Tum Jo saath hamare hote-Geet aur Kavita-16


तुम जो साथ हमारे होते कितने हाथ हमारे होते  दूर पहुँच से होते जो भी बिल्कुल पास हमारे होते  माफ़ सज़ाएँ होती रहतीं कितने जुर्म हमारे होते

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ