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Vishwa Sangeet Divas (World Music Day) Suvichar

नमस्कार दोस्तों, मैं V.S. Chandravanshi एक बार फिर से अपने Suvichar4u.com ब्लोग में स्वागत करता हूं। आज मैं आपको यहां पर Vishwa Sangeet Divas की जानकारी देने वाला हूं। इसके अलावा, इस दिन को खास बनाने के लिए मैं आपके साथ विश्व संगीत दिवस के सुविचार भी प्रस्तुत करूंगा ताकि आप इसे अपने प्रियजनों, मित्रों और रिस्तेदारों के साथ साझा कर सकें।

"संगीत हृदय की भाषा और आत्मा की प्रार्थना है। 

यह भीतर के दिव्य से बात करता है और ब्रह्मांड के साथ प्रतिध्वनित होता है।"

विश्व संगीत दिवस


विश्व संगीत दिवस

World Music Day को भारत में विश्व संगीत दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह हर साल 21 जून को विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। 

विश्व संगीत दिवस, संगीत की वैश्विक भाषा और सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं के पार लोगों को एकजुट करने की इसकी शक्ति का सम्मान करने के लिए समर्पित है। अगर बात की जाए भारत देश की तो आपको बता दें कि यहां पर हिंदुओं और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए, संगीत आध्यात्मिक अभ्यास और दैनिक जीवन में एक गहन स्थान रखता है। इसी वजह से भारत में Vishwa Sangeet Divas को एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। 

वैसे तो भारत में लगभग सभी धर्मों के लोगों को संगीत में रुचि होती है लेकिन हिंदुओं को इससे बहुत अधिक प्यार है तभी तो हिंदुओं के भजनों, मंत्रा और ईश्वर की आराधना में इसका विशेष स्थान है। यहां पर बनने वाली लगभग सभी फिल्मों में आपको संगीत सुनने को मिलेगा। ऐसा लगता है कि बिना इसके अगर फिल्म बनाई जाए तो वह फिल्म यहां पर चल ही नहीं सकती है। अब आप इस बात से समझ गये होंगे कि यहां पर संगीत का कितना अधिक माहत्व है। 


विश्व संगीत दिवस की उत्पत्ति कब हुई?

विश्व संगीत दिवस, या World Music Day, पहली बार 1982 में फ़्रांस में मनाया गया था। उस समय इसको मनाने का उद्देश्य सभी स्तरों और शैलियों के संगीतकार सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन कर सकें। जिससे दुनिया भर में संगीत के आनंद और प्रशंसा (the enjoyment and appreciation of music) को बढ़ावा मिल सकें। 

लोगों के World Music Day मनाने की इस पहल ने तेज़ी से लोकप्रियता हासिल की और तब से 120 से ज़्यादा देशों ने इस त्यौहार को अपनाया है और मनाना शुरू किया। यदि आप हर देश के विश्व संगीत दिवस मनाने को ध्यान से देखें तो आपको उनके देश की इस उत्सव में एक अनूठी सांस्कृतिक (unique cultural glimpse) झलक देखने को मिलेगी। जिससे आपको पता चलेगा कि उस देश में संगीत को कितना माहत्व दिया जाता है।

सनातन धर्म में संगीत का मात्व

चलिए अब मैं आपको संगीत का सनातन धर्म में क्या माहत्व है, इसे बताता हूं। सनातन धर्म में संगीत (music) सिर्फ़ एक कला नहीं बल्कि एक दिव्य अभ्यास (divine practice) है। यह आध्यात्मिकता से गहराई से जुड़ा हुआ है और ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम है। चलिए यहां पर हिंदू धर्म में संगीत किस तरह से भूमिका निभाता है, इससे जानते हैं:

भजन और कीर्तन: 

यदि आप विश्व संगीत दिवस के बारे में जानेंगे तो आपको यह भी पता चल जायेगा कि सनातन धर्म में भजन और कीर्तन (Bhajans and Kirtans) का कितना आधिक मात्व है। ये एक प्रकार की भक्ति गीत होती है जो हिंदू पूजा का अभिन्न अंग हैं। भजन अक्सर सरल, गीतात्मक गीत होते हैं जो ईश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करते हैं जबकि कीर्तन में ईश्वरीय नामों का दोहराव होता है और समूह में गाया जाता है। 

विश्व संगीत दिवस सुविचार: 

"हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे,

हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।"

आपने अक्सर यह कीर्तन लोगों को करते हुए सुना होगा। जब कभी आप इसे सुनते हैं तो आपका मन ईश्वर के प्रति आपके अंदर प्रेम और श्रद्धा जागृत करना शुरू कर देता है। 

वैदिक भजन और मंत्र: 

यदि आप सनातन धर्म (Sanatan Dharma) को गहराई से जानेंगे तो आपको पता चलेगा कि प्राचीन पवित्र ग्रंथों, वेदों में कई भजन और मंत्र हैं जिन्हें अनुष्ठानों और समारोहों के दौरान गाया जाता था। आज भी बहुत से लोग इनको एक खास दिन पर गाते और सुनते हैं। ऐसा एक रिसर्च से पता चला है कि इन वैदिक भजन और मंत्रों में शक्तिशाली कंपन ऊर्जा होती है जो हमारे मन और आत्मा को शुद्ध कर सकती है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:

ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं 

भर्गो देवस्य धीमहि 

धियो यो नः प्रचोदयात्।

आपने ऊपर बताई गई गायत्री मंत्र को अक्सर सुना होगा। इस मंत्र को जब आप अपने शुद्ध मन से गायेंगे तो आपको इसकी शक्ति की अनुभति हुई होगी। इस बात से आप समझ सकते हैं कि सनातन धर्म में संगीत का कितना अधिक माहत्व है। 

 शास्त्रीय संगीत: 

भारतीय शास्त्रीय संगीत, कर्नाटक और हिंदुस्तानी दोनों, की जड़ें वैदिक परंपराओं में बहुत अधिक देखने को मिलता हैं। इसे मोक्ष (मुक्ति) का मार्ग भी माना जाता है और इसमें जटिल संरचनाएं और सुधार शामिल हैं जो ईश्वर की अनंत रचनात्मकता को दर्शाते हैं। भारत के शास्त्रीय संगीत विश्व संगीत दिवस को मानने के उद्देश्य में अपना बहुत माहत्वपूर्ण स्थान रखता है। 

सा रे ग म प ध नि,

सा रे रे ग ग मम प ध ध नि नि

पूजा में वाद्य यंत्र: 

वीणा, मृदंगम, तबला और बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल न केवल संगीत समारोहों में किया जाता रहा है, बल्कि मंदिरों और धार्मिक समारोहों में भी इनका उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि इन वाद्य यंत्रों की ध्वनि चेतना को बढ़ाती है और व्यक्ति को ईश्वर के करीब ले जाती है। भारत में कई ऐसा गीत और संगीत सुनने को मिल जायेंगे जिनको प्रसिद्ध करने में इन वाद्य यंत्रों का बहुत बड़ा रोल है। 

आप ऊपर बताई गई इन चारों उदाहरणों से समझ ही गयें होंगे कि भारत में विश्व संगीत दिवस अथार्त World Music Day का कितना अधिक माहत्व है। 

विश्व संगीत दिवस मनाना

विश्व संगीत दिवस (World Music Day) सनातन धर्म प्रेमिओं को अपनी समृद्ध संगीत विरासत (rich musical heritage) का जश्न मनाने और इसे दुनिया के साथ साझा करने का अवसर प्रदान करता है। मैं यहां पर आपको इस दिन को मनाने के कुछ तरीके बता रहा हूं:

1. सार्वजनिक प्रदर्शन: 

विश्व संगीत दिवस पर आप भजन, कीर्तन या शास्त्रीय संगीत के सार्वजनिक प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं या फिर उनमें भाग ले सकते हैं। आप चाहें तो मंदिर, सामुदायिक केंद्र और सार्वजनिक पार्क या अन्य स्थान जहां पर लोग गीत और संगीत सुनने जाते हैं वहां पर आप अपनी कला को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं। आजकल तो आप शोसल मीडियां के द्वारा भी संगीत को लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं और लोगों को खुशी देने के साथ-साथ आपभी आनंद ले सकते हैं। 

2. डिजिटल समारोह: 

आज का युग डिजिटल बन चुका है। अब बहुत से लोग World Music Day को मनाने के लिए वर्चुअल कॉन्सर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग इवेंट का आयोजन करते हैं। इसके द्वारा वे वैश्विक दर्शकों तक अपनी पहुंच को असानी से बाने लेते हैं। आप चाहते तो इस दिन को खास बनाने के लिए आप भी डिजिटल प्लेटफार्म का सहारा ले सकते हैं। 

3. संगीत कार्यशालाएँ: 

यदि आप संगीत प्रेमी है तो आपको विश्व संगीत दिवस अवश्य ही मनाना चाहिए। इससे आपको भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों, गायन और हिंदू धर्म में संगीत के महत्व की मूल बातें सिखाने को मिलेगी। इस त्यौहार के द्वारा आप भारतीय संगीत परंपराओं के बारे में जागरूकता और प्रशंसा फैलाने में मदद कर सकते हैं। 

4. ध्यान सत्र: 

भारत में बहुत से लोग विश्व संगीत दिवस को मनाने के लिए ध्यान और आध्यात्मिक विकास का सहारा लेते हैं जो संगीत की शक्ति को दिखाता है। आप ऐसे सत्र का आयोजन कर सकते हैं जहां पर संगीत और वैदिक मंत्रों के साथ ध्यान लगाया जाता है। इससे आपका मन शांत और आध्यात्म की ओर अग्रसर होगा। 

5. सहयोगी कार्यक्रम: 

आप World Music Day मनाने के लिए किसी ऐसा कार्यक्रम में जा सकते हैं जहां पर विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के संगीतकार अपनी गीत को प्रस्तुत कर रहे हो। ऐसा करने से आपमें संगीत के प्रति समझ और एकता को बढ़ावा मिल सकता है। 

संगीत की सार्वभौमिक भाषा

सरल शब्दों में कहें तो संगीत एक सार्वभौमिक भाषा (universal language) है। यह सांस्कृतिक बाधाओं को पार करता है, जिससे यह अभिव्यक्ति और जुड़ाव का एक सार्वभौमिक (वैश्विक) माध्यम बन जाता है। हिंदुओं के लिए, संगीत ईश्वरीय अनुभव और अभिव्यक्ति का एक तरीका है, जो आनंद, सांत्वना और अपनेपन की भावना लाता है। इस विश्व संगीत दिवस (World Music Day) पर, आइए हम इस कालातीत कला (timeless art) रूप का जश्न मनाएं जिसमें उपचार, प्रेरणा और एकजुटता की शक्ति है।

इसके अलावा अन्य सुविचार को यहां से देंखे और पढ़ें: 

World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस सुविचार

विश्व पर्यावरण दिवस और पर्यावरण जागरूकता का महत्व

नमस्कार दोस्तों, आज मैं इस सुविचार ब्लोग में आपको विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य बताउंगा तथा साथ ही साथ हीटवेव को भी समझेंगे ताकि पर्यावरण जागरूकता का महत्व को ठीक प्रकार से समझ सकें। 

स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ जीवन।

World Environment Day


विश्व पर्यावरण दिवस को अंग्रेजी में World Environment Day कहा जाता है। यह हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और हमारे ग्रह की रक्षा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। आप अगर भारत में रहते हैं तो कुछ समय पहले ही एक चिंता का एक महत्वपूर्ण विषय सामने देखने को मिला है। वह है हीटवेव। इसकी बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता आम मानस जन को परेशान कर रखा है। भारत में तो इसकी वजह से इस वर्ष सैकड़ों लोगों की अभी तक जान भी जा चुकी है। इसलिए इस विषय को आज के दिन समझना बहुत जरूरी है।

विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व

चलिए सबसे पहले विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व को जानते और समझते हैं:

सबसे पहले 1974 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का एक आह्वान किया गया था। जिसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण  के प्रति  सही और उचित जानकारी प्रदान की जाए। यह प्रत्येक वर्ष, यह दिन एक विशिष्ट विषय पर केंद्रित होता है जिसमें पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता पर प्रकाश डाला जाता है। इस वर्ष का थीम भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता है। भारत ही नहीं बल्कि विश्व की यह एक बहुत बड़ी समस्या है। आज जमीन बंजर, मरुस्थली और सुखा होता जा रहा है जिसकी वजह से हीटवेव की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण क्या आपको पता है। अगर हां तो अच्छी बात है अगर नहीं तो चलिए इसे जानने की कोशिश करते हैं। 

हीटवेव: एक बढ़ती हुई चिंता

आज हीटवेव की वजह से भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में लोगों को भयंकर कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। यह मौसम की घटनाएँ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रही है और पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर रही है। यहां हमारी बुनियादी ढाँचे को भी प्रभावित कर रही है। हीटवेव के पीछे के कारणों को समझना उनके प्रभाव को कम करने और प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों को विकसित हमारे लिए आज आवश्यक है। चलिए आज World Environment Day के दिन इसे जानते और इससे निपटने का प्रयास करते हैं। 

हीटवेव के कारण

  • जलवायु परिवर्तन: हीटवेव का बढ़ता प्रकोप लोगों को परेशान कर रहा है इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन है। आज पूरे संसार में विकास  के नाम पर ग्रीनहाउस गैस का अत्यधिक उत्सर्जन, विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि, पेड़ों को काटने से हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से हीटवेव का प्रभाव अब हर साल देखने को मिल रहा है।
  • शहरीकरण: आज पूरे विश्व में तेजी से शहरीकरण हो रहा है जिसकी वजह से पेड़ों की कटाई बहुत अधिक हो रही है और पृथ्वी से हरियाली खत्म होती जा रही है। मैं शहरीकरण को गतल नहीं मान रहा लेकिन उसके साथ-साथ यदि हम हरियाली पर जोर दें तो अच्छा होगा। आपने हमेशा अनुभव किया होगा कि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण समकक्षों की तुलना में अधिक तापमान का अनुभव होता है। शहरी करण में कंक्रीट और डामर का व्यापक उपयोग अत्यधिक हो रहा है जिसकी वजह से जमीन में नमी की कमी हो रही है और शहरों का तापमान बढ़ता जा रहा है। 
  • वनों की कटाई: हम सभी को पता होना चाहिए कि वनों के खत्म होने से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और तापमान को नियंत्रित करने की पृथ्वी की क्षमता कम हो रही है। पेड़ हमारी जलवायु के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका में असमर्थ हो रहे हैं, और उनकी कटाई से तापमान में वृद्धि हो रही है और मौसम के पैटर्न में व्यवधान भी उत्पन्न होता जा रहा है। यदि आप इस समस्यां को समझ गये हैं तो आज से ही अपने आस-पास पेड़ लगाना शुरू करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। क्योंकि ऐसा करके ही हम अब पर्यावरण असंतुलन को दूर कर सकते हैं। 
  • जानकारी और जागरूकता की कमी: बहुत से लोगों को हीटवेव की गंभीरता के बारे में उचित जानकारी नहीं है। हीटवेव के कारणों की जानकारी फैलाए और लोगों को समझाये कि हमारा पृथ्वी क्यों अब गर्म होता जा रहा है। चलिए अब हम लोगों को विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए प्रेरित करते और जगरूकता फैलाए। 

हीटवेव से निपटने में विश्व पर्यावरण दिवस की भूमिका

विश्व पर्यावरण दिवस हीटवेव सहित पर्यावरण संबंधी कई मुद्दों के बारे में लोगों में शिक्षा का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि हम भी अब से इसके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ायेंगे तो काफी हद तक हम हीटवेब के प्रकोप से लोगों को बचा सकते है। 

World Environment Day

विश्व पर्यावरण दिवस प्रेरणादायक सुविचार

चलिए इस विश्व पर्यावरण दिवस पर कुछ कुछ प्रेरणादायक सुविचार पढ़ते हैं जो हमें पर्यावरण संतुलन के लिए प्रेरणा दें:

प्रकृति से प्रेम करें, क्योंकि इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती।


आज पर्यावरण की रक्षा करें, तो कल सुरक्षित होगा।


हरियाली के बिना जीवन खत्म है, पेड़ लगाएं, पर्यावरण बचाएं।


प्रकृति की रक्षा, संस्कृति की रक्षा से बड़ी होती है।


पर्यावरण का संरक्षण करना ही, सच्ची देशभक्ति है।


पृथ्वी हमारी मां है, इसका सम्मान करें और इसकी सुरक्षा करों।


आज का वृक्षारोपण, कल का स्वच्छ पर्यावरण का कारण बनेगा।


प्रकृति की गोद में ही सच्ची शांति मिलती है, इसलिए मकान बनाने से ज्यादा हरियाली पर ध्यान देना उचित है। 


जब पर्यावरण स्वच्छ रहेगा, तब जीवन को खुशहाल बनेगा।


मैं आशा करता हूं कि आपको ये सुविचार पसंद आये होंगे। यदि आपके पास भी लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ प्रेरित सुविचार है तो कमेंट बोक्स में साझा करना न भूलें। 


Radha Krishna Shayari | कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन

 राधे-कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन

सनातन धर्म में भगवान कृष्ण का बहुत अधिक माहत्व है। भगवान श्री कृष्ण का प्रेम सबसे आकर्षक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने वाले विषयों में से एक है। ये भगवान विष्णु के आठवें अवतार है। Lord Krishna न केवल अपनी दिव्य लीलाओं के लिए बल्कि प्रेम की अपनी गहन अभिव्यक्तियों के लिए भी पूजनीय हैं। चलिए इस लेख के माध्यम से कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन (radha krishna shayari 2 line) को पढ़ते और भक्ति में खो जाते हैं। 

जब गोपियाँ खड़ी हुईं थे वन में,

कृष्ण का प्यार बसा था उनके मन में।

रास की धुन पर नाचती थीं गोपियाँ संग संग,

कृष्णा की मोहिनी सूरत में था सबका रंग।

Radha krishna shayari 2 line


कृष्ण के प्रेम का सार

कृष्ण का प्रेम एक भक्तिभाव में डूबा हुआ रस है जिसका स्वाद जो बी एक बार चख लेता है उसका यह जिंदगी सफल हो जाता है। जब आपने कभी श्री कृष्ण लीला की कहानियों को सुना होगा तो अवश्य ही जान लिया होगा कि वृंदावन की गोपियों (गाय की लड़कियों) के साथ कृष्ण भगवान की चंचल और शरारती बातचीत, राधा के साथ उनका शाश्वत बंधन और उनके सभी भक्तों के साथ उनका दयालु रिश्ता कितना सुंदर और मनोरमय था। इसी प्रकार के कई अन्य भाव और कहानी श्री कृष्ण भगवान की है जिनके बारे में कई कवियों ने कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन लिखी है। कई ने तो कृष्णा की भक्ति रस को अपने कविता के माध्यम से लोगों को बताया है। 

जिन कवियों और लेखकों में श्री कृष्णा के प्रति भक्ति और प्रेम अधिक होता है वे ही केवल कृष्ण के प्रेम का सार का वंदन किया है तथा अपने शब्दों के माध्यम कविता के रूप में प्रस्तुत किया है। आपने इतिहास में कई कवियों जैसे सूरदास और मीरा मीरा आदि के बारे में जाना और समझ होगा। इन्होने अपने भगवान कृष्णा के प्रेम को कई शब्दों, सुविचारों और दोहे को ब्यान किया है।  

श्री कृष्णा से संबंधित शायरी को समझना

यदि आप श्री कृष्णा से संबंधित शायरी को पढ़ेंगे तो एक भक्ति रस का अलग ही आनंद मिलेगा। भगवान श्री कृष्ण से संबंधित प्रमुख शायरियां मुख्य रूप से उर्दू और हिंदी साहित्य में पाया जाता है। अधिकतर शायरियों में आपको प्रेम से संबंधित शब्दों के साथ भावना और विचार जो अन्य शायरी में आपको कभी भी नहीं मिल सकता है। इन शायरियों को पढ़कर आप प्रेम, लालसा और भक्ति भाव में खो सकते हैं। आप भी श्री कृष्ण भगवान की भक्ति को जानकर और समझकर कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन लिख सकते हैं और दूसरों के साथ शेयर कर सकते हैं। 

प्रेम वह नहीं जिसे इजहार किया जाए


राधा-कृष्ण का शाश्वत प्रेम

प्रेम के सही अर्थ को समझने के लिए आपको राधा-कृष्ण का शाश्वत प्रेम को जानना और समझना चाहिए। क्योंकि इनकी प्रेम कहानी को अक्सर शुद्ध और निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक माना जाता है। राधा-कृष्ण का रिश्ता भौतिक दायरे से परे है, जो व्यक्तिगत के आत्मा के साथ परमात्मा मिलन का प्रतीक है। यदि आप इसके भाव और प्रभाव को समझना चाहते हैं तो आपको राधा-कृष्ण से संबंधित सुविचार और शायरियों को पढ़ना चाहिए। 

कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन

राधा-कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था 
दूनियां को प्यार का मतलब समझाना था। 

प्रेम वह नहीं जिसे इजहार किया जाए, 
प्रेम तो वह है जो केवल महसूस किया जाए। 

राधा के सच्चे प्रेम का यह इनाम है
कृष्ण से पहले राधा का नाम है। 

तेरी सूरत की दीवानी हूँ, मुझे राधा सा प्यार दें,

कान्हा मेरे दिल को अपने प्रेम भाव से भर दें।


कान्हा की बंसी, राधा का प्यार,

हर दिल में बसा है, ये अनमोल उपहार।


मुरली की धुन पर, राधा का नृत्य,

श्री कृष्ण की भक्ति पर, हर मार्ग है सत्य। 


जिस तरह राधा के बिना कृष्णा अधूरे,

उसी तरह भक्ति के बिना भाव अधूरे। 


प्रेम करना है तो राधा की तरह करें
एक बारे मिले तो फिर कभी न बिछड़ें। 

यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता, 
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नहीं होता। 

सखी राधा जहां, श्री कृष्ण वहां वहां,
जो हृदय में बस जाएं वो बिछड़ता कहां है। 

लफ्ज़ कम है, मगर कितने प्यारे हैं,
तुम हमारे हो, हम तुम्हारे हैं। 

हे मुरलीधर समां बांध देते हैं तुम्हारे ख्याल, कुछ इस तरह मन में दोरे ए गुफ्तगू, 
चलता हैं सारी सारी रात आंखों में..
हरे कृष्णा राधे राधें

हम आशा करते हैं कि आपको कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन शायरी और भक्ति शायरी पसंद आयी होगी। इसी तरह के अन्य सुविचार पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करना न भूलें: - 

श्री कृष्णा सुविचार

 

Buddha Purnima and suvichar in Hindi

 बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध का जन्मदिन | बुद्ध सुविचार

बुद्ध पूर्णिमा को वेसाक या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया भर में बौद्धों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे पवित्र महत्वपूर्ण त्योहार है। जानकारी के लिए बता दें कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। यह त्योहार इनके जन्म, ज्ञानोदय और मृत्यु (परिनिर्वाण) का स्मरण कराता है। यदि आप एक छात्र है तो आपके लिए, बुद्ध पूर्णिमा के महत्व को समझना न केवल विश्व धर्मों के बारे में उनके ज्ञान को समृद्ध करता है बल्कि बुद्ध की शिक्षाओं से गहन जीवन सबक भी प्रदान करता है। चलिए इस ब्लोग के माध्यम से बुद्ध पूर्णिमा के बारे में जानकारी के साथ-साथ बुद्ध सुविचार को पढ़ते हैं ताकि भगवान बुद्ध द्वारा दी गई शिक्षाओ से परिचित हो सके।

अतीत में मत उलझो, भविष्य के सपने मत देखो, मन को वर्तमान क्षण पर केन्द्रित करो। - भगवान बुद्ध

बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को जनने और समझने का एक माहत्वपूर्ण दिन है। इसे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बहुत उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान बुद्ध के सुविचार, उनके गहन उद्धरण और शिक्षाएँ, करुणा, मनन और आंतरिक शांति का जीवन जीने आदि को जानने और समझने की कोशिश करते हैं। इस ब्लोग में हम भगवान बुद्ध के सुविचार और उनके ज्ञान पर प्रकाश डालेंगे। 

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

यह त्योहार हिंदू महीने वैशाख जो की अंग्रेजी का अप्रैल या मई महीना होता है, उसमें आता है। यह बौद्ध धर्म में सबसे पवित्र दिन होता है। इस दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओ, उपदेशों और अनुष्ठानों को समझा जाता है तथा भगवान बुद्ध से प्रथाना की जाती है कि उनका जीवन सार्थक और धर्म के मार्ग पर चलने वाला हो। यदि आप भगवान बुद्ध के पूरे जीवन को जानने और समझने का प्रयास करेंगे तो आपको ऐसी शिक्षाओं और ज्ञान प्राप्त होगा  जो कही और नहीं मिल सकती है। 

ऐतिहासिक संदर्भ

भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी में हुआ था। यह स्थान वर्तमान समय में नेपाल में स्थित है। बुद्ध बहुत ही सम्पन्न परिवार में जन्म लिये थे लेकिन वे बचपन से ही सत्य की खोज में लग गये जिसकी वजह से वे  राजसी जीवन त्याग दिये और आत्मज्ञान की तलाश  में लग गयें। उन्होने कई वर्षों तक भारत के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की। जिसके परिणाम स्वरूप बुद्ध को यहां पर ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद वे भगवान बुद्ध कहलाने लगे। बुद्ध ने अपना सारा जीवन आत्मज्ञान का मार्ग सिखाने, करुणा, ज्ञान और नैतिक आचरण पर जोर देते हुए बिताया। 

बुद्ध का जन्मदिन

बु्द्ध का जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भारत, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और जापान सहित अन्य देशों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। चलिए इस दिन को खास बनाने के लिए उनके शिक्षाओ का अनुसरण करते हैं। 

बुद्ध सुविचार

तीन चीजें लंबे समय तक छिपी नहीं रह सकतीं: सूर्य, चंद्रमा और सत्य। - भगवान बुद्ध


आप, स्वयं, पूरे ब्रह्मांड में किसी भी व्यक्ति की तरह, अपने प्यार और स्नेह के हकदार हैं।  - भगवान बुद्ध


शांति भीतर से आती है। इसे बाहर मत खोजो।  - भगवान बुद्ध


मन ही सब कुछ है। आप जो सोचते हैं, आप बन जाते हैं।  - भगवान बुद्ध


स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ी दौलत है, वफादारी सबसे अच्छा रिश्ता है।  - भगवान बुद्ध


शरीर को अच्छे स्वास्थ्य में रखना एक कर्तव्य है... अन्यथा हम अपने दिमाग को मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।  - भगवान बुद्ध


कोई भी हमें खुद के अलावा नहीं बचा सकता है। कोई भी नहीं कर सकता है और कोई भी नहीं कर सकता है। हमें खुद ही रास्ता चलना चाहिए।  - भगवान बुद्ध


एक मोमबत्ती से हज़ारों मोमबत्तियाँ जलाई जा सकती हैं, और मोमबत्ती का जीवन छोटा नहीं होगा। साझा करने से खुशी कभी कम नहीं होती।  - भगवान बुद्ध


जीवन में एकमात्र वास्तविक विफलता यह है कि आप जो सबसे अच्छा जानते हैं, उसके प्रति सच्चे न रहें।  - भगवान बुद्ध


भगवान बु्द्ध से संबंधित अन्य सुविचार के लिए नीचे दी जा रही लिंक्स पर क्लिक करें- 

Kabir Daas Ke Dohe - Amrit Vani, Poets | अमृत वचन सुविचार

Kabir Amrit Vani Aur Dohe

 कबीर दास जी के दोहे और सुविचार

नमस्कार दोस्तों, आज सुविचार के इस ब्लोग में आपको कबीर दास (Kabir Das) के दोहे की चर्चा करेंगे और उससे कुछ अनमोल वचन को समझेंगे। कबीर दास भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली कवियों (respected and influential poets) में से एक थे। इन्होंने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी। इनके द्वारा रचित दोहे बहुत सरल और शक्तिशाली शब्दों से गढ़े हुए है जो बहुत सारे ज्ञान को समाहित किये हुए है।  हम यहां पर कबीर दास के दोहे - अमृत वाणी (Amrit Vani) को पढ़ेंगे जो कबीर दास जी के  शिक्षाओं के सार को उजागर करता है तथा हमें अपने अंदर की गहराइयों तक सोचने के लिए प्रेरित करता है। तो चलिए फिर इनके कुछ दोहे को पढ़ते हैं तथा प्रेरित और मार्गदर्शन के इस ब्लोग में गोता लगाते हैं। 

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा ना मिल्या कोय; जो मन देखा अपना, मुझसे बुरा ना कोय। - कबीर दास

कबीर जी के इस दोहे का अर्थ यह है कि अगर मैं किसी बुरे आदमी की तलाश में गया तो कोई भी बुरा नहीं मिला लेकिन जब मैं अपने हृदय को टटोला, तो मुझे मुझसे बुरा कोई नहीं मिला। कहने का मतलब यह है कि किसी बुरे आदमी की तलाश करने से पहले अपने अंदर की बुराई को देखना चाहिए। अगर आप सही है तभी आप किसी को बात सकते हैं कि वे गलत है। नहीं तो आपको कोई हक नहीं बनता कि आप किसी की गलती को उजागर करें। 

कबीर दास जी के दोहें से हम क्या शिक्षा मिलती है?

जैसे की हमने आपको एक कबीर जी के दोहे और उसके अर्थ को जाना और समझा की उसमें कितनी गहरी और ज्ञान की बातों को पिरोया गया है। ऐसे ही इनके अन्य दोहे को पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि उसमें कितनी अधिक आध्यात्मिक ज्ञान और व्यावहारिक जीवन (spiritual knowledge and practical life) के पाठ को संजोया गया है। कबीर दास जी ने अपने दोहे को 15वीं शताब्दी में लिखे थे। इनके दोहे से हमें प्रेम, विनम्रता, आत्म-बोध और परमात्मा के विषयों को समझने का एक मौका मिलता है। कबीर दास जी काव्यात्मक अभिव्यक्तियाँ धार्मिक सीमाओं से परे हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को अपने दोहे के माध्यम से आकर्षित करते हैं। उनके द्वारा दोहों में पिरोये गये शब्द आत्मनिरीक्षण का आह्वान करते हैं और हमारे भीतर निहित शाश्वत सत्य की याद दिलाते हैं। चलिए फिर कबीर दास जी के कुछ अन्य दोहों को पढ़ते हैं और अपने ज्ञानकोष को बढ़ाते हैं। 

पोथी पढ़ पढ़ि जग उदास, पंडित भया न कोय।

ढाई आखर प्रेम के, जो पढ़े सो पंडित होय।। - कबीर दास

कबीर दास जी इस दोहें के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि इस संसार में आप चाहे कितने भी शास्त्र को पढ़ लें आपको एक दिन मृत्यु के द्वार पर पंहुचना ही है। इसलिए आप सबसे पहले प्रेम के ढाई अक्षर को समझने का प्रयास करें क्योंकि यही वह है जिससे द्वारा आप लोगों के लिए प्रेमी बन सकते हैं अथार्त लोगों के लिए प्रिय और अच्छे व्यक्ति बन सकते हैं। 

साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये, 

मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए - कबीर दास

इस दोहे के माध्यम से कबीर दास जी कहना चाहते हैं कि हे साईं मुझ पर इतना कृपा कीजिए की मैं अपने परिवार का भरण-पोषण सकूं और मैं भी भूखा न रहूं और कोई मेरे द्वार पर भिखारी भी आता है तो में उसे कुछ दे संकू। 

चलिए अब कबीर दास के अन्य दोहें को जानते और समझते हैं तथा उससे कुछ शिक्ष लेकर अपने जीवन में अमल करते हैं।

कबीर दास के दोहें और अमृत वाणी को समझते है-

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब



Kaal kare so aaj kar, aaj kare so ab; 
pal mein parlay hoyegi, bahuri karega kab? - Kabir Das
कबीर दास इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि कभी भी कोई काल पर नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि कल कभी आता नहीं है। हर काम को यदि आप कल पर टालेंगे तो वह कभी भी पूरा नहीं हो सकता है। इसलिए आज का काम आज ही करों और जो कल के लिए सोच रहे थे उसे अब शुरू कर दों।


Bura jo dekhan main chala bura na miliya koye

अर्थ : कबीर जी कहते है कि मैं जब इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न दिखाई दिया और जब मैंने अपने मन के अंदर झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा तो कोई नहीं है।

कबीरा खड़ा बाजार में, सबकी मांगे खैर



Kabira khada bazar mein, sabki mange khair; 
na kahu se dosti, na kahu se bair. - Kabir Das
कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि यह संसार एक बाजार के समान है, यहां पर किसी से दोस्ती और बैर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से ही आप अपनी जीवन को ठीक प्रकार से जी सकते हैं। 

Pothi padi padi jag hua pandit bhaya na koy day aakhar prem ka pade so pandit hoye

अर्थ : कबीर जी कहते है कि  बड़ी बड़ी पुस्तकें को पढ़ कर संसार में कितने ही व्यक्ति मृत्यु के द्वार पहुँच गए, लेकिन सभी विद्वान न हो सके. वह यह भी मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार से केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले अर्थात वह प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी हो जाता है।

मोको कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में

Moko kahan dhoonde re bande, main to tere paas mein; 
na teerath mein, na murat mein, na ekant niwas mein. - Kabir Daas
इस दोहों के माध्यम से कबीर दास यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी ईश्वर को आप तीर्थ और मूर्तियों में क्यों देख रहे हो, वह तो आपके हृदय में बसा है। आप उसे दिल से महसूस करों वह आपके साथ ही है। 

Sadhu aisa chahiye, jaisa soop subhay, Saar saar ko gahi rahai, Thotha dei udaay.

अर्थ : कबीर जी कहते है कि  इस संसार में ऐसे व्यक्तियों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है कहने का अर्थ यह है कि जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे।

Tinka kabahu na nindiye jo paawan tar hoye.

अर्थ : कबीर जी कहते है कि  एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा नहीं करनी चाहिए जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है। अगर कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ जाता है तो बहुत अधिक पीड़ा होती है।


Dhire Dhire re mana dhere sab kuchh hoye.

अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि मन में धीरज रखने से सब कुछ प्राप्त होता है और यदि कोई भी माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो समच आने पर ही आयेगा।


Mala pherat jug bhaya phira n man ka pher


अर्थ : कबीर दास जी किसी व्यक्ति को सलाह देते हुए कहते हैं कि कोई व्यक्ति चाहे लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला फेरता रहे हैं, लेकिन उसके मन का भाव नहीं बदल सकता और न ही  उसके मन की हलचल शांत होगी क्योंकि किसी भी व्यक्ति को हाथ की माला फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलना चाहिए।

Jaati n puchho saadhu ki puchh lijiye gyan


अर्थ : इस दोहे में कबीर दास जी कहते है कि सज्जन व्यक्ति की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना की कोशिश करनी चाहिए। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि  कभी भी तलवार का मूल्य होता है उसकी मयान का नहीं


Dos paraye dekhi kari, chala hasant hasant


अर्थ : कबीर दास जी इस दोहे में कहते है कि मनुष्य में एक प्रकार का ऐसा स्वभाव होता है कि जब वह दूसरों के दोष पर हंसता है तो उसे अपने दोष याद नहीं आते। इसका कभी न अंत है और न आदि।


Jin khota tin piayea gahare paani paith

अर्थ : इस दोहे में कबीर दास जी ने मेहनत के बारे में बताया है और कहा है कि जो व्यक्ति प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ उसी प्रकार से पा लेते  हैं जिस प्रकार से कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी के अंदर जाता है और कुछ प्राप्त करके आता है लेकिन कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रहते हैं और कुछ भी नहीं करते।

Boli ek anmol hai, jo koi bolata hai wahi janata hai

अर्थ : इस दोहे में कबीर दास जी ने मेहनत के बारे में बताया है कि यदि कोई सही रूप से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न समान हो जाती है। इसलिए कभी भी बोली को ह्रदय के तराजू में तोलकर ही मुंह से बाहर आने देना चाहिए।

Ati ka bhala na bolana aur ati ki bhali n choop

अर्थ : कबीर दास जी कहते है कि हमें कभी भी न तो अधिक बोलना चाहिए और न ही जरूरत से ज्यादा कम क्योंकि यह ठीक उसी प्रकार से है। जैसे कि बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं होती और बहुत अधिक धूप भी अच्छा नहीं कम।

Nindak niyare rakhiye aagan kuti chavay

अर्थ : कबीर दास जी ने इस दोहे में कहा हैं कि जो हमारी निंदा करता है, उस व्यक्ति के अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो ऐसा व्यक्ति होता है जो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ बनाता है।


Durlabh manushy janm hain, Deh n baarmbar

अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि इस मनुष्य का जन्म मुश्किल से होता है। यह मनुष्यों का शरीर उसी तरह बार-बार नहीं प्राप्त होता जिस प्रकार वृक्ष से पत्ता  झड़ जाया करता है और दोबारा डाल पर नहीं आता।


Mange sabki khair, Kabira khada baajar men


अर्थ : कबीर दास जी कहते है कि जब इस संसार में आऐ हैं तो अपने जीवन से यही तमवा रखना चाहिए कि सब जनो का भला हो और संसार में अगर किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न करें।


Kabir amrit vani- aapas men dou ladi ladi mue

अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और मुस्लिम रहमान को इस बात को लेकर वे दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा जा रहे है और इसके बाद भी दोनों में से कोई सच को न जान पा रहा है।

अभी तक आपने कबीर दास जी के दोहों को पढ़ा और समझा की उसमें कौन-कौन सी ज्ञान के बाते दी गई है और वे क्यों आज के समय में हामारे लिए अमृत के समान है। चलिए अब कबीर दास से संबंधित कुछ प्रश्न और उत्तर पढ़ते हैं:

प्रश्न और उत्तर:

कबीर दास कौन थे?

कबीर दास 15वीं शताब्दी के भारतीय रहस्यवादी एक प्रसिद्ध कवि और संत थे। इनकी रचनाओं ने भक्ति आंदोलन (Bhakti movement) को उस समय बहुत अधिक प्रभावित किया था। इनके द्वारा रचित दोहे जितना उस समय प्रसिद्ध थे आज भी उतने अधिक प्रसिद्ध है। कबीर दास के दोहें बहुत सरल भाषा में है जो गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक अंतर्दृष्टि (spiritual and philosophical) का परिचय देते हैं। 

कबीर दास के दोहे का क्या महत्व है?

कबीर दास के दोहे उनके शाश्वत ज्ञान और सार्वभौमिक अपील (वैश्विक अपील) की तरह हैं। इनके दोहों से मानव जीवन, आध्यात्मिकता और नैतिकता के बुनियादी पहलुओं को समझने का मौका मिलता है। जब आप कबीर दास जी के दोहों को पढ़ेंगे तो आपको आत्मनिरीक्षण और स्वयं और परमात्मा की गहरी समझ को जानने और पहंचानने का सुख प्राप्त होगा। 

कबीर की शिक्षाओं को आधुनिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है?

कबीर दास जी की शिक्षाएँ प्रेम, विनम्रता और आत्म-जागरूकता पर बल देती है जो आज के लिए भी प्रासंगिक हैं। इनके दोहों को पढ़कर आप आंतरिक शांति, रिश्तों में सुधार और कैसे प्रेम पूर्वक जीवन व्यतित करना चाहिए आदि को जान सकते हैं। 

क्या कबीर दास की रचनाएँ धार्मिक हैं?

नहीं, कबीर दास की रचनाएँ आध्यात्मिक है और वे किसी एक धर्म तक सीमित नहीं हैं। इनकी दोहों में दी गई शिक्षाएँ धार्मिक सीमाओं को पार करती हैं और सार्वभौमिक सच्चाइयों को बताती है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए ज्ञानवर्धक है। 

कबीर दास के दोहे कहां मिल सकते हैं?

कबीर दास के दोहे विभिन्न संकलनों और अनुवादों की बहुत सारी किताबों को आप ऑनलाइन या बुक स्टोर से खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप इंटरनेट के माधयम से भी इनके दोहो को पढ़ सकते हैं। सुविचार के इस ब्लोग में भी हमने इनके कई दोहों को ऊपर अर्थ के साथ प्रस्तुत किया है जिनको आप पढ़कर उनकी बातों को गहराई से समझ सकते हैं।

निष्कर्ष:

आपने Suvichar4u इस ब्लोग के माध्यम से कबीर दास जी के दोहे के आध्यात्मिकता और मानव अस्तित्व की एक झलक को पढ़ा। उनके सरल लेकिन शक्तिशाली शब्द दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। हम कबीर दास जी के शिक्षाओ को अपनाकर रोजमर्रा के जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं और अपने आस-पास के लोगों के साथ एक गहरा संबंध स्थापित कर सकते हैं। चलिए कबीर दास जी के दोहों से प्रेरणा लें और दूसरों को प्रेरित करने के लिए इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें।


आपके लिए कुछ अन्य सुविचार को पढ़ने के लिए लिंक्स नीचे दी जा रही है, इन्हें पढ़े और अच्छा लगे तो दूसरों के साथ साक्षा करें।

अन्य सुविचार


Happy Mothers Day - मातृ दिवस

विश्व अंतर राष्ट्रीय मातृ दिवस - मां का जीवन में महात्व

(Happy Mothers Day)

जैसा कि हम सभी को पता है कि बच्चों के दिल में मां के लिए क्या माहत्व और खास जगह है इससे सभी परिचित है। यह खास जगह क्यों न हो। मां वह होती है जिसके दिल में अपने बच्चे के लिए हमेशा प्यार भरा रहता है। इस वर्ष मातृ-दिवस कार्यक्रम को भारत में बहुत ही धूम धाम से मनाया गया। आज विश्व अंतर राष्ट्रीय मातृ दिवस पर भारत के कई स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया और जिसमें मां को लेकर कई संदेश भी लोगों को दिया गया। हमारी जिंदगी में मां शब्द इतना सुंदर शब्द होता है कि जिसको कहने व सुनने मात्र से ही दिल का सुकून व शांति मिल जाती है। 

Happy Mothers Day



मां का अस्तित्व मनुष्य जीवन में इतना अधिक होता है कि इसके बिना जिंदगी की कल्पना करना भी एक बेइमानी होगी। मां का प्यार जितना दूसरा प्यार कोई और नहीं हो सकता तभी तो देवताओं को भी मां के प्यार का सुख प्राप्त करने के लिए इस पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा। 

किसी ने सच ही कहा है कि जिस घर में मां का सम्मान नहीं होता उस घर में देवताओं का आगमन भी नहीं होता है। मां की पूजा भगवान की पूजा से बड़कर मानी जाती है ।  जो भी व्यक्ति अपनी मां को सम्मान नहीं देता वह जिंदगी भर दुख भोगता है और उसकी भगवान भी कोई मदद नहीं करते हैं। कहते हैं कि भगवान हर जगह मौजूद नहीं रह सकता इसलिए उसने मां बनाया। भगवान द्वारा मां भेजा गया एक ऐसा तोफा है जो सबके चेहरे पर मुस्कान ला देता है। 

मातृ-दिवस का दिन हर बच्चे और विद्यार्थी के लिए बहुत अधिक यादगार और खुशी भरा दिन होता है। इसको मदर्स डे (Mothers Day) भी कहा जाता है। यह दिन सभी  माताओं के लिए समर्पित होता है। यह हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस बार मातृ-दिवस 9 मई 2021 को मनाया गया। 

मां से संबंधित सुविचार

Happy Mothers Day mom


माँ तेरी याद Satati है मेरे पास आ जाओ, 
थक गया हूं मुझे अपने Aanchal में सुलाओ,
उँगलियां फेर कर Balon में मेरे, 
एक बार फिर से Bachapan की लोरियां सुनाओ


मन की बात Jaan ले जो, 
आँखों से पढ़ ले जो, Dard हो या चाहे ख़ुशी, 
वो हस्ती जो Bepannah प्यार करे, 
माँ ही तो है जो Bachchon के लिए जिए
हैप्पी मदर्स डे ||


मेरी दुनिया में जो इतनी Shoharat है, 
सब मेरी माँ की Badaulat है।
Happy Mother's Day


वो मेरी बदसलूकी में भी दुआ देती है, 
आगोश में लेकर सब गम भुला देती है। 
मातृ दिवस की शुभकामनाएं। 


Wo Meri Badaslooki Men Bhi Dua Deti Hai, 
Aagosh Men Lekar Sab Gam Bhula Deti hai, 
Happy Mother's Day!!


रुके तो चांद जैसी है, 
चले तो हवाओं जैसी है, 
वो माँ ही है...जो धुप में भी छांव जैसी है।
Happy Mother's Day!


दास्तान मेरे लाड़-प्यार की बस, 
एक हस्ती के इर्द गिर्द घूमती है। 
प्यार जन्नत से इसलिए है मुझे
क्योंकि ये भी मेरी माँ के कदम चूमती है। 
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 


उसके रहते जीवन में कोई गम नहीं होता, 
दुनिया साथ दे ना दे पर मां का प्यार कभी कम नहीं होता। 
हैप्पी मदर्स डे। 

बेहद मीठा कोमल होता है, 
माँ के प्यार से ज्यादा
कुछ नहीं अनमोल होता है।
 हैप्पी मदर्स डे। 

दिल को छू लेने वाले सुविचार | Dil ko chhoone wali kahani

दिल को छूने वाली कहानी

दिल को छू लेने वाले सुविचार या कहानी, इन शब्दों या वाक्यांशों और कहानी को संदर्भित करते हैं। ये मजबूत भावनाओं को जगाते हैं। ये विशेष रूप से दिल के मामलों से संबंधित होती हैं, जैसे कि अपने दोस्त के प्रति प्यार, हानि या भावनात्मक संघर्ष, मां के प्रति प्यार, पिता के प्रति प्यार। इस प्रकार के कहानी और सुविचार गहरे अर्थ व्यक्त कर सकते हैं। इनका प्रभाव पाठक या श्रोता पर बहुत अधिक होता है। जब आप इनको पढ़ते हैं या देखते हैं तो ये आपके अनुभवों और भावनाओं के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। दिल को छू लेने वाले सुविचार या कहानी (Heart touching Suvichar or Kahani) प्रेरक, सांत्वना देने वाले या विचारोत्तेजक हो सकते हैं। इनका उपयोग आप अक्सर सरल और शक्तिशाली तरीके से जटिल भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो दिल को छू लेने वाले सुविचार गहरी भावनाओं को व्यक्त करने और भावनात्मक स्तर पर दूसरों के साथ जुड़ने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रुप में उपयोग किया जा सकता है। चलिए दिल को छू लेने वाले सुविचार को इस आर्टिकल के माध्यम से समझते हैं- 

दिल को छू लेने वाली कहानी

माँ जी, आप अपना खाना (Food) बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी (Party) में जाना है .
दिल छू लेगी ये कहानी (Story) एक बार जरूर पढें.......*
बहु ने आइने मेँ लिपिस्टिक ठिक करते हुऐ, कहा -
"माँ जी, आप अपना खाना (Food) बना लेना,
मुझे और इन्हें आज एक पार्टी (Party) में जाना है ..
"माँ ने कहा कि "बेटी गैस चुल्हा चलाना नहीं आता ..
"तो बेटे ने कहा कि "माँ, पास वाले मंदिर में आज भंडारा है ,
तुम वहाँ चली जाओ ना, खाना बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी...
"माँ चुपचाप (Silently) अपनी चप्पल पहन कर मंदिर (Temple) की ओर हो चली..
यह पुरा वाक्या (Sentence) twelve साल का अमित सुन रहा था |
पार्टी (Party) में जाते वक्त रास्ते (Way) में अमित ने अपने पापा से कहा कि
"पापा जब मैं बड़ा आदमी बन जाऊंगा तब मैं भी अपना घर (House) किसी मंदिर के पास ही बनाऊंगा.!
माँ ने पुछा - क्यों बेटा ?
अमित ने जवाब दिया, जिसे सुनकर उस बेटे और बहु का सिर, शर्म से नीचे झुक गया, जो अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए थे..
अमित ने कहा कि क्योंकि माँ जब मुझे भी किसी दिन ऐसी ही किसी पार्टी में जाना पड़ेगा तब तुम भी तो किसी मंदिर में भंडारे खाने जाओगी ना और मैं नहीं चाहता कि आपको कहीं दूर के मंदिर में जाना पड़े..!...

जीने में सबसे बड़ी महिमा कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है। - नेल्सन मंडेला

Kuch Khaas Suvichar

Bade Bujargo ki Ungaliyon men koi takat to na thi magar jab mera sir jhuka

कल को आज पर हावी न होने दें।" -विल रोजर्स

Har samay, Har baat ko aalochana ki kasauti par kasana achchhi baat nahi

दुनिया की सबसे अच्छी और सबसे खूबसूरत चीजों को देखा या छुआ नहीं जा सकता - उन्हें दिल से महसूस किया जाना चाहिए। - हेलेन केलर

Honesty is like a banyan

कभी-कभी आपको अपना हीरो खुद बनना पड़ता है, क्योंकि कभी-कभी जिन लोगों के बिना आप नहीं रह सकते, वे आपके बिना रह सकते हैं। - अज्ञात

Duniya men jitane bhi paap aur dukh hai we sab agyanata ke karan hai

आपके पास सबसे बड़ी खुशी यह जानना है कि आपको खुशी की आवश्यकता नहीं है। -विलियम सरॉयन

Jis prakar koi budhiman manusay aan chhodakar mitti nahi khata

जीवन एक यात्रा है, और यदि आप यात्रा से प्यार करते हैं, तो आप हमेशा के लिए प्यार में रहेंगे। -पीटर हैगर्टी

Matlabi Shayari (मतलबी शायरी) | प्यार, जमाना और दोस्ती की शायरी

 मतलबी शायरी, अर्थ और उद्दाहरण

नमस्कार दोस्तों, क्या आपको मतलबी शायरी का अर्थ पता है, अगर हां तो हमारे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें। क्योंकि आज हम यहां पर आपको मतलबी शायरी (Matlabi Shayari) का अर्थ बताते हुए कुछ ऐसी ही शायरी प्रस्तुत करेंगे जिससे आपको इनके बारे में ठीक से पता लग सकें। 

मतलबी शायरी का अर्थ - यह एक प्रकार की ऐसी शायरी होती है जिसमें कुछ छिपाकर या छिपाते हुए बयान की जाती है ताकि जिसके लिए बोली जा रही है उसको समझे ने थोड़ा गहराई से सोचना पड़े। इसमें बहुत अधिक अल्फाज़ नहीं होते लेकिन इसका प्रभाव और संदेश का भाव बहुत गहरा होता है। ऐसी शायरी में अक्सर संदेश बहुत गहरा होता है लेकिन भाव छिपा रहता है।

हमें आंसू छुपाना था इसलिए पीछे मुड़े गये,
कोई उनको बताये कि हर बार पीठ दिखाने का मतलब बेवफा नहीं होता। 

इस प्रकार की मतलबी शायरी हमेशा ऐसे लोगों के लिए बोली जाती है जो हमेशा अपने लाभ की सोचते हैं। ऐसे लोग हमेशा अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए दूसरों के हित और उनकी भावना को अनदेखा करते रहते हैं।

आज के समय में बहुत से ऐसे लोग आपको मिल जायेंगे जो दूसरों के साथ संबंधों को स्थापित करने के लिए तथा किसी स्थिति को हास्यास्पद बनाने के लिए मतलबी शायरी का इस्तेमाल करते हैं। ये शायरियां भी कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे- मतलबी प्यार शायरी, मतलबी जमाना शायरी,  मतलबी दोस्ती शायरी, मतलबी धोखेबाज शायरी, आदि। चलिए अब कुछ मतलबी शायरी को देखते हैं और उसके बाद एक-एक करके सभी matlabi shayari को जानेंगे तथा उद्दाहरण के साथ इन्हें समझेंगे। 

मेरे दिल के कुछ जज्बात आपके लिए दबे पड़ें हैं,  और आप दुनिया की मतलबी रस्मों में उलझे पड़ें है।
मेरे दिल के कुछ जज्बात आपके लिए दबे पड़ें हैं, 
और आप दुनिया की मतलबी रस्मों में उलझे पड़ें है। 


कुछ मतलबी शायरी ये भी है -

वही रोता है जो सही रिश्ते की खुश्बू महसूस करता है,
अन्यथा, मतलब की रिश्तों में कोई आपको नहीं रुला सकता।

क्या तुम्हारे लिए अब मुझे बेवफा कहलाने का कोई मतलब है,
जब तुमने सबके सामने किसी और से दिल लगा लिया।

एक तरफा प्रेम भी एक रिश्ता और खुशी का अहसास दिलता है,
क्योंकि सामने वाला कभी भी मतबल नहीं रखता।

उन्होंने मुझसे दुरिया ऐसे बढ़ाई जिससे मुझे पता ही न चलें
आइस्ते-आइस्ते यू हमसे दूर हुई जैसे मुझे उनसे मतलब ही नहीं। 

जितना जरुरी है उतना ही रिश्ता निभाओं,
नहीं तो रिश्ता हमेशा बोझ और मतलबी बन जाती है। 

अच्छा है किसी के मतलब के कम तो आए,
दे जाम मुझे इतना कि मेरे दिल को आराम आए। 

एक तरफा प्यार भी एक प्रकार का रिलेशनशिप होता है शाहब,
जिसमें कोई सामने वाला मतलब न रखें लेकिन वह बेवफाई नहीं कर सकता। 

ऊपर दी गई सभी शायरियां आपको अवश्य पसंद आयेंगे। चलिए आपके लिए कुछ और प्रस्तुति के लिए लिंक्स देते हैं जिन पर क्लिक करके आप उनको पढ़ सकते हैं।