26 अक्टू॰ 2025

Chhath Puja 2025 | छठ पूजा | छठ महापर्व पूजा शुभ मुहूर्त | कब है नहाय-खाय?

छठ पूजा (छठ महापर्व) 2025, कब है खरना और नहाय-खाय?

Chhath Puja हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य भगवान और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित है। इस पावन त्यौहार में व्रती चार दिनों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए प्रकृति और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पूजा करते हैं।

उत्तर भारत में खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल और असम में छठ पूजा धूमधाम के साथ मनाई जाती है। अब तो छठ पूजा (Chhath Puja) की लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी है कि यह त्यौहार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा यह त्यौहार अब विदेशों में, जैसे मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया), अमेरिका और मॉरीशस आदि देशों में भी मनाया जाने लगा है। इस पर्व पर विशेष तौर पर गंगा मां और सूर्य भगवान की पूजा की जाती है।


छठ पूजा एक ऐसा भारतीय त्यौहार है जिसमें सूर्य देव और छठी मां की पूजा की जाती है। यह महापर्व दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है। छठ का पर्व चार दिनों तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसकी शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, फिर अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद इस पर्व का समापन हो जाता है। इस त्यौहार की विशेषता यह है कि इसमें सभी प्रकार से प्रकृति की पूजा की जाती है।

छठ पूजा महत्व क्या है?

Chhat Puja मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी मां की उपासना का त्यौहार है। इस त्यौहार को जो लोग रखते हैं, वे लगभग 36 घंटे का उपवास करते हैं। इस उपवास के दौरान कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है। यहां तक कि पानी का भी सेवन नहीं किया जाता। यह एक प्रकार का निर्जला व्रत होता है। इसलिए ही इसे हिंदुओं में महापर्व कहा जाता है, क्योंकि निर्जला व्रत रखना सबसे कठिन होता है, वह भी लगभग 36 घंटे का। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसका समापन डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता है।

छठ त्योहार के दौरान छठ पूजा के गीत गाने का प्रचलन है। लोग छठ पूजा समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं। जिस परिवार के लोग Maha Parv Chhath Puja में शामिल होते हैं, उनकी आस्था पर कोई भी प्रश्नचिह्न नहीं उठाया जा सकता। यह एक महापर्व है जिसमें सूर्य भगवान और छठी मां (Chhathi Maa) की पूजा की जाती है। इसलिए छठ गीतों में सूर्य भगवान और छठी मां का गुणगान किया जाता है।

हमें एक बात स्पष्ट रूप से समझनी चाहिए कि भगवान सूर्य की कृपा से ही इस संसार में जीवन संभव है। बिना उनके जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए अगर हम जीवित प्राणी हैं, तो हमें इस महापर्व का सम्मान अवश्य करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य और छठी मां की इस दिन पूजा करने से उनके भक्तों पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। उनकी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। हिंदू त्योहारों में सूर्य देव की उपासना करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
Chhath Puja 2025


छठ पूजा शुभ मुहूर्त (Chhath Puja 2025 Subh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि अथार्त इस बार 27 अक्टूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और 28 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।

इस वर्ष 27 अक्टूबर की संध्या को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि 28 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। यही वह क्षण होता है जब छठ व्रती अपने उपवास का समापन करते हैं और भगवान सूर्य से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। 

कब दिया जाएगा अर्घ्य (Arghya 2025)

  • 27 अक्टूबर 2025 (षष्ठी तिथि): डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा।
  • 28 अक्टूबर 2025 (सप्तमी तिथि): उगते सूर्य को दूसरा और अंतिम अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।

छठ पूजा का यह पर्व न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति, जल और सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने का एक सुंदर उत्सव भी है। यह हमें सिखाता है कि जीवन की ऊर्जा और समृद्धि का मूल स्रोत सूर्य ही हैं, जिनकी उपासना के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है।

छठ में सूर्य भगवान की पूजा के लिए चमत्कारी मंत्र


हम सभी जानते हैं कि छठ पूजा में मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी मां की पूजा की जाती है। यदि आप इस पूजा में सूर्य को अर्ग देते समय नीचे दी जा रही मंत्र का जाप करते हैं तो आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होती है। 
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते।।

इस मंत्र का जाप करने से बल, तेज, यश, मान-सम्मान और कीर्ति बनी रहती है।

कब है नहाय-खाय?

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो इस बार 25 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

इस दिन व्रती स्नान-ध्यान कर सूर्य देव और कुल देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। फिर शुद्ध भोजन के रूप में चावल, दाल और लौकी की सब्जी खाई की जाती है। इसी के साथ छठ व्रती अगले दिनों के लिए स्वयं को शुद्ध और तैयार करते हैं।

कब है खरना?

छठ पूजा पर खरना का आयोजन 26 अक्टूबर 2025 को होगा। यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है और अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन छठ व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय स्नान कर छठी मैया की पूजा करते हैं।

प्रसाद में चावल की खीर, गुड़, और फल-फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद व्रती यही प्रसाद ग्रहण करते हैं, और इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।

सूर्य भगवान की पूजा के लिए एक और मंत्र आपके लिए भलदायी हो सकता है। इसका जाप अवश्य ही करें-

ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:, ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:, ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:

छठ पूजा में महिलाएं 36 घंटे का व्रत क्यों रखती हैं? 

Chhath का व्रत सिर्फ उपवास ही नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और आत्मसंयम की पराकाष्ठा है। महिलाएं बिना जल और अन्न के 36 घंटे तक व्रत रखती हैं ताकि सूर्य देव और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त हो सकें। यह Chhath Vart दिखाता है कि जब आस्था सच्ची हो, तो शरीर की सीमाएँ भी छोटी लगती हैं।



छठ पर नाक तक सिंदूर क्यों लगाया जाता है?

बहुत से लोग अक्सर प्रश्न करते हैं कि Chhath Puja पर महिलाएं नाक तक सिंदूर क्यों लगाती हैं। लेकिन जब आप इसका तर्क समझेंगे, तो आपको समझ में आएगा कि यह उचित है।

हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाएं हमेशा सिंदूर लगाती हैं। छठ पूजा में महिलाओं के लिए मांग भरना अनिवार्य माना गया है। इस दिन महिलाएं मुख्य रूप से पीले सिंदूर से मांग भरती हैं।

हिंदू धर्म में सिंदूर को सुहाग की निशानी और पति की सेहतमंद, लंबी उम्र का प्रतीक माना गया है। बहुत से लोगों का मानना है कि इस दिन शादीशुदा महिलाएं जितनी लंबी सिंदूर लगाती हैं, उनके पति की उम्र भी उतनी ही लंबी होती है।

जो महिलाएं सिंदूर को छिपा लेती हैं, उनका पति समाज में छिप जाता है और तरक्की नहीं कर पाता। इससे पति की आयु कम हो जाती है। यही कारण है कि महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं।

हिंदू धर्म में कई प्रकार की परंपराएं हैं, और हमें सभी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।

छठ पूजा से सम्बंधित सुविचार:

Chhath Maha Parv ki Hardik Shubhkamnaye

छठ पूजा आये बनके उजाला,
खुल जाये आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान सूर्यदेव बनकर रखवाला,
यही दुआ करता है आपको चाहने वाला।
Wish you very happy Chhat Puja!

Chhath Puja Wishes

रथ पर होकर सवार सूर्या, देवता जी आये आपके द्वार, सुख सम्पत्ती मिले आपको आपार,
छठ पर्व की आपको शुभकामनाए। 
छठ पर्व की आपको शुभकामनाए।


Saat Ghdon ki hai jinki sawari,
N kabhi rooke, Na kabhi der kare, 
Aise hi hamare Soorydev,
Aao milkar kare is chhath par unki pooja,
Sabko hamari taraf se chhat parv ki hardik shubhkamanyen!

Sabko hamari taraf se chhat parv ki hardik shubhkamanyen!

Mandir ki Ghanti, Aarti ki thali, 
Nadi ke kinare sooraj ki laali, 
Jindagi men aaye khushiyon ki bahar, Aapko mubarak ho chhath ka tyohar!

Chhath Puja Ki Hardik Shbhkamnaye


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