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Apne Vishwas ko Majboot banaye

अपने विश्वास को मजबूत बनाएं

विश्वास में इतनी ताकत होती है कि या तो वह सृजन कर दे नहीं तो नष्ट कर दे। एक बार विश्वास जड़ जमा दे तो हमारे नर्वस सिस्टम पर इनकी पकड़ मजबूत हो जाती है तथा हम इतने ताकतवर बन जाते हैं कि हम हमारी वर्तमान तथा भविष्य की संभावनाओं को बढ़ा दें या नष्ट कर दें। अगर हम अपने जीवन को दिशा देना चाहते हैं तो हमें अपने विश्वासों पर जरूर नियंत्रण रखना आना चाहिए। कुछ विशेष घटनाएं ऐसी होती हैं जो हमारे विश्वास को जन्म देती हैं तदुपरान्त हमारे जीवन तथा कार्यों को दिशा प्रदान करती हैं।
हमारा दिमाग हमेशा इस फिराक में रहता है कि नए दृष्टान्तों को खोजकर नए विश्वास पैदा किए जाएं या, पुराने विश्वासों को समाप्त किया जाए। आपके विश्वास को मजबूत बनाने के लिए इस पुस्तक में विभिन्न साक्ष्यों, प्रमाणों को जगह दी गई है ताकि आप अपनी इच्छानुसार किसी भी कार्य को अंजाम दे सकें। असंभव हमेशा संभव होता है। अवरोध हमारे दिमाग में या विश्वास में होता है। वास्तविक दुनिया में नहीं। याद रखिए एक विश्वास ऐसे निन्यानवे लोगों के बराबर है जिनके पास केवल अपना हित है विश्वास नहीं। किसी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य वैसा ही बनता है जैसी उसकी सोच होती है।

Kataksh Chutkulle 500 aur 1000 rs Social media

कटाक्ष Reference by Social Media

500 और 1000 के नोट को लेकर सोशल मीडिया पर चुटकुलेबाजी  -

500 and 1000rs Images Taken by Social media
1. ट्रैफिक पुलिस ने चालान के लिए रोका तो 1000 का नोट दिया। पुलिस वाले ने कहा अब तो 100 रुपये से ही काम चलेगा।

1. अमेरिका वोट गिन रहा है, इंडिया नोट गिन रहा है।

3. मोदी सरकार का भारतीय घरेलू महिलाओं पर सबसे बड़ा हमला। सारे छुपे नोट पति के हवाले।

4. आज रात जिस घर की लाइट जलती दिखे समझो नोटों की गिनती चल रही है।

5. ये तो सरासर चीटिंग है, काला धन बाहर से लाने के लिए कहा था, लेकिन मोदी साहब तो अंदर का निकाल रहे हैं।

6. जो सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे, वो भी हजार का खुल्ला मांग रहे हैं।

7. जो कल तक मोदीजी से 15 लाख माँग रहे थे, आज 15 लाख जमा करने का तरीक़ा ढूँढ रहे है। है ना अच्छे दिन। बस थोड़ा तरीका अलग है

8. इधर मोदी ने 15-15 लाख देने की घोषणा भी कर दी है, आप बैंक खुलते ही अपने हिस्से के हजार के नोट कलेक्ट कर लें। 

9. Rs. 500 के नोट बंद, भिखारियों ने मांगी Z प्लस सिक्यूरिटी

10. मुझे तो उस दोस्त के बारे में सोंच सोंच कर हँसी रही है जिसको मैंने थोड़ी देर पहले 500 के चार नोट उधार दिए हैं

11. 100 रूपये के 9, 50 के 2 और 10 के 6 नोट हैं जेब में। मुझे सिक्योरिटी चाहिये।

12. गुप्ता के सूत्रों' से पता चला है कि 'अन्ना हज़ारे' ने अपना नाम बदल के 'अन्ना सेकड़े' रख लिया है ..! :) :) :) :)

13. 5 रूपये की #चाय पीकर #500 का छुट्टा मांगने वालों, मोदी माफ नहीं करेगा।


14. जिस दिन मोदी ने कहा था अपना ब्लैक मनी लाएं और टैक्स देकर आधा कानूनी करवाई से बचें
उसी दिन अर्नव ने पुछा था सर अगर डेडलाइन बीत गयी और लोगो ने अमल नही किया तो ?
मोदी जी ने कहा था
मैं इनको दिखा दूँगा कुर्सी की ताकत
आज दिखा दिया गया है प्रधानमंत्री क्या चीज होती है और उसकी क्या ताकत है

15. ऐरे गैरे भौंकते रहेंगे , पर मित्रों इस निर्णय से जो लोग खुश नही हैं पक्का समझियेगा इनके घरों में बोरे में भरी हरी लाल पत्तियाँ अब केवल

16. " कागज़ का टुकड़ा हैं जिससे ये चौपाटी पर भेलपुरी बेच सकते हैं "


 17. जितने लोग उधार दबा के गायब थे, खुद ही के हजार के नोट दे जा रहे हैं।

18. असली धोखा को मीडिया के साथ हुआ है। पूरी तैयारी यूएस इलेक्शन की और ऐन वक्त पर मोदी जी ने सिलेबस ही बदल दिया!

19. आज सुबह मोदी जी ने फ्रिज खोला और दूध की जगह thumbsup निकली और बोला चलो इंडिया आज कुछ तूफानी करते हैं

20. जिसकी जितनी औकात होती है वो उतने ही बड़े फैसले लेता है,कांग्रेस ने चवन्नी बन्द की थी !!

21. काला धन भी मिहिर वीरानी बन गया है, आज गया है, कल दो हज़ार के नोट लेकर लौटेगा ;)
रिश्ता वही, सोच नयी!

22. हजार- पांच सौ के नोट बंद हो गए हैं, मतलब यूपी इलेक्शन में नेताओं को दारु और कंबल से ही काम चलाना होगा.

23. हजार पांच सौ के नोट बंद होने से काला धन रखने वालों के साथ साथ उनकी भी आहें निकल रही जो लड़के के दहेज़ में हमें कुछ भी सामान नहीं चाहिये (कैश ही दे दीजियेगा...तिलक से पहले) का गगनभेदी नारा बुलंद करते थे।

24. कल सुबह सभी विवाहित पुरुषों को पता चल जायेगा की उनकी पत्नी के पास कितना *काला धन* है!

25. ज्यादा मजाक भारी पड़ता है. सब पूछ रहे थे 'बागों में बहार है', मोदी जी ने सुन लिया 'बैगों' में बहार है. ~

26. जिन्हें अपने बड़ेबड़े नोटों की बहुत गर्मी थी, उनसे आग्रह है कि उन नोटों की फिलहाल "बत्ती" बना लें

27. 500 और 1000 का नोट बंद करने का सबसे ज्यादा नुकसान उन औरतो को होगा जो अपने पति से छुपा कर पैसा इकठ्ठा करती थी .....

Bhay Par Kaboo Payen

भय पर काबू पाएं

भय मानसिक स्थिति के अलावा और कुछ नहीं है। मानसिक स्थिति को नियंत्रित करना तथा दिशा देना मनुष्य के अपने हाथ में है।
जब तक मनुष्य अपने अन्तःकरण में किसी विचार को जन्म नहीं देता तब तक कुछ भी निर्माण नहीं कर सकता है। मनुष्य के अन्तःकरण में आए विचार चाहें वे इच्छित हों या अनिच्छित उनमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं। अंतःकरण विचार जो संयोगवश दिमाग में आ जाते हैं किसी के लिए आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यापार आदि में सहायक हो सकते हैं जैसे कि खुद के द्वारा निर्मित विचार ऐसा करने में सहायक होते हैं।
हम आपको एक महत्त्वपूर्ण बात बताना चाहते हैं कि क्यों कुछ व्यक्ति भाग्यशाली नजर आते हैं जबकि दूसरे व्यक्ति उतनी ही काबलियत होने के बावजूद भाग्यहीन कहलाते हैं। इस सच्चाई को हम इस प्रकार कह सकते हैं कि हर मनुष्य में अपने दिमाग को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने की योग्यता होती है तथा इस नियंत्रण के द्वारा मस्तिष्क को मनचाही दिशा दी जा सकती है।
प्रकृति ने मनुष्य को उसके विचारों पर पूरा नियंत्रण करने की छूट दी है। इसके साथ एक सच्चाई यह भी जुड़ी है कि मनुष्य जो भी निर्माण करता है वह पहले उसके दिमाग में उपजता है। इस दौरान यह भी हो सकता है कि डर उसको अपनी गिरफ्त में ले ले। यह भी सच है कि सभी विचारों में शारीरिक समता की प्रवृत्ति होती है तथा यह भी उतना ही सच है कि अंतःकरण में समाए डर और गरीबी को साहस व आर्थिक लाभ में बदला नहीं जा सकता।

नकारात्मक लोगों को नकारना आपका अधिकार है

नकारात्मक सोच के लोगों ने थॉमस एडीसन को समझाने की पूरी कोशिश की कि वह मनुष्य की आवाज को रिकार्ड करने की मशीन नहीं बना सकता। क्योंकि उनका कहना था कि किसी ने भी अभी तक ऐसी मशीन नहीं बनाई है। एडीसन ने उनकी बातों की परवाह नहीं की। वह जानता था कि मस्तिष्क ऐसी चीज है जो किसी भी असंभव चीज को संभव बना दें। यह कुछ भी खोज सकता है, सृजन कर सकता है। ज्ञान तथा अच्छी समझ ने महान एडीसन को सामान्य से ऊपर उठा दिया।

जैसा सोचेंगे वैसा होगा

आपका अवचेतन मन, क्या सही है तथा क्या सही नजर आ रहा है, में फर्क नहीं कर सकता है।
इस संदर्भ में, हमने सच्ची घटनाएं जमा की हैं जिससे आपको यह महसूस होगा कि जैसा हम सोचते हैं वैसा होने की संभावना रहती है।

Nakaratamak soch kyon galat hai?

नकारात्मक सोच क्यों गलत है?

जब मनुष्य विचारों को अपने दिमाग में बैठाता है तथा भावनाओं के साथ उसका तालमेल करता है तो प्रेरणादायक शक्ति का निर्माण होता है। यह शक्ति मनुष्य के हर कार्य, क्रिया तथा मनोवेग को संचालित तथा नियंत्रित करती है।जो विचार भावनाओं के साथ मिश्रित हो जाते हैं, वे चुम्बकीय शक्ति का निर्माण करते हैं। फिर उसी तरह के अन्य विचारों को यह शक्ति अपनी ओर आकर्षित करती है।इस प्रकार विचारों को भावना के साथ चुम्बकीय बल प्रदान करें फिर उस बीज के साथ तुलना करें जिसे जब उपजाऊ मिट्टी में दबा दिया जाता है तो वह अंकुरित हो जाता है तथा फिर विभिन्न शाखाओं व बीजों में फैलता जाता है। जब तक कि उस एक बीज के असंख्य बीज न बन जाए। इसी प्रकार अगर आप नकारात्मक विचार दिमाग में लाएंगे तो यह कई गुणा पल्लवित होकर आपके दिमाग को घेरे रखेंगे। तो क्यों न सकारात्मक सोच अपनायी जाए।

भीतरी प्रेरणा द्वारा निश्चय-तुरंत सफलता की कुंजी है

ऐसे लगभग 25,000 पुरूषों तथा स्त्रियों का विश्लेषण किया गया जिन्होंने असफलता का सामना किया था। उन्होनें यह बताया कि निश्चय तथा निर्णय लेने में कमी उनकी असफलता के कारणों में मुख्य थी। विभिन्न विश्लेषणों से ज्ञात हुआ कि लगभग सभी में तुरंत परिणाम तक पहुंचने की जल्दी थी। जब उन्होंने धीरे-धीरे अपने आपमें बदलाव किया तो वे भी आगे बढ़ते गए। ऐसे लोग जो अपने पूरे जीवन में धन इकट्ठा नहीं कर पाए उनमें से कुछ को छोड़कर बाकी सभी में तुरंत ही परिणाम प्राप्त करने की प्रवृत्ति थी।
जो लोग तुरंत निर्णय लेना जानते हैं वे इस बारे में निश्चिंत होते हैं कि वे क्या चाहते हैं। ऐसे लोग साधारणतः सफलता पा लेते है। जीवन के हर क्षेत्र में नेता तुरंत निर्णय लेता है। यही कारण है कि वे नेता है। दुनिया में ऐसे लोगों के लिए जगह होती है जिनके कर्म तथा बातें यह बताते हैं कि उन्हें कहां जाना है।

प्रार्थना का वैज्ञानिक आधार-  

अगर आप अवलोकन करने वाले व्यक्ति हैं तो आपने जरूर एक बात पर गौर किया होगा कि ज्यादातर लोग प्रार्थना की तरफ तभी मुड़ते हैं जब सब तरफ से निराश हो चुके होते हैं। सब तरफ से निराश होने के कारण वे प्रार्थना की तरफ भी संदेह, शक तथा डर की भावना लिए हुए जाते हैं।
अगर आप किसी चीज को पाने के लिए प्रार्थना करते हैं लेकिन मन में अविश्वास भी रखते हैं कि अगर वह न मिली या प्रार्थना फलित न हुई, तब क्या होगा। इसका मतलब है आपकी प्रार्थना में विश्वास की कमी है।
अगर आपको पिछली ऐसी प्रार्थना का अनुभव है जिसको करने से आपको मन चाही मुराद मिल गई थी तो वापस उसी स्थिति तथा मैमोरी में पहुंचे तथा उन परिस्थितियों को याद करें। तब आप पाएंगे कि आप सकारात्मक मनोस्थिति के साथ प्रार्थना करने के लिए तैयार हो रहे हैं.
अगर आप रेडियों के कार्य सिद्धान्त को समझते हैं तो जरूर जानते होंगे कि ध्वनि को तब तक संप्रेषित नहीं किया जा सकता जब तक कि तरंगों की दर में बदलाव न किया जाए। जिन्हें मानव के कान ग्रहण करते हैं। रेडियों स्टेशन मनुष्य की आवाज ग्रहण करके तरंगों के रूप में भेजता है। इस तरह आकाश द्वारा ही ध्वनि ऊर्जा को संप्रेषित किया जा सकता है। इसके बाद बदलाव की प्रक्रिया होती है। ऊर्जा जो तरंगों के रूप में थी उसे ध्वनि के रूप में पहचाना जाता है।
इस प्रकार इंसान का अवचेतन मन रिलेकेन्द्र (बिचौलिए) की भूमिका निभाता है। जो प्रार्थना को असीमित समझ के रूप में पहचानकर, सूचना भेजता है तथा प्रार्थना विशिष्ट योजना के रूप में वापस ग्रहण करता है। इस सिद्वान्त को समझने से आप यह जान पाएंगे कि प्रार्थना की जगह बैठकर कुछ मन्त्र उच्चारण करने से आपके मस्तिष्क तथा असीमित समझ में संप्रेषण के तार जुड़ नहीं पाएंगे।