Vasant Panchami, Sarasvati Puja
बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा)
वसन्त पञ्चमी पर क्यों की जाती है सरस्वती माता की पूजा-अर्चना?
बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा): हिंदु धर्म के अनुसार हर त्योहार की पूजा का अपना-अपना अलग महत्व है। हिंदू धर्म तथा पुरा संनातन धर्म संस्कृति ही धर्म की पराकाष्ठा में हर ईश्वर की पूजा अर्चना घर के कल्याण के लिए की जाती है। ऐसा ही एक वर्त है जो शिक्षा के क्षेत्र जुड़े लोग अपनी मनोरथ तथा मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा करते हैं और वर्त करते हैं वो है वृत सरस्वती पूजा अथार्त सरस्वती माता की पूजा-अर्चना (Vasant Panchami (Sarasvati Puja))।
वीणा लेकर हाथ में,सरस्वती माता हो आपके साथ में,मिले मां का आशीर्वाद आपको हर दिन,शुभ हो आपको सरस्वती पूजा का ये दिन,सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!
यह व्रत शिक्ष ते क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति के लिए माहत्वपूर्ण है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि जिस पर सरस्वती माता की कृपा हो जाती है वह इंसान ज्ञान का स्वामी बन जाता है। हर जगह पर उनका अलग ही महत्व हो जाता है। इसलिए ही कहा गया है कि विद्वान् सर्वत्र पूज्यते तथा विद्या ददाति विनयम्। सरस्वती माता विधा की देवी है। इन्हे कला का भी देवी कहा जता है। इसलिए इस क्षेत्र से जुड़े लोग के लिए सरस्वती देवी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है।
सरस्वती पूजा कब और किस तिथि को मनाया जाता है?
यह पूजा हर साल माघ मास के शक्ल-पक्ष में बसंत पंचमी को मनाया जाता है। बसंत सभी ऋृतुओं का राजा कहा जाता है। इसलिये ही इसे ऋृतुराज भी कहा जाता है। शास्त्रों की माने तो सरस्वती माता की उत्पति इसी दिन हुआ था। इसिलए इस दिन पर उनकी पूजा विशेष प्रकार से की जाती है।
बसंत पंचमी का तिथि और शुभ मुहर्त
साल 2022 में सरस्वती पूजा मुहर्त 5 फरवरी 2022 दिन शनिवार को है। हिंदू पंचाग के अनुसार माघ मास शुक्लपक्ष पंचमी तिथि दिन शनिवार सुबह 3:48 बजे से पूजा अर्चना होगी जो रविवार सुबह 3:46 बजे समाप्त हो जायेगी। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार उदय तिथि से पूजा की जा सकती है।
बसंत पंचमी पर क्यो किया जाता है सरस्वती माता की पूजा?
बसंत पंचमी के महापर्व पर देवी सरस्वती माता की पूजा करने का रिवाज भारत में प्रचलित है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती माता का जन्म हुआ था। इसलिए माता की पूजा बसंत पंचमी के दिन करना बहुत ही शुभ माना गया है।
माता सरस्वती देवी के जन्म की कथा हम यह बताती है कि सृष्टि की रचना ब्रम्हा जी ने भगवान नारायण हरि के आदेश पर किया था। इसके बाद उन्ही के आदेश पर ब्रम्हा जी ने मनुष्यों की रचना की। लेकिन इस रचना से ब्रम्हा जी संतुष्ट नहीं थे। क्योंकि सारा वातावरण में उदासी छायी हुई थी। तब ब्रह्मा जी बहुत ही चिंतित हुए और कुछ देर सोचे और अपने कमंडल से जल लेकर पृथ्वी पर छिड़का। जैसे ही जल के कण पृथ्वी पर गिरे वैसे ही एक सुंदर स्त्री के रुप में माता प्रकट हुई। उनके एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में किताब था। तीसरे हाथ में माला तथा चौथे हाथ में वरद मुद्रा थी। जिन्हे ब्रम्हा जी के द्वारा सरस्वती देवी नाम दिया गया।
जब सरस्वती देवी ने वीणा बजाया तो दुनियां को एक हर जीज को आवाज मिली। इसलिए भी इंहे देवी सरस्वती के नाम से पुकारा जाता है। क्योंकि वह दिन बसंत पंचमी का दिन था। तभी से देव-असुर, मनुष्य भी इस दिन पर माता सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं।
बसंत पंचमी का क्या महत्व है?
शास्त्रों और धार्मिक ग्रंथों की मान्यता पर नजर डालें तो इसी दिन वेदों की देवी का जन्म हुआ था। इसलिए शिक्षा और अन्य किसी भी नई कला की शुरुआत के लिए इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। कई विद्वानों का मानना है कि अगर इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाए तो आपको शिक्षा के क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा।
सरस्वती पूजा बसंत पंचमी पर कैसे मनाई जाती है?
सरस्वती पूजा सुविचार
विद्या दायिनी, हंस वाहिनी माँ सरस्वती,तेरे चरणों में झुकाते हैं हम शीष,हे देवी कृपा कर हें मैयां दे अपना आशीष,बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
बसंत पंचमी का प्यारा त्योहारजीवन में लाएगा खुशियां अपारसरस्वती मां विराजे आपके घरशुभकामना हमारी करें स्वीकारसरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!
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