1 मार्च 2013

Pem Ki chhav men-Geet aur Kavita-26


पेड़ की छाँव में, बैठे-बैठे सो गए तुमने मुसकुरा कर देखा, हम तेरे हो गए  तमन्ना जागी दिल में, तुम्हें पाने की तुम्हें पा लिया, और खुद तेरे हो गए  कब तलक यों ही, दूर रहना पड़ेगा इस सोच में डूबे-डूबे, दुबले हो गए

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