यह ब्लॉग खोजें

Jindagi abhishai bhi-Geet aur Kavita-3


ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान भी ज़िंदगी दुख में पला अरमान भी कर्ज़ साँसों का चुकाती जा रही ज़िंदगी है मौत पर अहसान भी

कोई टिप्पणी नहीं: