्सान का स्वभाव, आईना से कम नहीं कभी नहीं होता। 

मनुष्य चाहे कितना भी पढ़-लिख जाये या फिर कितना भी अमीर हो जाये लेकिन उसके बातचीत के स्वाभाव से उसके संस्कारों का पता लग ही जाता है। 

मनुष्य का स्वभाव, आईना से कम नहीं
इसलिए हमे अपने संस्कारों को कभी भी नहीं भुलना चाहिए। अपने संस्कार तथा स्वभाव पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है। कहते हैं न कि यदि बच्चों में अच्छे संस्कार और स्वभाव पैदा करना है तो उसके सामने हमें अपने अच्छे संस्कार तथा स्वभाव प्रस्तुत करते रहना चाहिए। किसी ने सही ही कहा है कि एक श्रेष्ठ बालक का निर्माण करना, सौ विद्यालयों का निर्माण करने से बेहतर होता है। 

आपने कई बार ऐसा देखा होगा कि कई व्यक्तियों कि आदतें उसके स्टेटस के बुल्कुल भी मेल नहीं खाता। 

इसी को ध्यान में रखते हुए मैं एक बहुत ही पुरानी कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूं। आशा करता हूं यह आपको बहुत ही पसंद आयेगी। 

बहुत पुराने समय की बात है, राजा के दरबार में एक अजनबी व्यक्ति नौकरी मांगने के लिए हाजिर हुआ। वहां पर उससे उसकी क़ाबलियत पूछी गई। इसके बाद उसने बताया कि मैं एक सियासी हूँ। इसके बाद राजा ने उसे घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज दे दिया और काम पर लगा दिया। कुछ दिनों बाद राजा ने उसे अपने सबसे अजीज घोड़े के बारे में पूछा तो उसने राजा को बताया कि घोड़ा नस्ली नहीं है। राजा को बहुत अदिख ताज्जुब हुई। उसने जंगल से घोड़े की जानकारी वाले को बुलाया। इसके बाद उसने बताय कि घोड़ा नस्ली नहीं है इसकी पैदायश पर इसकी मां मर गई थी और यह एक गाय का दूध पीकर उसके साध बड़ा हुआ है। फिर इसके बाद राजा ने उस सियासी को बुलाया और पूछा कि तुमको कैसे पता चला घोड़ा नस्ली नहीं है?

इसके बाद उने राजा को बताया कि यह गाय कि तरह सर को नीचे करके घास खाता है जबकि नस्ली घोड़ा घास को मुहं में रखकर सर को उपर उठा खाता है। इसके राजा बहुत खुश हुआ और उसे बहुत सारा इनाम दिया।   

इसके  साथ ही उसे रानी के महल में काम करने के लिए लगा दिया। कुछ दिने बाद राजा ने उससे रानी के बारे में राय मांगी तो उसे कहा कि तौर तरीके से रानी जैसे है लेकिन राजकुमारी नहीं। ऐसा सुनकर राजा के पैरों तले जमीन निकल गई और इसके बाद अपने सास को बुलाया और पूछताछ की तो पता चला कि उनकी बेटी जन्म लेने के 6 महीने बाद मर गई थी और इसके बाद उन्होने बच्चे को गोद लिया था जो आपकी रानी है। 

इसके बाद राजे ने सियासी से पूछा आपको कैसे पता चला ?

फिर सियासी ने कहा कि रानी का  आचरण नौकरों के साथ मूर्खों से भी बदतर है। एक खानदानी इन्सान का आचरण दूसरों के प्रति अच्छा होता है जो कि रानी में है नहीं। 

राजा एक बार फिर उससे बहुत खुश हुआ और बहुत से अनाज और भेड़ बकरिया उसके इनाम में दिया। कुछ दिन के बाद राजा ने सियासी को बुलाया और अपने बारे में पूछा तो उस पर सियासी ने कहा कि जान कि खैर हो तो मैं बताऊ। राजा ने वादा किया कि बताओ आपको कुछ नहीं होगा। फिर उसने राजा को कहा कि न तो आप राजा के पुत्र लगते हैं और न ही आपके अंदर राजा वाला गुण है। राजा को बहुत गुस्सा आया लेकिन उसने सियासी से वादा किया था इसलिए उसने उसे कुछ नहीं कहा। उसने अपनी मां को बुलाया पूछा। उसकी मां ने कहा कि हमारा औलाद नहीं था इसलिए हमने एक चरवाहे के बेटे को गोद लिया था जो कि तुम हो। फिर उसने सियासी से पूछा कि तुमको कैसे पता चाला तो उसने कहा कि राजा किसी को इनाम में हीरे मोती जवाहरात देता है न कि भेड़, बकरियां और खाने की चीज। इसलिए आपका चाल चलन चरवाहे के बेटे कि तरह है, किसी राजा की तरह नहीं। 

अतः इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है किसी भी मनुष्य का आचरण उसके चरित्र को बता देता है। हमारी रहन-सहन और स्वभाव हमारे बारे में सब कुछ बताता है कि हम क्या है।

आपको मेरे यह आर्टिकल कैसा लगा, कमेंट करके बताये। यदि यह जानकारी आपको दूसरों के साथ शेयर करने लायक लगा हो तो इसे शेयर करें। 

धन्यवाद।।

5 अप्रैल 2018

Bharat Bandh - A Story of MP Hero, Sajid

भारत बंद के दौरान ऐसा हिम्मत का काम - ऐसे व्यक्ति को सलाम

साजिद भाई की कहानी

Sajid Bhai Apko Salam karte hai

हम ऐसे व्यक्ति को सलाम करना चाहिए जिसमें अपनी जिन्दगी से ज्यादा दूसरों की जिंदगी को बचाने का हिम्मत हो। आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बात कर रहे है जो एक ड्राइवर है। इनका नाम साजिद है। भारत बंद के दौरान मध्यप्रदेश में कुछ आंदोलनकारियों ने एक पेट्रोल के टैंकर में आग लगा दिया। उस समय साजिद ने देखा कि पैट्रोल टैंकर में आग लगी है, तब साजिद ने हिम्मत से काम लिया और सोचा कि टैंकर यदि इस रिहायशी इलाके में फटा तो सैकडों लोगों कि जान चली जायेगी। फिर क्या इन्होने हिम्मत से काम लिया और अपनी जान की प्रवाह किये बैगर टैंकर को रिहायशी इलाके से दूर ले जाकर छोड़ा। इस हादसे में इनकी हाथ झुलस गयें। अब अंदाजा लगाइये कि यदि यह पेट्रोल से भरा टैंकर उस रिहायशी इलके में फटता तो कितने मासूम लोग मारे जाते। खुशी की बात यह है कि इन्होने हजारों लोगों की जान बचाई। हमें ऐसे लोगों को सलाम करना चाहिए न कि उसे जिसने भारत बंद का समर्थनकर लोगों के साथ लूट पाट की और हजारों लोगों को तंग किया। 

साजिद भाई आपको हम तहे दिल से सलाम करते है।

दलित होना कोई पाप नहीं, हमारे देश में आज भी बहुत से लोग है जो उच्च जाति में होते हुए भी बहुत गरीब है यहा तक के दो वक्त के रोटी भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं। इसलिए असली दलित तो वह है जो गरीब है और जिसको सही मायने में आरक्षण की जरूरत है। हम ऐसे हजारों दलित भाइयों का सम्मान करते हैं जिन्होने भारत बंद का समर्थन नहीं किया। आज में उन लोगों के लिए एक सुविचार लिख रहा हूं जिन्होने भारत बंद का आवाहन किया और हजारों लोगों को बेवजह परेशान किया। 

आज का सुविचार

जो भगवान का सौदा करता है ,
वो इन्सान की कीमत क्या जाने ,,
जो भारत बंद की बात करता है,
वो अम्बेडकर की कीमत क्या जाने!

एक सोच और एक विचार

भीमराव रामजी आंबेडकर ने कभी नहीं कहा कि भारत बंद की जाएं बल्कि उन्होने तो अपने समय यह कहा होगा कि इतनी मेहनत करों कि भारत से गरीबी मिट जाये। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि इनकी शिक्षा जितनी थी उस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भीमराव रामजी आंबेडकर कितने मेहनती व्यक्ति थे। इनके नाम का गलत मतलब न लगाये इन्होंने सविधान को उस समय के हिसाब से लिखा होगा जिस समय में वो थे। समय के साथ साथ परिवर्तन करना पड़ता है, नहीं तो अंत निकट आ जाता है इसलिए समय और परिस्थिति के साथ बदना सीखें। 

Author - Vinay Singh

31 मार्च 2018

Shan Man Ka Chamatkar - Peace of Mind, शांत मन, चमत्कार

शांत मन हमेशा चमत्कार कर सकता है जाने कैसे?

एक बार की बात है एक किसान ने अपनी घड़ी को चारे से भरे हुए बाड़े में खो दिया। उसकी घड़ी बहुत ही महंगी थी इसलिए उसने घड़ी को बहुत अधिक खोजा लेकिन घड़ी मिली नहीं। 

उसी के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे और किसान को कुछ और भी काम करना था। तब उसने सोचा कि क्यों न बच्चों को घड़ी खोजने के लिये कह दूं। फिर इसके बाद उसने बच्चों को कहा कि जो बच्चा  घड़ी को खोज लेगा, उसे अच्छा इनाम दिया मिलेगा।  

ऐसा सुनकर बच्चे लालच में आ गये और चारे के बाड़े के अन्दर दौड़ गये। इसके बाद वे घड़ी को ढूंढने लगे। किंतु बहुत अधिक ढूंढने के बाद भी घड़ी नहीं मिली। इसके बाद एक बच्चा किसान के पास गया और बोला कि मैं घड़ी को ढूंढ सकता हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है कि सारे बच्चे को बड़े से बाहर जाना होगा। तब किसान ने उसकी यह बात मान ली। इसके बाद सारे बच्चे बाड़े से बाहर आ गये। इसके बाद वह बच्चा बाड़े के अंदर अकेला चला गया और कुछ समय बाद ही वह घड़ी के साथ वापस आ गया। 

घड़ी को देखकर किसान बहुत अधिक खुश हो गया और आश्चर्यचकित भी हुआ। इसके बाद उसने बच्चे से पूछा कि तुमने किस तरीके से घड़ी को खोजी। जबकि बाकि बच्चे और मैं खुद भी उसे बहुत कोशिश के बाद भी नहीं ढूंढ पाया। 

इसके बाद बच्चे ने किसान को बोला कि मैनें घड़ी को ढूंढने के लिए कुछ ज्यादा मेहनत नहीं की, बस शांत मन से जमीन पर बैठकर घड़ी के आवाज को सुनने की कोशिश की। वहा पर बड़ी शांती थी इसलिए मैनें घड़ी के आवाज को सुन ली और उसी तरफ देखा तो मुझे घड़ी मिल गई। 

शांत मन हमेशा चमत्कार कर सकता है जाने कैसे?

सुविचार : - इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि यदि किसी भी कार्य को शांत दिमाग से किया जाये तो वह ठीक प्रकार से हो सकता है जैसे बच्चे ने शांत दिमाग से घड़ी को खोज निकाला। इसलिए कहा जाता है कि एक शांत दिमाग ठीक प्रकार से सोच सकता है, एक थके हुए दिमाग की तुना में। आप प्रतिदिन कुछ समय के लिए अपनी आंखों को बंद करके शांत बैठिये और मष्तिष्क को शांत होने दीजिये और फिर देखिये आपके जिंदगी का हर काम कैसे असानी से हल हो जायेगा। एक बात अवश्य जान लीजिए कि हमारी आत्मा हमेशा अपने आप को ठीक करना जनती है, बस आप अपने मन को शांत कीजिए।
Author - Vinay Singh

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