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मैमोरी पॉवर क्या है? - Memory Power, Hindi thoughts on life

मैमोरी पॉवर क्या है?

मैमारी पॉवर अर्थात याददाश्त शक्ति एक ऐसी नोटबुक मानी जाती है जो हर समय हमारी जेब में रहती है।

मैमोरी एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया मानी होती है। इसमें व्यक्ति किसी भी वस्तु या विषय के बारे में ग्रहण की गई जानकारी आदि को दुबारा याद करके चेतना में लाकर पहचानने की कोशिश करता है। कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हमारे मस्तिष्क में किसी भी तरह की जानकारी आदि मैमोरी चिन्हों (Memory traces) के रूप में जमा होती है। इसी तरह कुछ दूसरे मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि, मैमोरी एक रचनात्मक मानसिक प्रक्रिया है। इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ग्रहण की गई नॉलेज के स्मरण में मस्तिष्क में कई प्रकार के बदलाव होते हैं।

दो महान मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, पहले सीखी गई अनुक्रियाओं (विषय सामग्री) के चिन्हों को आज के समय में व्यक्त करने को ही मैमोरी कहा जाता है। मस्तिष्क में जमा मैमोरी से संबंधित प्रक्रियाओं में मस्तिष्क में क्या-क्या रासायनिक बदलाव होते हैं- उसको लेकर बहुत से प्रयोग किए गए हैं। एक मनोवैज्ञानिक ने बिल्ली पर एक प्रयोग किया और इस आधार पर पहुंचा कि किसी घटना को दुबारा याद करने के दौरान मस्तिष्क की तरंगों का संबंध मस्तिष्क के किसी एक क्षेत्र विशेष से न होकर मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों से होता है। एक दूसरे मनोवैज्ञानिक और उसके साथियों ने अपनी प्रयोगात्मक रिसर्चों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि घटनाओं की स्मृति प्रक्रिया में संबंधित स्नायुकोषों के न्यूक्लीयशस में आर.एन.ए. (Ribo nucleic acid) में महत्त्वपूर्ण रासायनिक बदलाव होते हैं।
मनुष्य की मैमोरी को एक सिंगल (एकल) अवस्था नहीं कहा जा सकता क्योंकि मनुष्य़ की मैमोरी अलग-अलग अवस्थाएं होती हैं। इनमें से हर अवस्था दूसरी अवस्था के साथ जुड़ी होती है लेकिन फिर भी सबकी अपनी अलग पहचान होती है।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मैमोरी की तीन अवस्थाएं होती है-
1.     सांवेदिक मैमोरी (याददाश्त) (Sensory Memory),
2.     अल्पकालिक मैमोरी (याददाश्त) (Short-term Memory)
3.     दीर्घकालिक मैमोरी (याददाश्त) (Long-term Memory)
 
1- सांवेदिक मैमोरी (याददाश्त) (Sensory Memory)- सांवेदिक मैमोरी को वस्तुतः मैमोरी (याददाश्त) की शुरुआती अवस्था माना जाता है। सांवेदिक भंडार में सूचनाएं कुछ देर के लिए ही जमा रहती हैं तथा कुछ देर में ही उनका भंडार समाप्त हो जाता है। इसलिए इसे क्षणिक मैमोरी माना जाता है। 
2- अल्पकालिक मैमोरी (याददाश्त) (Short-term Memory)-  अल्पकालिक मैमोरी अर्थात शोर्ट टर्म मैमोरी को दूसरी अवस्था माना जाता है। इस अवस्था में सूचनाएं मस्तिष्क में 30 सेंकड तक जमा रहती है। जैसे कोई व्यक्ति टेलीफोन डायरेक्ट्री (Telephone Directory) में से किसी व्यक्ति का टेलीफोन नंबर उसे फोन करता है लेकिन फोन नहीं मिलता। दूसरी बार फोन नंबर मिलाने के दौरान उस व्यक्ति को टेलीफोन नंबर याद नहीं आता और उसे दुबारा टेलीफोन डायरेक्ट्री में देखना पड़ता है। इसी प्रकार किसी समारोह आदि में एक व्यक्ति का परिचय किसी दूसरे व्यक्ति से कराया जाता है। व्यक्ति उसके नाम को सुनता है। उससे हाथ मिलाता है और कुछ सेकंड में ही उसका नाम भूल जाता है। ये दोनों उदाहरण शोर्ट-टर्म मैमोरी के लिए अंतर्गत आते हैं।
3- दीर्घकालिक मैमोरी (याददाश्त) (Long-term Memory)-  दीर्घकालिक मैमोरी अर्थात लोंग-टर्म मैमोरी को तीसरी अवस्था माना जाता है। यह अवस्था किसी सूचना अथवा अनुभव की हुई घटना का वह पुनः स्मरण (Recall) तथा पहचान (Recognition) है, जो स्मृतिगत अथवा सीख लेने के बाद कई मिनट या कई घंटों या कई दिनों या वर्षों के बाद होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने घर पर पिज्जा खाकर घर से निकलने के बाद अपने मित्र को बताता है कि उसने पिज्जा खाया है। विद्यालय से आने के बाद बच्चा अपनी मां को बताता है कि उसे साईंस पढ़ाने वाले टीचर का क्या नाम है या कोई व्यक्ति अपने बचपन के अनुभवों को सुनाता है तो साफ है कि इन तीनों अवस्थाओं में वह दीर्घकालिक स्मृति अर्थात लोंग-टर्म मैमोरी का उपयोग कर रहा होता है। लोंग-टर्म मैमोरी की अवधि कुछ मिनट से लेकर कई वर्षों तक की होती है।
लोंग-टर्म मैमोरी का मूलभूत आधार अभ्यास (Rehearsal) तथा शोर्ट टर्म मैमोरी में जमा सूचना है जिसे अभ्यास के द्वारा लोंग-टर्म मैमोरी में जमा करने की कोशिश होती है। यह अभ्यास दो प्रकार का होता है। पहला अनुरक्षण अभ्यास (Maintenance Rehearsal) और दूसरा व्यापक अभ्यास (Elaborate Rehearsal)। सूचना को वैसे का वैसा ही शोर्ट टर्म मैमोरी में बनाए रखऩे के लिए अनुरक्षण अभ्यास किया जाता है। उदाहरण- एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का टेलीफोन नंबर याद रखने के लिए अपने मन में दोहराता रहता है। कुछ देर बाद वह नंबर भूल जाता है।
वस्तुतः इस प्रकार का अभ्यास यांत्रिक या सहज क्रियात्मक (Reflex) होता है। इस तरह के अभ्यास से लोंग-टर्म मैमोरी का आधार नहीं बनता। इसके लिए व्यापक अभ्यास अधिक प्रभावशाली रहता है। इस प्रकार के अभ्यास में व्यक्ति शोर्ट टर्म मैमोरी में जमा सूचना को उसके अर्थ, अभिप्राय अथवा उसके साहचर्य के पदों में दोहराता है। इस प्रकार के अभ्यास से लोंग-टर्म मैमोरी का आधार बनता है।
मैमोरी में सूचनाओं का भंडारण कूट संकेतन (Encoding) प्रकार से होता है। पहले प्रकार का कूट संकेतन सांवेदिक प्रतीकों (Sensory Images) के पदों में और दूसरे प्रकार का कूट संकेतन शब्दार्थ भावार्थ के रूप में होता है। इसी के परिणाम स्वरूप लोंग-टर्म मैमोरी के दो रूप होते हैं। एक मैमोरी का और दूसरा जनरल नॉलेज (Knowledge) का। किसी अखबार में किसी समाचार को पढ़कर हमें सूचना की स्मृति कम या अधिक उसी शब्दावली में होती है। टुलविग (1972) ने इसे घटनात्मक मैमोरी (Episodic Memory) का नाम दिया है। 
व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभव घटनात्मक मैमोरी के अंतर्गत आते हैं। ये मैमोरियां (यादें) काल और स्थान से बंधी होती हैं। इसमें आत्मकथात्मक घटनाओं का समावेश होता है। इसके विपरीत लोंग-टर्म मैमोरी शब्दार्थिक (Semantic) होती है। शब्दार्थिक मैमोरी में व्यक्ति के मन या मस्तिष्क के अंदर दुनिया के संबंध में संगठित ज्ञान जमा होता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के शब्द भंडार और उनके उपयोग का तरीका सम्मिलित होता है। शब्दार्थिक मैमोरी घटनाओं, नियमों, सिद्धांतों और व्यक्ति के व्यपदेशों (Strategies) का भंडार है।
हम भूल क्यों जाते हैं (Why do We Forget)- याद रखना और भूलना एक सिक्के के दो पहलू हैं। व्यक्ति जितनी नॉलेज लेता है, मैमोरी में वह उतनी ग्रहण नहीं कर पाता है और मैमोरी में जितनी भंडारित रखता है उसे दुबारा याद (Recall) नहीं कर पाता है। इसलिए भूल जाने का अर्थ नॉलेज को मस्तिष्क में ग्रहण करने में असफलता या मस्तिष्क में ग्रहण नॉलेज के दुबारा याद करने में असफलता है।
  • संभवतः भूलने के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक एबिंगहास ने सबसे पहले प्रयोगात्मक अध्ययन शुरु किए। उनके अनुसार भूलना एक प्रकार की निष्क्रिय मानसिक प्रक्रिया है। अध्ययनों के आधार पर उन्होंने बताया कि ग्रहण की गई नॉलेज को दुबारा याद करने के बीच जितना समय अधिक होगा, उसे भूलना भी उतना ही ज्यादा होगा। भूलने के संबंध में एबिंगहास के कुछ परिणाम इस प्रकार हैं-
  • 20 मिनट के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 47 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  •  60 मिनट के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 53 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  •  9 घंटे के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 56 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  •  24 घंटे के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 66 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  •  48 घंटे के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 72 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  •  1 सप्ताह के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 75 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
  • 1 महीने के बाद ग्रहण की गई नॉलेज का लगभग 79 प्रतिशत भाग हम भूल जाते हैं।
इसलिए मनोवैज्ञानिक प्रयोगों के आधार पर कहा जा सकता है कि स्टडी की गई नॉलेज की जितनी मात्रा हम मस्तिष्क में ग्रहण करते हैं, उसकी 66 प्रतिशत नॉलेज एक दिन में भूल जाते हैं अर्थात ग्रहण की गई नॉलेज की 34 प्रतिशत मात्रा ही याद रहती है।
  • भूल जाने से बचने के लिए जरूरत है कि स्टडी की गई नॉलेज को बार-बार दोहराया जाए।
  •  प्रयोगों से पता चला है कि विचारों, चित्रों, रेखाचित्रों को सबसे कम भूला जाता है। इसलिए याद की जा रही नॉलेज को विचारों (Thoughts), कल्पना (Imagination), चित्रों (Diagrams) और रेखाचित्र (Line Diagram) के माध्यम से मस्तिष्क में धारण करें।
आदत मैमोरी पॉवर (Habit Memory)- एक ही तरह के कार्य को लगातार करते रहने से हर क्रिया आदत बन जाती है। उदाहरण के लिए टेलीफोन एक्सचेंज के कर्मचारी को शहर के ज्यादातर टेलीफोन नंबर ज्यादातर उपयोग में आने के कारण ऐसे महसूस होते हैं, जैसे टेलीफोन नंबर दिमाग में न होकर डायल करने वाले की अंगुलियों में धारित हों। कंप्यूटर पर कुछ टाइप करते समय हमारे लिए टाइप करने वाले अंग्रेजी शब्द की स्पेलिंग बताना थोड़ी मुश्किल होता है लेकिन हमारी अंगुलियां उस शब्द की सही स्पेलिंग ही टाइप करती है। इसलिए आप समझ गए होंगे कि अगर एक जरूरी नॉलेज को याद रखना है तो कुछ समय तक उसका बार-बार अभ्यास करने से उसमें निपुणता हासिल की जा सकती है।
छाया-चित्र मैमोरी (Photo Graphic Memory)- मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह सिद्ध हो चुका है कि बच्चों में छाया-चित्र मैमोरी पॉवर होती है। कोई दृश्य या घटना उनके मस्तिष्क में फोटो कैमरा के समान कैद हो जाती है। किसी 8-10 साल के बच्चे ने कुछ समय पहले ही कोई फिल्म देखी हो तो उसकी कहानी आप बच्चे से पूछिए। बच्चा जब कहानी सुना रहा होता है तब उसके चेहरे के हावभाव को पढ़ने की कोशिश कीजिए। 
आपको उसके हाव-भाव देखकर बहुत अचरज होगा कि कहानी बताते समय उसके हावभाव ऐसे बदल रहे हैं जैसे उसके सामने फिल्म चल रही हो। खासकर उस समय जब बच्चे फिल्म की कहानी के किसी मारधाड़ वाले दृश्य के बारे में बता रहा हो। बच्चा ठीक उसी प्रकार हाथ-पैर चलाकर दृश्य दुबारा पेश कर देता है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होना शुरु करता है, वैसे-वैसे उसकी छाया-चित्र मैमोरी पॉवर कम होने लगती है या यूं कहें कि भाषा, गणित तथा खेल इत्यादि में उसके ध्यान और एकाग्रचित्तता से उसकी कल्पना शक्ति के उपयोग करने में कमी आ जाती है।
अब आप थोड़ा अपने खुद के बचपन के बारे में सोचना शुरु कीजिए, आप महसूस करेंगे कि आपको बचपन की कई घटनाएं आज भी याद हैं। जैसे उनकी फिल्म चला दी गई और आपके दिलो-दिमाग पर बचपन के दृश्य चल-चित्र की तरह प्रोजेक्ट किए जा रहे हों। आज भी कोई बहुत ही रोने वाला, डराने वाला, रोमांचकारी, भय या उल्लास का दृश्य आपके दिमाग में ठीक उसी प्रकार मौजूद रहता है। ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए होता है कि वह भाव दिमाग में अत्यंत प्रभावोत्पादक एवं उत्तेजित करने वाले होते हैं। अचानक किसी वाहन की दुर्घटना से मृत व्यक्ति का दृश्य बहुत दिनों तक बार-बार दिमाग के सामने घूमता रहता है। 

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National Pollution Control Day

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस - पौधों को बनाएं अपने जिंदगी का हिस्सा

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day):  बढ़ते वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए औषधीय पौधे काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। औषधीय पौधे में यह गुण पाया जाता है कि वे वातावरण को शुद्ध बनाये रखें। कई वैज्ञानिक संस्थानों का दावा है कि औषधीय पौधे ऐसे होते हैं, कि वे ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड खींचते हैं और कुछ पौधे तो पानी से हैवी मेटल भी सोख लेते हैं। इन्हें घरों या गार्डन में लगाकर आसपास की हवा को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है।


घरों, सोसायटी और पार्कों में आजकल पौधे लगाना बहुत ही जरूरी हो गया है क्योंकि जिस तरह से पौधे की कटाई हो रही है उसी तरह से हमारे पृथ्वी प्रदूषण फैलता जा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि  पौधे और वृक्ष वातावरण प्रदूषण को खत्म करते हैं और वे लाखों लोगों के जिंदगी को बचाते हैं। जब पौधे हमारे जीवन के रक्षा करते हैं तो क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि हम भी उनकी रक्षा करें। 

हमारे देश का विकास बहुत तेजी से हो रहा है और उतनी ही तेजी से गांव भी शहर में बदलता जा रह हैं। आजकल बहुत से लोग जो लोग जो फ्लैट में रह रहे हैं वे अक्सर कहते रहते हैं कि हमारे पास स्पेस नहीं कि हम पौधे लगाये तो जानकारी के लिए बता दें कि आप  कनेर, पीपल, बरगद, चंपा और हरसिंगार के बोनसाई आदि पोधै लगा सकते हैं क्योंकि ये असानी से फ्लेट में भी लगाया जा सकते हैं। 

जानकारी के लिए बता दें कि खस, लेमनग्रास, पामा रोजा, वच और तुलसी के पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाई ऑक्साइड का ज्यादा अवशोषण करते हैं जिसकी वजह से ये पौधे वातावरण को शुद्ध करने में बहुत बड़ा योगदान करते हैं, तो हो सके तो इनकों अपने घर के आगन या बालकोनी में जरूर लगाये। इसके अलावा ये पौधे ग्रीन हाउस गैसों को भी अवशोषित कर इन्हें शुद्ध हवा में बदलते रहते हैं। इसी प्रकार से खस को गंदे पानी में लगाने से इसकी जड़े आर्सेनिक और दूसरे मेटल सोख लेती है। खस पौधे को ऐसी जगह लगाया जा सकता है, जहां गंदा पानी ज्यादा हो।

पौधे को उपजाने के लिए कूड़े से खाद बनाएं


 घरों से निकलने वाले कूड़े और कचरे से खाद बनाई जा सकती है और इन खाद का उपयोग पौधे उगाने के लिए किया जा सकता है। इसके दो फायदें है एक तो आपके यहां का कूड़ा खाद में तबदील हो जायेगा और साफ सफाई भी बनही रहेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि आपके खाद खरीदने के पैसे भी बचेंगे। 

सोशल मीडिया : गंदी बात के लिए बिगड़े लड़को का सॉफ्ट टारगेट युवतियां क्यों होती है

सोशल मीडिया : गंदी बात के लिए बिगड़े लड़को का सॉफ्ट टारगेट युवतियां क्यों होती है


आजकल सोशल मीडिया (Social Media) पर लड़कियों को गंदी बात के लिए सॉफ्ट टारगेट (Soft Target) बनाया जा रहा है और इसको अंजाम बिगड़े लड़के देते हैं। छेड़छाड़ करने वाले इन युवकों को लगता है सोशल मीडिया पर उनकी इन कारनामों को पकड़ा नहीं जा सकता है, लेकिन वे अब समहल जायें क्योंकि 1090 की साइबर टीम किसी भी युवती की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई कर सकती है। पिछले साल 2017 में साइबर अपराध लगभग 3990 दर्ज हुए थे। जबकि इस साल 2018 के अक्टूबर महीने तक लगभग 12850 छेड़खानी की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। सोशल मीडिया पर इन बढ़ते अपराध के आंकड़े यह साबित करते हैं कि अपराध बहुत अधिक हो रहा है अब युवतियों को चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि शोषण का सामना डट कर करना चाहिए।


हमारा देश दिन प्रतिदिन हाईटेक बनता जा रहा है और इसके साथ साथ ही बिगड़े लड़के का छेड़खानी का तरीका भी बदल गया है। इसका अंदाजा तो इस बात से लगाया जा सकता है कि विमिन पॉवर लाइन में बहुत सारे मामले दर्ज हुए है छेड़खानी के आकड़े इस बात को बयां कर रहे हैं। फेसबुक और वॉट्सऐप पर सक्रिय युवतियां छेड़खानी के लिए सॉफ्ट टारगेट बन रही हैं। सबसे अधिक कॉलेज में जाने वाले युवतियां निशाने पर हैं। इस तरह के मामलों से युवतियों को सतर्क रहने की जरूरत है। अब इसको रोकने के लिए विमिन पॉवर लाइन (1090) की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जो कि बहुत ही अच्छी बात है। 
देखना तो यह दिलचश्प होगा कि इस जागरूकता का असर कितना अधिक होता है।

सोशल मीडिया पर छेड़खानी को मुहं तोड़ जवाब देने के लिए सुविचार


1. सोशल मीडिया पर बुरी बात करना बंद करों, यह सही जगह नहीं है, यह आपके घर जैसा है, कोई भी अपना घर गंदा नहीं करता तो फिर ये क्यों?

2. महिलाओं के अपराध और समाज जैसे अपराधों को रोकने के लिए ऐसे अपराधों को रोकने के लिए आरोपी के खिलाफ आवाज को मजबूत करना होगा। बच्चों का पहला शिक्षक एक मां है। जो उन्हें जीवन की गुड्स और बैड के बारे में जागरूक करता है। अगर महिला शिक्षा को नजरअंदाज कर दिया गया था, तो यह देश के भविष्य के लिए किसी भी खतरे से कम नहीं होगा।
http://www.superthirty.com/use-education-weapon-women-crime

उच्च शिक्षा हमें
उच्च विचार,
उच्च आचार,
उच्च संस्कार और
उच्च व्यवहार के साथ ही समाज की समस्याओं का
उच्च समाधान भी उपलब्ध करती है।
मेरा आग्रह है कि विद्यार्थियों को कालेज, यूनीविर्सिटी के क्लास रुम में तो ज्ञान दें हीं लेकिन उन्हें देश की आकांक्षाओं से भी जोड़ें.

 

किडनी के लिए खतरनाक है मिलावटी दूध - Contaminated Milk

किडनी के लिए खतरनाक है मिलावटी दूध

डॉक्टरों का कहना है कि दो साल तक लगातार मिलावटी दूध (Adulterated milk) पीते रहने पर लोग Intestine, लिवर या किडनी डैमेज (Kidney damage) जैसी Disease के शिकार हो सकते हैं। Indian food security एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में बिकने वाला करीब 10 प्रतिशत दूध हमारे Health के लिए Harmful है। इस 10 में से 40 प्रतिशत मात्रा Packaged milk की है जो हमारे हर दिन के भोजन में इस्तेमाल में आता है। यह 10 प्रतिशत Contaminated milk यानी दूषित दूध वह है, जिसकी मात्रा में वृद्धि दिखाने के लिए इसमें यूरिया, ग्लूकोज, वेजिटेबल ऑयल या अमोनियम सल्फेट आदि मिला दिया जाता है।

डॉक्टरों के अनुसार, मिलावटी या Contaminated milk से होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि कॉन्टैमिनेशन कैसा है। अगर दूध में बैक्टीरियल कॉन्टैमिनेशन है तो Food poisoning, पेट दर्द, Diarrhea, Intestine Infection, उल्टी, Loose motion होने का डर होता है। कई बार मिनरल्स की मिलावट होने पर हाथों में झनझनाहट या Joint pain भी शुरू हो जाता है। वहीं, अगर दूध में Insecticide या Chemicals की मिलावट है या Packaging में गड़बड़ है तो इसका पूरे शरीर पर लंबे समय के लिए बुरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह के मिलावटी दूध को काफी समय से यानी करीब दो साल तक लगातार पीते रहने पर आप Intestine, लिवर या किडनी डैमेज जैसी Dangerous diseases के शिकार हो सकते हैं। Contaminated milk में कुछ ऐसे केमिकल की मिलावट भी होती है जिनसे Carcogenic problems हो सकती हैं। अगर आप 10 साल तक इस मिल्क प्रॉडक्ट को ले रहे हैं तो कैंसर जैसी Severe illnesses होने की संभावना हो सकती है।

कम करें प्रभाव (Reduce effects)

डॉक्टरों के अनुसार, Poshchrified milk होता ही इसलिए है ताकि सेहत को उससे कोई नुकसान न पहुंचे। लेकिन अगर वह भी Contaminated हो तो आप इसमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। हालांकि, टेट्रा पैक को प्रमुखता देकर कुछ हद तक इससे बचा जा सकता है। Tetra pack में Plastic exposures कम होने की वजह से वह Plastic pack से कम दूषित होता है।

बचाव (Rescue):  डॉक्टरों के अनुसार, दूध को सही तरह से उबालकर इसके भीतर के Simple injection वाले बैक्टीरिया को हटाया जा सकता है। साथ ही, इसे हमेशा Refrigerate करके रखें और भूलकर भी खुला न छोड़ें।

मिलावटी दूध पर सुविचार

1. मिलावटी दूध और मिलावटी पनीर पर
WHO ने चेताया - नहीं रुकी
मिलावटखोरी तो ........2025 तक भारत के 87% नागरिक कैंसर से पीड़ित होंगे

2. FSSAI की एक स्टडी के मुताबिक भारत में बिकने वाला करीब 10 फीसदी दूध हमारी सेहत के लिए हानिकारक है।

प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित कुछ खास तथ्य - स्वास्थय विचार

Prakritik Chikitsa (Naturopathy )

योग को भी प्राकृतिक चिकित्सा का ही अंग माना गया है। योग की सहायता से मन शांत रहता है। प्राणायाम और योगासन के भी फायदे हैं। योग की मदद से शरीर के अंदर के अंग मजबूत होते हैं। वहीं एक्सरसाइज से शरीर का बाहरी हिस्सा मजबूत होता है। ध्यान करने से मानसिक शक्ति भी बढ़ती है।
प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित कुछ खास तथ्य

प्राकृतिक चिकित्सा सेंटर पर बीमारियों के अनुसार कई दूसरे तरीके भी हैं जिनसे इलाज किया जाता है। इनमें हाइड्रोथेरपी का खास रोल है। मसलन कटि स्नान, मेरुदंड स्नान, स्टीम बाथ, धूप स्नान, मड स्नान, एनिमा आदि। इसके अलावा मालिश भी एक तरीका है।
कुदरत के साथ रहकर भी हम कुदरत से दूर होते जा रहे हैं। यही कारण है कि जो चीजें नेचर ने हमें मुफ्त में दी हैं, हम उनका भी फायदा नहीं उठा पाते। गांव में तो प्राकृतिक चिकित्सा किसी-न-किसी रूप में अब भी मौजूद है। प्राकृतिक चिकित्सा कैसे हमें नेचर के करीब ले जाती है और इसके फायदे और सीमाएं क्या हैं आइयें इसके बारे में जानते हैं -

प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर कुछ एक्सपर्ट की राय
कुछ एक्सपर्ट तो प्राकृतिक चिकित्सा शब्द को ही नहीं मानते। वह कहते हैं कि इसमें कोई दवा या इलाज नहीं होता, इसलिए पैथी कहना सही नहीं है। इसे नेचर क्योर कहना चाहिए।
•हर जिंदा प्राणी के शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है, जिसे हम Healing Power within कहते हैं। जैसे अगर हड्डी टूटी है तो उसे आराम देने पर वह खुद ही जुड़ जाती है। ठीक इसी तरह शरीर के दूसरे अंगों को कुदरती तरीके से आराम देने से बीमारियां बिना दवाओं के ठीक हो जाती हैं।
•इस धरती पर लाखों जीवित प्राणी हैं, उनमें से आधुनिक इंसान ही एकमात्र जीव है जो बीमारियों को ठीक करने के लिए दवा का सहारा लेता है। बाकी जीव तो बिना दवा और बिना ऑपरेशन के ही ठीक हो जाते हैं। प्राचीन समय में इंसान भी आयुर्वेदिक दवाई का उपयोग बहुत कम करता था।
•जैसे सोने को जोड़ने के लिए सोना और लोहे को जोड़ने के लिए लोहा ही सबसे अच्छा और सही रहता है, उसी तरह इंसान के अंदर की बीमारियों को ठीक करने के लिए भी उन्हीं तत्वों ( मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाश) का उपयोग सही है, जिनसे इंसान बना है।
•कुछ एक्सपर्ट्स दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन करने से मना करते हैं। वे कहते हैं कि दूध का स्रोत पेड़-पौधे न होकर जानवर हैं। दूसरे, कोई भी दूसरा जानवर बड़े होकर दूध नहीं पीता और बचपन में किसी दूसरे जानवर का दूध नहीं पीता। तो इंसान क्यों पिए, बछड़े का दूध क्यों छीने/ फिर दमा-एग्जिमा जैसी बीमारियों की वजह दूध है। जब दूध से बेहतर विकल्प (दालें, धूप, हरी सब्जियां) हमारे पास मौजूद हैं तो हम दूध क्यों पिएं।
•प्राकृतिक चिकित्सा में 'रोग' शब्द नहीं है। स्वास्थ्य बढ़ता है या फिर स्वास्थ्य की कमी होती है।
•कोई ऐसी दवा नहीं है जो बीमारी पैदा न करे।
•उपवास से जब तक ताकत नहीं आए, तब तक उपवास करना चाहिए। दरअसल, उपवास से जब शरीर के अंदर हुई क्षति दूर हो जाती है तो कमजोरी अपने आप खत्म हो जाती है।

प्राकृतिक चिकित्सा में तीन तरह की रसोई
1. भगवान की रसोई: इस रसोई में सूरज धीरे-धीरे फलों, सब्जियों को पकाते हैं। वायुदेव लोरी गाकर बड़ा करते हैं। चांद इसमें औषधि और रस देता है जबकि धरती खनिज पदार्थ उपलब्ध कराती है। जो लोग इन्हें इसी रूप में खाते हैं, वे एक तरह से भगवान हो जाते हैं क्योंकि भगवान शक्तिमान हैं, वह रोगी नहीं होते और दवा कभी नहीं खाते।

2. इंसान की रसोई: अगर भगवान की रसोई से मिले हुए फल, सब्जी आदि को भूनकर खा लें तो यह भी चल सकता है। ये भी स्वस्थ रह सकते हैं।

3. शैतान की रसोई: इसमें डिब्बाबंद, पैकिट बंद, बोतल बंद, जंक फूड, फास्ट फूड, रेस्तरां का खाना, ढाबों का खाना आता है। ऐसा खाना खाकर बीमार पड़ना स्वाभाविक है।
यह 7 दिनों तक चलता है। इसमें दिन और रात के खाने का मेन्यू बदल जाता है।

सुबह में मौसमी का रस या संतरे का रस

नाश्ता: अमूमन शुद्धि डाइट जैसा ही

दोपहर का खाना: 2 से 3 चपाती (बाजरे या फिर अलग-अलग अन्न की रोटियां, सिर्फ गेहूं की नहीं खानी चाहिए।), एक कप दाल (100 से 150 एमएल), उबली हुई सब्जी (200 से 300 ग्राम)

शाम में: सब्जियों का सूप, ग्रीन टी आदि यानी लाइट फूड ही लेना है।

रात में: दोपहर के खाने जैसा भोजन। अगर भूख नहीं है तो एक सेब या 100 से 150 ग्राम कोई भी एक फल खा सकते हैं। खाली पेट नहीं सोना है।

अगर इस डाइट को फॉलो करने से ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है तो इसे दोबारा चलाया जाता है। यह काफी हद तक मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

कच्चा खाना मुश्किल, पर जरूरी भी: यह सच है कि कच्चा फल या उबली हुई सब्जियां आदि खाना मुश्किल होता है क्योंकि कच्चे फलों को चबाने में ज्यादा मेहनत करना पड़ती है, तो उबली हुई सब्जियां ज्यादा टेस्टी नहीं होतीं। फिर भी ये हमारे लिए बहुत फायदेमंद हैं।

नोट: लोग इस तरह की डाइट घर पर भी फॉलो कर सकते हैं। शुरू में तीनों तरह की डाइट को एक-एक दिन तक करते हुए तीन दिन में पूरा कर सकते हैं। अगर घर पर तीनों दिन की डाइट फॉलो करना मुश्किल लगता है और किसी पार्टी में ज्यादा खा लिया तो दूसरे दिन शुद्धि डाइट को अपना लें।
सुबह में 1 या 2 गिलास पानी या फिर 1 गिलास नीबू पानी

इसके बाद नाश्ता: फल (1 से 2 सेब या 200 ग्राम पपीता)। एक बात याद रखें कि प्राकृतिक चिकित्सा में सलाद पर नीबू रस और नमक-मसाला मिलाकर खाने से मना किया जाता है क्योंकि इससे सलाद की फायदेमंद केमिस्ट्री बदल जाती है।

दोपहर का खाना: इसमें गाजर, चुकंदर, घीया, पालक, टमाटर आदि को खाने के लिए दिया जाता है। इन सभी को मिलाकर 400 से 500 ग्राम तक लिया जाता है।

शाम में: हरी सब्जियों के सूप, जिसमें पालक, टमाटर आदि हों। 100 से 150 एमएल (लगभग एक कटोरी) ले सकते हैं।

रात का खाना : दोपहर के खाने जैसा ही।•घड़ी की सुइयों के हिसाब से न खाएं। जब घंटी पेट में बजे, तब खाएं। यानी खाना भूख लगने पर ही खाएं और ज्यादा खाना नहीं, ज्यादा चबाना जरूरी है।
•एक वक्त पर एक ही फल खाएं, सेब 2, 3 खा सकते हैं, पर एक सेब, एक केला नहीं।
•फल एक वक्त के खाने की जगह खाएं। खाने से पहले, खाने के बाद या खाने के साथ

न खाएं।
•कच्ची सब्जियों का सलाद रोज एक बार खाना जरूरी है। यह भी खाने से पहले, खाने के बाद या खाने के साथ न खाएं। सलाद एक वक्त के खाने के तौर पर खाएं। सलाद में अलग-अलग कच्ची सब्जियां मिलाकर ले सकते हैं।
•सलाद में न तो नीबू डालें और न ही नमक। ये दोनों चीजें सलाद की सेहत बढ़ाने वाली केमिस्ट्री में दखल पैदा करती हैं। सलाद यानी सब्जियां ऐल्कलाइन होती हैं, नीबू और

नमक एसिड।
•सब्जियों के साथ फल न खाएं और न ही फल के साथ सब्जियां। कारण, फल एसिडिक होते हैं और सब्जियां ऐल्कलाइन।
•ऐल्कलाइन चीजें ज्यादा खाएं, एसिडिक चीजें कम। शरीर में एसिड ज्यादा हो तो यूरिक एसिड बढ़ता है, स्किन इंफेक्शन हेता है, और तमाम तरह की बीमारियां होती हैं।
•पका हुआ खाना दिन में एक ही बार खाएं। नाश्ता हल्का रखें। इसमें फल खाएं या सलाद। दिन की शुरुआत ऐल्कलाइन पेय से करें जैसे नारियल पानी, सफेद पेठे का रस आदि।
यह ऐसी डाइट होती है, जिससे शरीर को साफ किया जाता है।

मिनी कुंभ आज से शुरू, लाखों श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी - Suvichar News

कुम्भ मेला आज से शुरू

कुम्भ मेला: गढ़मुक्तेश्वर का इतिहास काफी ऐतिहासिक और पौराणिक (
Historical and mythological) है। पुरोहितों का कहना है कि इस स्थान पर भगवान शिव (Lord Shiva) के गणों को मुक्ति मिली थी। इन गणों को मुक्ति मिलने से इस स्थान का नाम गणमुक्तेश्वर (Ganmukteshwar) हुआ था, लेकिन इसके बाद बोलचाल में इसका नाम गढ़मुक्तेश्वर हो गया। 

स्नान से मिलती है मुक्ति


कार्तिक की बैकुंठ चतुर्दशी को गढ़ की गंगा में स्नान कर लोग यहां मृत परिवारवालों की मुक्ति और आत्मा की शांति के लिए गंगा में दीपदान करते हैं। दीपदान का दृश्य काफी मनोरम होता है।

मेले में आए मुस्लिम समुदाय के व्यापारी अजान के बाद गंगाजल से वजू कर रेतीले मैदान में खुदा पाक की रजा के लिए नमाज अता कर देश की खुशहाली और अमचैन की दुआ करते हैं। इस अनूठे संगम से गंगा का विशाल किनारा इन दिनों विभिन्न धार्मिक रंगों में डूबा हुआ है। हाजी शरीफ, गुड्डू, रज्जाक ने बताया कि गंगा खादर का यह मेला सचमुच सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है।

मेला स्थल पर महिलाओं और बच्चों की खरीदारी के लिए मीना बाजार भी अब सजने लगा है। सोमवार सुबह तक पूरा बाजार सजकर तैयार हो जाएगा।



गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले मेले के लिए गाजियाबाद और मेरठ रीजन की 200 रोडवेज बसों को गढ़ और ब्रजघाट के लिए लगाया है, जबकि बाकी बसों को रिजर्व में भी रखा गया है। गंगा मेला जाने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

गढ़मुक्तेश्वर के खादर क्षेत्र में आज से कार्तिक मेला शुरू हो रहा है। मेरठ मंडल कमिश्नर अनीता सी. मेश्राम सोमवार को मेले का शुभारंभ करेंगी। आस्था के इस पर्व पर श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाएंगे। मेला सोमवार से 25 नवंबर तक चलेगा, जबकि मुख्य स्नान 23 नवंबर को है। इस महाभारतकालीन मेले को श्रद्घालु 'मिनी कुंभ' मेले का नाम भी देने लगे हैं। इसमें कई राज्यों से लाखों लोग स्नान करने आते हैं। इस वर्ष मेले में 35 से 40 लाख श्रद्घालुओं के आने का अनुमान है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करना पुरानी परंपरा है, लेकिन बदलते दौर में पुरानी परंपराएं खत्म होती जा रही हैं। इसी के चलते 'लक्खी' मेले के नाम से प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले का स्वरूप बदलता जा रहा है। मेले में सबसे ज्यादा बिकने वाले गुड़ का स्थान अब चाऊमीन ने ले लिया है। पुराने जमाने में चिट्ठी के माध्यम से डेरा डालने के लिए स्थान तय किया करते थे, ताकि किसी को रुकने में कोई दिक्कत न हो। करीब 3 दशक पहले श्रद्धालु परंपरागत तरीके से बैल-गाड़ियों पर सवार होकर आया करते थे, जिससे आने-जाने में कई दिनों का समय लग जाया करता था, लेकिन आज के बदलते दौर में टेंपों, कार और बाइक जैसे वाहनों से श्रद्धालु आने लगे। श्रद्धालु यहां झूला, सर्कस, मौत का कुआं, काला जादू, टूरिंग टॉकीज आदि का आनंद लिया करते हैं। करीब 4 दशक पहले अधिकांश श्रद्धालु 2 सप्ताह तक यहीं पर ठहरा करते थे। विभिन्न जगहों से आने वाले लोग भाषा, पहनावा और रीति रिवाज से परिचित हुआ करते थे।

सुविचार फार यू


"भगवान शिव को शम्भू, शंकर, महादेव तथा नीलकंठ आदि अनेक नामों से सम्बोधित किया जाता है। उनके प्रत्येक नाम का अपना महत्व है। शिव की महिमा अपार है। शब्दों में उनकी व्याख्या करना असम्भव है। भगवान शिव की स्तुति करते समय हमारे ऋषियों ने लिखा है कि काले पत्थर की स्याह, समुद्र की दवात, कल्प द्रुम की लेखनी और पूरी पृथ्वी को कागज बना कर साक्षात माता सरस्वती उनकी महिमा लिखे, तब भी भगवान शिव की महिमा नहीं लिखी जा सकेगी।"

NBRI ने जारी की प्रदूषण कम करने वाले पौधों की सूची

घरों में लगाएं ये पौधे, कम होगा प्रदूषण का स्तर


ये पौधे प्रदूषण और लोगों के स्वास्थ्य के बीच एक बैरियर का काम करेंगे। पौधे लोगों को न सिर्फ धूल बल्कि हानिकारक गैसों से भी बचाएंगे।

-एसके बारिक, निदेशक, एनबीआरआई

हानिकारक कणों से होगी सुरक्षा


एनबीआरआई ने घरों के अंदर और बाहर लगने वाले इन एयर प्योरिफायर पौधों की सूची अपने ऐप पर अपलोड की है। ईएनवीआईएस एनबीआरआई में ग्रीन प्लानर में इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। इसकी मदद से लोग प्रदूषण के स्तर को कम करने वाले पौधे लगा सकते हैं। 'ग्रीन कवर' लोगों को हानिकारक कणों से आसानी से बचा सकता है।

'डिवाइडर पर भी लगाए जाएं ऐसे पौधे'


एनबीआरआई का कहना है कि ये पौधे सिर्फ घरों या बाहर मैदानों में ही नहीं बल्कि सड़कों के डिवाइडर पर भी लगने चाहिए ताकि हवा में फैले प्रदूषण को कम किया जा सके। ऐप में ऐसे पौधों की सूची भी है जो डिवाइडर पर लगाए जा सकते हैं।

बगीचे में लगे क्राइसेंथेमम का बदलता रंग इस बात का संकेत होता है कि आपके आसपास सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा है। वहीं, भारतीय ओलेंडर की पत्तियां फिल्टर के तौर पर काम करती हैं और बढ़े प्रदूषण से फेफड़ों को महफूज करती हैं।

सबसे अच्छे प्योरिफायर हैं ये पौधे


रबर प्लांट, बॉस्टन फ्रेन, स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट जैसे घरों के अंदर लगाए जा सकने वाले पौधे हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। वहीं, घरों के बाहर लगने वाले नीम, पीपल, अशोक और दूसरे कई
ऐसे पेड़ हैं जो प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे बेहतर प्योरिफायर होते हैं।

बढ़ता प्रदूषण पूरे देश के लोगों की सेहत पर असर डाल रहा है। इससे बचने को लोग तरह-तरह के जतन भी कर रहे हैं। मास्क लगाने से लेकर खानपान तक पर खास ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि, कुछ पौधे ऐसे हैं जिन्हें घरों में लगाकर प्रदूषण से स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है। नैशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (एनबीआरआई) ने ऐसे पौधों की सूची तैयार की है जो धूल को फिल्टर करते हैं और उसे अवशोषित कर उसके प्रभावों को कम कर देते हैं।

सीएसए यूनिवर्सिटी के उद्यान महाविद्यालय के असोसिएट प्रफेसर डॉ. विवेक त्रिपाठी के मुताबिक, घरों में बरगद, पाकड़ और पीपल की बोनसाई रखी जा सकती है। बड़े पेड़ों के मुकाबले बोनसाई से कम ऑक्सिजन का उत्सर्जन होता है, लेकिन घरों की जरूरत के लिहाज से ये पर्याप्त काम करते हैं। तुलसी से भी ऑक्सिजन मिलती है। इसके अलावा सिनगोनियम, डाइफेनबेकिया और एरेकापाम पौधों को घरों में लगाया जा सकता है। ब्रायोफाइलम, क्रोटन और फाइकस भी वातावरण साफ करने में उपयोगी हैं। धार्मिक मान्यताओं के तहत उत्तर-पूर्व दिशा में लोग नवग्रह वाटिका लगाएं तो इसमें शामिल पलाश, गूलर, दूब, पीपल, आक, समी, खैर, कांस और लटजीरा से भी प्रदूषण कम होता है।

96 year old woman received 98 out of 100 marks in Kerala Exam

केरल साक्षरता परीक्षा में 96 वर्षीय महिला ने 100 में से 98 अंक प्राप्त कियें

केरल साक्षरता परीक्षा में 96 वर्षीय महिला ने 100 में से 98 अंक प्राप्त कियें। मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन उनको उपलब्धि प्रमाणपत्र दियें। 

सोच और इरादे अगर मजबूत हो तो उम्र मायने नहीं रखता यह करके दिखाया है केरला की एक महिला ने  जिनकी उम्र 96 वर्ष है। इनका नाम  कार्थ्यायनी अम्मा है और ये आलप्पुषा के मूल निवासी है। इन्होने केरल में आयोजित साक्षरता परीक्षा में उच्च अंक हासिल किए हैं।

ऐसा बताया जा रहा है कि वह अब अपनी आँखें अब कंप्यूटर सीखने पर सेट की हुई है। जब वह युवा थी तो इनको मौका नहीं मिला की पढ सके लेकिनन जब इन्होने बच्चों  को पढ़ते देखा तो इनको भी पढ़ने का शौक हो गया। 

Education Quotes for you


ऐसा बताया जा रहा है कि वह आलप्पुषा जिले के हरिपद के चेपड़ गांव के एक मूल निवासी, गैर-वंशानुगत गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने उनका "उपलब्धि प्रमाणपत्र" उन्हें दिया। जो उनकी उपलब्धि के लिए मान्यता के प्रतीक थे।

मिशन के निदेशक पी एस श्रीकला ने बताया कि कार्त्यायणी अम्मा ने लिखित में 40 में से 38 रन बनाए और गणित और पढ़ने में 30 में से प्रत्येक का पूरा अंक हाशिल की है। 

कार्त्यायणी अम्मा अब महिला साक्षरता कार्यक्रमों का हिस्सा बनने के इच्छुक हजारों लोगों के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुकी है। 

Education Quotes for you

केरल के अधिकारी ने कहा कि हमें साक्षरता मिशन तहत राज्य को चार साल में पूरी तरह साक्षर करना है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में लगभग 18.5 लाख अशिक्षित थे। अक्षरलाक्षम" राज्य में 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के लिए एलडीएफ सरकार के प्रमुख साक्षरता कार्यक्रमों में से एक है।

उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिए उपस्थित कुल 43,330 उम्मीदवारों में से 42, 9 33 उम्मीदवारों ने राज्य भर में परीक्षा को मंजूरी दे दी है। 100 अंकों की पहल ने उम्मीदवारों के पढ़ने, लेखन और गणित कौशल का परीक्षण किया था। परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए, किसी को पढ़ने में 30 में से कम से कम 9 अंक हाशिल करना है, लिखित में 40 में से 12 और गणित में 30 में से 9 प्राप्त करना है।


जिन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण की है, वे साक्षरता मिशन के चौथे मानक समकक्ष पाठ्यक्रम को नामांकित कर सकते हैं।  पलक्कड़ में जीतने वाले उम्मीदवारों की सबसे ज्यादा संख्या -10,866 है, इसके बाद तिरुवनंतपुरम-9 412 और मलप्पुरम -4065 हैं। पूरी तरह से निरक्षरता को खत्म करने के लिए, मिशन ने कई कार्यक्रमों को तैयार किया है, खासतौर पर हाशिए वाले समूहों जैसे आदिवासियों, मछुआरों और झोपड़पट्टियों के बीच।

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A little story - Emotional Story

Renu got married before 5 years, her husband had a little less talk, but she had a big and culturally beautiful mother, father-in-law, father-in-law, and a little sister-in-law, and a little angel, full family, day happily was passing.

Today Renu was sitting on the days of the past, how can his father demand Rs 30 lakh rupees in the name of his son-in-law, so that his daughter should be happy, how his mother and father married him with great fanfare, Renu married in a very pleasurable way. happened.

Well, it was not the case, it was as if Renu's elder brother had removed his mother and father from the house. They did not have money to save money, as much as they were given to Renu's wedding, then why do babies keep their parents? Renu's parents stayed in a temple.

Renu had come to meet him today, and he started having a lot of sadness. After all, how sad it was for her parents and parents, her father had made her own money.
Today, the same parents were hungry to eat in some corner of the temple.
Renu wanted to talk to her husband They brought their parents home. But she was not able to be courageous, because her husband used to speak less, mostly kept silent. Jengese was on the night of Tense and Renu's husband and the whole family were sitting at the table to eat.

Renu's eyes were open, she said to her husband, frightened,
Listen, brother, sister-in-law has removed her father from home. He is lying in the temple if you say you can bring him home.

Renu's husband did not say anything, and finished cooking and went to his room, everyone was eating food till now, but a bowl from the mouth of Renu had not even landed, that was what he was worried about now. ? He also did not say anything, Renu was serving food to all the dwellers.



After a while, Renu's husband came out of the room and gave a notebook bundle in Renu's hand saying, "Buy this house for Mother, Daddy, and tell him, I do not frick anything. I am.

Renu said bitterly, did you come by saying so much money ??
Renu's husband said this is the money given to your father.

It was not mine, so I did not touch it.


Anyway, he had given this money forcibly, maybe he knew it would come one day.

Renu's mother-in-law started seeing her son with a proud look, and her son also told her, Amma Ji Babuji is all right, right?


His Amma Babuji said, "It is a noble thought, son, we know you from childhood, you know, if the daughter-in-law has brought her parents home, then her parents will not be able to raise their heads, they should stay in the daughter's house, And will not survive.

Therefore, you have decided to get a separate house, and if you are talking about this dowry money, then we have never needed it. Because you have never let us lack anything, say, happy baby, everything except Renu and her husband has gone to gold.


Renu's husband said again, if you need money, tell me, and tell your parents not to tell the house where to buy the money, to excuse anything else, or else they will keep kicking in their hearts.

Let's go, now I'm going to sleep, I have to go to the morning office, Renu's husband went to the room.




And Renu started bashing herself, she did not mind, what did she think, my husband has taken dowry money, will he not help, will have to do it, else I will not even serve his mother.

Renu got up and went to her husband, apologizing, she told all about her husband.

Her husband said, "There is no matter what happens to me in my place.
There was no place for Renu's happiness, on the one hand, the problem of his mother-father, on the other hand, her husband forgave,
Renu said to her husband happy and ashamed
I hug you Her husband said, 'I do not dirty my clothes and both of you laugh'
And maybe Renu got to understand more of her less spoken husband.
Every man is not bad,
To pay attention,
There are some good

A poor farmer and shopkeeper - Motivational Story

There was a farmer in the village who used to sell curd and butter. 
One day, the wife gave her butter and he went to city from village for selling it.
Butter was made like round butter cake and everyone weighed 1 kg.
In the town, the farmer sold butter to a shopkeeper as usual and after buying tea, sugar, oil, and soap etc. from the shopkeeper came back to his village.
 A poor farmer and shopkeeper - Motivational Story

After leaving the farmer-
The shopkeeper started to put butter in the fridge. He came to know why a butter cake should be weighed. The weight of the butter cake was only 900gm. 
With all the surprises and frustrations, he weighted all the butter cake, but all the weight of butter cake was about 900-900gm.
Next week, the farmer took the butter as usual and just as soon as the shopkeeper got on the threshold.
The shopkeeper shouted to the farmer, saying, "Be scared, do business with someone dishonest and deceitful ... but not me."
900gm does not have to look at the person who sells butter as a kilogram.
The farmer said to the shopkeeper with great "humility" "Do not be angry with my brother, we are poor and poor people.
Where is the capacity to buy the weight for the weighing of our goods? By placing one kilogram of sugar with you, keeping it in a corner of the balance, we bring the same weight of butter in the second.

Some thoughts and their meaning


जो हम दुसरो को देंगे,वहीं लौट कर आयेगा...
चाहे वो इज्जत, सम्मान हो,या फिर धोखा...!!

Rahim was a very big donor. His special thing was that when he went ahead to donate his hands, his eyes were tilted down. This thing seemed strange to everyone that how Rahim Rahim is a donor. They also give donations and they also get ashamed. When this matter reached Tulsidasji, he sent Rahim four rows in which he wrote.

ऐसी देनी देन जु
कित सीखे हो सेन।
ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ
त्यों त्यों नीचे नैन।।

It meant that Rahim has taught you to donate such a thing? As your hands rise up, why are your eyes bowing down to your eyes? The answer that Rahim gave in return was so good that even the one who heard that Rahim was convinced. Nobody has given such a lovely answer to anyone till date.

रहीम ने जवाब में लिखा
देनहार कोई और है
भेजत जो दिन रैन।
लोग भरम हम पर करैं
तासौं नीचे नैन।।

Meaning, someone else is the one who is the owner, that is the divine, he is sending day and night. But people think that I am giving up Rahim is giving. By thinking of this I am ashamed and my eyes bow down.

Where is the ultimate truth?

Once God called all the creatures but left Manav for a long time. Actually, he wanted to hide something from the person. God wanted that 'the ultimate truth' did not come in the person's reach.

For this, he should ask all the creatures to suggest that ultimate truth should be hidden, as far as a human cannot reach. Everyone started thinking. First of all, the eagle said, 'Lord, give it to me; she will be stuck on the moon.


God knew the capacity of man that is why he said immediately, 'No, no, reaching the moon is not difficult at all. One day the human beings will be able to reach the place. 'Then, in a fish dialect, in the depths of the ocean, they press and press. God again argued that the ocean is not far from human reach. On some days, he will also measure his depth.

Now once a rat suggested, 'I threw the truth in the womb of the earth.' This time also God had the same answer that the place would not be far away from the human reach. The problem was grim. All the creatures were responding to their own capacity, but God was not unaware of the capabilities of man. He knew that the human will touch every corner of the world on one or the other day and nothing will hide from it.

An elderly tortoise was listening to everyone. When all were unable to solve this problem, the tortoise said in a fine voice, "I think it should be hidden within the heart of a human being. He will never be able to see it, 'and God did this.

A dear reader, this story teaches us that - "The biggest truth of life, the secret of happiness and peace is hidden within us, but we keep wandering out in search of it. If we try to peek within ourselves, then everything will be found.

Who is real Ravana?

I am a married person and the definition of ravan in my eyes is clear.
Ravana who conspiracy to remove you from your wife
Ravan who plot to remove you from your husband
Ravan, who increase distances between husband and wife.
Ravana who dissolved poison in your house.
Ravan who do evil to his wife in front of husband
Ravan who do evil to her husband in front of his wife
Ravan who will break someone's life's life.
Ravana who snatch the intimate moments of your married life away from you
Ravan who scatter the thorns on your married shadows


The only difference is that
Do you recognize the ravan of your life??
If a person makes the evil of your husband or wife in front of you, then understand why the ravana of your life wants to take you to the world where you get away from your life partner and become the cow of his benefit.


Recognize the ravana of your life and if you are ravana of someone's life then burn your ravana today.
If the husband's wife is with each other, his destiny is to stay with them. Every person finding benefits for himself in their destiny is ravana.



Keep in mind parents, brother sister-in-law, sister-in-law, sister-in-law and sister-in-law is not
Life partner just called husband wife
Because this relationship goes to every study of age.
Happiness and sorrow goes through every border
He also gets the bond of arms.
The body of the body also crossed the limit.
This is the relationship on which every ravana is seen, when ram and sita get trapped in a mraga mirage and when he come and separate ram and sita.
If you are a mother-in-law, brother-sister, brother-in-law,
Brother-in-law, sister-in-law, Father-in-law or friend, then avoid being ravana and don't be a reason to remove a husband from his wife or a wife from her husband.

Burn your ravana today with a homemade household, why is there any third of the house that has been made due to every shattered house today?

I say that ramayana and Mahabharata are not just a book, but read them according to the philosophy of life.
These texts will not let you wander.

सुविचार इन हिंदी | Suvichar in Hindi

अच्छे विचारों कि पोटली

आजकल के युवा पीढ़ी के जीवन में जितनी जल्दी निराशा घर बना लेती है उतनी ही जल्दी उनका आत्मविश्वास भी डग मगाने लगता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनको सही मार्ग दिखाने वाला कोई नहीं मिलता है और कुछ लोग मिल भी जाते हैं तो या तो उनके विचार अच्छे नहीं होते या फिर उनके संस्कार अच्छे नहीं होते, जिसकी वजह से व्यक्ति को भटकने में समय नहीं लगता। ऐसी स्थिति में यदि यक्ति को कहीं से अच्छे विचारों कि पोटली मिल जाये और वह उसे पढ़कर अपने जीवन में बदलाव लाये तो उसका जीवन सही पथ पर आगे बढ़ने लगता है।
इन बातों को ध्यान में रखकर हम कुछ सुविचार (Suvichar in Hindiआपके साथ साझा कर रहे हैं, आशा है आपको ये रचनात्मक लेख जो कि सुविचारों से भारा हुआ है पसंद आयेगी।

सुविचार इन हिंदी

  1. इन्सान हर बार आजमाता है कि ईश्वर है या नहीं, कभी खुद को क्यों नहीं आजमाता कि वह इन्सान है या नहीं। - सुविचार फॉर  यू ग्रूप
  2. मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु, उसका अज्ञान होता है। - आचार्य चाणक्य सुविचार
  3. इच्छा ही सब दूखो का मूल कारण है। - गौतम बुद्ध सुविचार
  4. जिसने ज्ञान को अपने अंदर उतार लिया, समझो उसने ईश्वर को अपने अंदर समा लिया। - विनोबा भावे सुविचार
  5. आपका आज का मनुष्यता, आपके कल के भाग्य को लिख सकता है। - सुविचार फॉर  यू ग्रूप
  6. क्रोध  एक  प्रकार का अस्थायी   पागलपन  है  – महात्मा  गांधी सुविचार
  7. अप्रिय शब्द पशुओ को भी अच्छे नहीं लगते - गौतम बुद्ध सुविचार
  8. सख्त दिलों को जितने के लिए नरम  शब्दों  का प्रयोग करना पड़ता है। - सुविचार फॉर  यू ग्रूप
  9. गहरी नदी का जल बहाव हमेशा शांत और गंभीर होता है। - शेक्सपीयर सुविचार
Suvichar in hindi

Insaan Har Bar Aajmata hai ki Ishwar Hai Ki Nahi. Kash Ki Insaan Ek Bar Sway Ko Aajma Leta Ki Wo Insaan Hai Ki Nahi.

suvichar in hindi

Apni Galti Ko Svikarana Jhadoo Lagane Ke Samaan Hai jo Dharatal Ki Satah Kko Chamakdar Aur Saff Kar Deti Hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi

Satya Ek Bada Ped Hai, Uskii Jyo Jyo Seva Ki Jati Hai, Tyo Tyo Usmen Anek Phal Aate Hai, Unka Ant Nahi Hota. - Mahatma Gandhi
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦


suvichar in hindi

Yuva Prakriti Ke Ek upahar hai, Leking Umaar kam karne ki Ek Kala Hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi


Prem Ki Shakti Dand  Ki Shakti Se hajar Guni Prabhavshali Aur Sthayee Hoti Hai. - Mahatma Gandhi
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi


Dunia Men Koi Kaam Asambhav nahi Hota, Bas Hosala Aur Menhant Ki Jaroorat Hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi

Ishwar Kahate Hain, Udas na Ho Main Tere Saath Hoon, Saamane Nahi Aas Paas Hoon, Palko Ko Band Kar Aur Dil Se Yad Kar Main Koi Aur Nahi Tera Vishwas Hoon.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi

Paisa Kamane Ke Liye Itana Samay Karch Mat Karo Ki, Paisa Kharch Karane Ke Liye Jindagi Men Samay Hi Na Bache.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi

Karmo Se Hi Pahachan Hoti hai Insano Ki Kyonki Hahane Kapade To Putale Bhi Pahante Hai Dukano Men.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi

Laphj Aur Unko Bolane Ka lahaja Hi Hote hain, Insan Ka Aaina, Shakl Ka Kya Hai, Wo To Umar Aur Halat Ke Saath Akasar Badal Jati Hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi
Ham Kya Karte Hain, Iska Mahatv Kam Hai. Parantu Use Ham Kis Bhav Se Karte Hain Iska Bahut Mahatv Hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi
Kabhi Pith Peechhee Aapki Baat Chale La Ghabrana Nahi, Kyonki Peech Pichhe Unhi Ki Baat Hoti hai, Jinme Koi Baat Hoti Hai. 
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦



suvichar in hindi
 Apna Phayada Soche Bina, Sabke Sath Achchhai Karo, Kyonki Jo Log Phool Batate hain, Unke Hatho Men Kushbu Awashy Hoti Hai. 
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

suvichar in hindi
Kam Karne Se poorv vichar Karna Buddhimani hai, kaam Karte Samay Vichar Karna Satrkta Hai, Aur Kam Karne ke bad vichar karna murkhata hai.
💦सुविचार इन हिंदी फॉर यू 💦

हमें समझना चाहिए कि जिंदगी के इस सफर में कभी अच्छी बाते होती रहती है तो कभी बुरी, कभी हमें अच्छे लोग मिल जाते हैं तो कभी बुरे, लेकिन इस स्थिति में हमें चुनाव करना होता है कि हम किसे चुने। यदि हम सही मार्ग को चुन लेते हैं तो हमारा जीवन सही मार्ग पर चलने लगता है और यदि गलत चुनते हैं तो वह गलत रहा पर चला जाता है। 

सही मार्ग को चुनने में थोड़ा समया लगता है, इसलिए सोच समझकर सही का चुनाव करें। 

हमें अपने अन्दर से नकारात्मक चीजों को बाहर निकाल कर सकारात्मक जीजों का समावेश करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपका रूप भी सकारात्मक हो जायेगा, जिससे आपका जीवन एक कर्तव्य रूपी मार्ग पर आगे बढ़ने लगेगा और आपके जीवन में हर चीज सही होने लगेगी।

आपको हमारा यह पोस्ट (Suvichar) कैसा लगा, यह आप कमेंट बॉक्स में लिखकर जरुर बताये। यदि यह पोस्ट आपको पसंद आया हो तो इसे दूसरों तक पहुचाने के लिए शेयर करें।

कुछ अच्छे विचार जो हमारी जिन्दगी की सोच को बदल दे

इस संसार का हकीकत, जिस दिन हमारी मौत हो जाती है, उस दिन हमारा पैसा यही रह जाता है।
जब हम जिंदा होते हैं तो हमें ऐसा हर वक्त लगा रहता है कि जीने के लिए हमारे पास पर्याप्त धन नहीं है।
जब हम चले जाते हैं तब भी बहुत सा धन बिना खर्च किये बच जाता है इसलिए धन ज्यादा कमाने से अच्छा है कि जितना है उतने में संतोष करके जिंदा दिल जिंदगी जीये।

कुछ हकीकत जो आजकल के युवा स्वीकार नहीं करना चाहतें - 


  • फोन चाहे जितने भी महेंगे ले लो, उसका 75% फंक्शन अनोपयोगी ही रह जाता है। 
  • कार चाहे जितनी भी महंगी क्यों न हो, उसका 75% से अधिक गति का इस्तेमाल नहीं हो पाता।
  • आलीशान मकानों का 75% भाग हमेशा खाली ही रह जाता है। 
  • पूरी जिंदगी की कमाई का लगभग 75% दूसरों के उपयोग के लिए ही रह जाता है। 

इसलिए जितना आपके पास हो उतने में खुश रहना सीखे नहीं तो पश्चताने के सिवा कुछ नहीं रहता।

कुछ अन्य सुविचार


  1. आप मेरे बारे कभी उस तरह नहीं सोच सकते जैसा मैं आपके बारे में सोचता हूं, यही चीज है जो मुझे हर रोज परेशान करता है। - 💦Suvichar in Hindi for you💦
  2. जब आप किसी को पाने की उम्मीद करते हैं तो कुछ अच्छा होगा ये सोच रखना जरूरी है। धैर्य रखें। ध्यान केंद्रित स्मार्ट रहो। - 💦Suvichar in Hindi💦



धन्यवाद!

Never Give Up - Stories & Quotes

Never Give Up


Success is achieved in life, who has faced the struggles. Lord Krishna also said in the Gita -

"Life is a struggle and every person has to face it."

Running away from troubles is like giving an invitation to other troubles. Life has to face challenges and troubles from time to time, it is the truth and this is the name of life.

No one will find a person who does not taste the failure before getting success. If a person is failing in any work, he should understand that God is taking his examination and that trouble should be faced with it.

Never Give Up

1. Once a boy saw a shell of a butterfly near the tree. He saw that a butterfly was struggling to get out from the shell again and again. The boy got pity on the butterfly and tried to help the butterfly. That boy broke the shell and drove the butterfly out. But suddenly butterfly died.

The boy was not understanding how the butterfly died and he told his mother the whole thing. Mother said to him - "Struggle is the law of nature and to get out from the shell, the struggle of the butterfly has been finished by you, resulting its wings and body of the butterfly are not become strengthened. You did not give a chance to butterfly to struggle. This is the reason why the butterfly died.