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Bemuravvat Hai Magar-Geet aur Kavita-29


बेमुरव्वत है मगर दिलबर है वो मेरे लिए हीरे जैसा कीमती पत्थर है वो मेरे लिए  हर दफा उठकर झुकी उसकी नज़र तो यों लगा प्यार के पैग़ाम का मंज़र है वो मेरे लिए

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