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Sakaratmak Vichar - Kalpna aur Ichchha

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सकारात्मक विचार - कल्पना और इच्छा जब आप अपनी नई कल्पनाओं और इच्छाओं को महसूस करें तो किसी भी तरह की रुकावटों के बारे में चिंता करना छोड़ दें, क्योंकि आप पहले भी अपने मार्ग में आने वाली बड़ी-बड़ी रुकावटों का सामना करके अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हो। आपको जीतने की प्रबल इच्छा, सफलता का निर्णय, अपने जीवन पर नियंत्रण तथा कुशलता से जरूर सुसज्जित रहना होगा। सबसे पहले अपने मकसदों को पहचानें तथा मन में यह विश्वास भरें कि कोई भी रूकावट आपको अपनी मंजिल पर पहुंचने से नहीं रोक सकती। अपने मकसद की सफलता के लिए दृढ़ प्रतिज्ञाबद्ध बनें। जीवन सुख-दुख का खेल है- सुख तथा दुख किस प्रकार हमारे भाग्य की दिशा तय करते हैं ? हमारे पास दुख का सामना करने के आसान तरीके हमेशा मौजूद होते हैं। कभी हम शराब पीते हैं तो कभी सिगरेट और कभी ज्यादा खाने लगते हैं। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो किसी भी तरह की मानसिक परेशानी को व्यायाम करके, सैर पर जाकर, अच्छा संगीत सुनकर या किसी दूसरे काम में अपने आपको लगाकर दूर करते हैं। अपनी परेशानियों को दूर करने वाले तथा आनन्द पहुंचाने वाले तरीकों को पहचानें और उनकी एक सूची बनाए...

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  सकारात्मक विचार हमारा दिमाग कैसे काम करता है ? -   कई बार क्या होता है कि आप जब अपने लिए कुछ नई चीज जैसे- घड़ी, किताब, पेन आदि खरीद कर लाते हैं तो उसे घर के अंदर ही कहीं पर रखकर भूल आते हैं और काफी याद करने पर भी आपको याद नहीं आता कि वह चीज आपने कहां रखी है। जब वह चीज आपने स्वयं रखी है तो आपको याद क्यों नहीं आ रहा कि वह चीज कहां रखी है- ऐसा क्यों होता है ? असल में हमारे दिमाग में एक ऐसा भाग होता है जिसमें हमारे द्वारा याद की हुई ऐसी सूचनाएं और योजनाएं जमा रहती है जो हमारा अस्तित्व बनाए रखने के लिए जरूरी है। अगर  हमने अपनी योजनाओं को साफ रूप से परिभाषित नहीं किया है तो इसका मतलब यह कि हमने अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने दिमाग को ठीक से कार्यबद्ध नहीं किया है। जब हम अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित कर रहे होते हैं तो उस समय आप अपने रेक्टिकुलर एक्टीवेटिंग सिस्टम को भी संचालित कर रहे होते हैं। इस समय आपके दिमाग का वह विशेष भाग (जिसमें सारी सूचनाएं आदि जमा रहती है) चुम्बक की तरह बन जाता है जो सूचनाओं तथा अवसरों को अपनी तरफ स्वयं ही आकर्षित करता रहता है। अपने...

Some Positive Thought

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Some Positive Thought Develop innumerable universes in the world of your imaginations: Have complete faith on yourself. If you believe on yourself that you are honest, you are honest definitely. How did you get this carelessness? Consider your ideas the upper portion of the table. The table is laid on four legs. You have these legs of carelessness through your experience. You will be called intelligent and intellectual when you did well in your school but we are not reliant on the reference of last experiences. We can make references on the base of our imagination power as Shri Chandera Shekhar Tiwari used his imagination power for facing against the diseases. Roger banister used imaginative reference that he can run one mile distance before the time of one minute.   Belief, thoughts principle: The success of any aim depends on our belief whether we are apt for that success or not. Your belief and concentration depend on your last experiences which can be in negative ...