यह ब्लॉग खोजें

Mudat ke baad mom ki-Geet aur Kavita-25


मुद्दत के बाद मोम की मूरत में ढल गया मेरी वफ़ा की आँच में पत्थर पिघल गया  उसका सरापा हुस्न जो देखा तो यों लगा जैसे अमा की रात में चंदा निकल गया

कोई टिप्पणी नहीं: