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Kuvichar Aur Galat Vichar

 कुछ नास्तिक लोगों के कुविचार और गलत विचार

Kuvichar Aur Galat Vichar

इस संसार में बहुत से लोग धार्मिक है तो बहुत से लोग नास्तिक। बहुत से लोग तो ऐसे भी है जो कुछ नास्तिक लोगों के गलत विचार को अनाकर सबसे बड़ा अधर्म करते रहते हैं। आज उन लोगों की सोच तो इतनी गीर चुकी है कि वे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम पर भी गलत विचार तथा कुविचर (Kuvichar Aur Galat Vichar) रखते हैं।  ऐसे ही कुछ कुछ लोगों से मेरी कुछ दिन पहले बात हुई थी। उनमें से एक लोग ने तो यह कहा कि यदि राम इतने श्रेष्ठ थे, तो उन्हें रावण को हराने में इतना समय क्यों लगा। अब ऐसे लोगों को कौन बतायें कि राम जी भगवान विष्णु के अंश अवतार थे और वे इस धरती पर श्रेष्ठ कैसे होते हैं उनका आचरण क्या होता है। इसका एक उद्हारण प्रस्तुत करने आये थे। यदि वे रावण को भगवान विष्णु की शक्ति से मार देते तो लोग आज उन्हे मर्यादा पुरुषोत्तम न कहती। वे संसार के सभी नियमों का पालन करके कोई कार्य करते थें। इसलिए ही उन्हे रावण को मारने में थोड़ा समय लगा। चलिए इसे नीचे समझने की कोशिश करते हैं-

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर श्लोक


राम जी भावान विष्णु की सभी शक्तियों का उपयोग करने में सक्षम नहीं थे क्योंकि वह विष्णु का एक हिस्सा और अंश थे इसके अलावा वे अपने सभी शक्ति का त्याग करके इस धरती पर अवातार लिये थे। इसलिए राम जी अपनी सीमा में थे क्योंकि उन्होंने एक मानव के रूप में अवतार लिया था। आपको पता होना चाहिए कि रावम एक श्रेष्ट ब्रह्मण था जिसके पास आपार शक्तियां थी। वह बुद्धिमान भी था और कई प्रकार के राक्षस प्रवृति की शक्ति भी अपने पास रखता था। लेकिन रावण अपने कुविचार के चक्कर में आकर गलत कार्य करता था। वह अधर्म के मार्ग पर था। ऐसे लोगों की मृतु जो भी लोग करता है उसे थोड़ा समय लग ही सकता है। यदि आप इसे नहीं समझ सकते तो आप में सोचने की शक्ति नहीं बची हुई है।


इसके अलावा भगवान विष्णु जी ने अपने चक्र, इंद्र के वज्र और देवताओं की सभी शक्तियों का त्याग करके मानव रूप में जन्म लिया था। राम जी पहले उचित युद्ध में रावण को कई बार हरा चुके थे। हत्या और पराजय दो अलग-अलग चीजें हैं। किसी को नियम के विरूध जाकर वध करना और किसी को नियम के साथ दंड देना दोनो बाते अलग-अलग है। जो भी व्यक्ति किसी को नियम के साथ दंड देता है वे ही मर्यादा का पालन करता है। शायद इसलिए ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। 


एक अच्छा व्यक्ति बनाना और एक नास्तिक बनाना दोनों में अंतर है। अच्छा व्यक्ति बनने में बहुत समय लगता है लेकिन नास्तिक बनने में समय नहीं लगता है। नास्तिक हमेशा गलत होता है और वे कुविचार मन में पाले रहते हैं। जबिक धार्मिक और अच्छा व्यक्ति अपने जीवन के असली मूल्य को समता है। अब आपको तय करना है कि आपको अच्छा व्यक्ति बनना है या गलत। 


नीये हम आपको एक श्लोक दे रहे हैं जो आपको राम जी के मर्यादा पुरुषोत्तम होने का दावा करता है- 


मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर श्लोक

तब-तब जाइ राम पुर रहऊं।

सिसुलीला बिलोकि सुख लहऊं।।



जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं।

तीरथ सकल जहां चलि आवहिं।।



राम:शस्त्र भृतामहम्।।

अर्थात शस्त्रधारियों में श्रीराम मैं हूं।

यसमात्क्षरमतीतोऽहम क्षरादपि चोत्तम:।

अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथित: पुरषोत्तम:।।

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