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शुक्रवार, 1 मार्च 2013

Ham Tumhe har ek tare men najar aaya karenge- Geet aur Kavita-32


किस कद्र खूब है सादगी आपकी हमे आज भी याद है दिल्लगी आपकी जब भी मिले है फुरसत के लम्हे दिल ने महसूस की है कमी आपकी

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